फेल होता इस्राईली तंत्र, मरने वाले आतंकी सैनिकों की संख्या नहीं छिपा पा रहा है तेलअवीव!
पश्चिमी एशिया में मौजूद अवैध आतंकी इस्राईली शासन हर तरह के अत्याचारों और जघन्य अपराधों को अंजाम देने के बावजूद फ़िलिस्तीन के जियालों के हाथों ऐसा पिट रहा है कि अब उसकी चीख़ें निकलने लगी हैं। तेलअवीव जो ग़ज़्ज़ा युद्ध के आरंभ से ही मारे जाने वाले अपने सैनिकों की संख्या छिपाने की भरपूर कोशिश कर रहा था, लेकिन जिस तेज़ी से आतंकी इस्राईली सैनिक मारे जा रहे हैं अब उनकी संख्या को छिपाना ज़ायोनी शासन के हाथ में नहीं रह गया है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, 75 वर्षों से हर तरह के ज़ुल्मों को सहन करने वाली फ़िलिस्तीनी जनता का धैर्य का बांध सात अक्तूबर 2023 को टूट गया और अवैध आतंकी इस्राईली शासन के ख़िलाफ़ अलअक़्सा तूफ़ान नामक ऐसा ऑप्रेशन अंजाम दिया कि न केवल इस अवैध शासन की चूलें हिल गई, बल्कि इसको वजूद में लाने वाले इसके आक़ाओं के भी होश उड़ गए। वहीं फ़िलिस्तीनी जियालों की कार्यवाही से बौखलाई ज़ायोनी सरकार ने अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों के समर्थन से ग़ज़्ज़ा पर अत्याचारों और अपराधों की सारी सीमाओं को लांघ दिया। लेकिन इस बीच फ़िलिस्तीनी जियाले आतंकी इस्राईली सेना का डटकर मुक़ाबला कर रहे हैं। जहां एक ओर इस्राईल मासूम बच्चों, महिलाओं और आम नागरिकों के सरों पर बम बरसा रहा है और उन्हें शहीद कर रहा है वहीं फ़िलिस्तीनी जियाले केवल आतंकी इस्राईली सैनिकों को ही निशाना बना रहे हैं।
ग़ज़्ज़ा युद्ध के आरंभ से ही तेलअवीव मारे जाने वाले आतंकी इस्राईली सैनिकों की संख्या को छिपाने की भरपूर कोशिश कर रहा है, लेकिन इस बीच अब मरने वाले सैनिकों की संख्या इतनी ज़्यादा हो चुकी है कि वह चाहकर भी उन्हें नहीं छिपा पा रहा है। इस बीच आतंकी इस्राईली सेना ने एक बयान जारी करके कहा है कि ग़ज़्ज़ा पट्टी में ज़मीनी कार्यवाही के दौरान अब तक उसके 104 सैनिक मारे गए हैं। ज़ायोनी सेना के ताज़ा बयान में आया है कि सोमवार को ग़ज़्ज़ा में उसके सात सैनिक मारे गए हैं और अब ग़ज़्ज़ा में मारे जाने वाले कुल सैनिकों की संख्या 104 हो गई है। वहीं ग़ज़्ज़ा युद्ध में मारे जाने वाले इस्राईली सैनिकों के जो आंकड़े ज़ायोनी सरकार दे रही है उसके बारे में स्वयं इस्राईली मीडिया का कहना है कि यह आंकड़े ग़ज़्ज़ा में मारे गए इस्राईली सैनिकों की संख्या से बहुत ही कम बताए जा रहे हैं। इस्राईली मीडिया का कहना है मारे जाने वाले सैनिकों की संख्या को इसलिए भी छिपाना नामुमकिन है क्योंकि ऐसे परिवारों की संख्या इतनी ज़्यादा देखी जा रही है कि जिनके घर का कोई न कोई ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनी जियालों के हाथों मारा गया है। (RZ)
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