ग़ज़्ज़ा में संघर्ष विराम के लिए यूएई, जार्डन और मिस्र हुए सक्रिय
ग़ज़्ज़ा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए वहां पर तत्काल संघर्ष विराम के लिए कोशिशें की जा रही हैं।
ग़ज़्ज़ा में संघर्ष विराम के लिए जार्डन और संयुक्त अरब इमारात ने इस विषय की गहन समीक्षा की।
यूएई और जार्डन के विदेश मंत्रियों ने अबुधाबी में इस विषय की समीक्षा की है कि ग़ज़्ज़ा में किस तरह से संघर्ष विराम करवाया जाए और वहां पर किस प्रकार से मानवीय सहायता भेजी जा सके।
रायुलयौम के अनुसार एमन अस्सफदी और अब्दुल्ला बिन ज़ाएद ने अबूधाबी में फ़िलिस्तीन विशेषकर ग़ज़्ज़ा के परिवर्तनों पर विचार-विमर्श किया। जार्डन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अस्सफ़दी और बिन ज़ाएद ने ग़ज़्ज़ा में तत्काल संघर्ष विराम कराने की आवश्यकता पर बल दिया।
दोनो ही विदेश मंत्रियों ने ग़ज़्ज़ा वासियों को पलायन पर विवश करने का विरोध करते हुए कहा है कि फ़िलिस्तीन संकट का समाधान, क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और और स्थाई शांति का मार्ग दो सरकारों का गठन है।
वैसे मिस्र भी संघर्ष विराम के लिए मध्यस्था की भूमिका निभा रहा है। उसने हमास को एक प्रस्ताव पेश किया है। हमास ने इस प्रस्ताव को ख़ारिज तो नहीं किया है लेकिन यह कहा है कि वह इस बारे में ग़ज़ा के भीतर मौजूद नेतृत्व से विमर्श करेगा।
याद रहे कि इससे पहले कुछ दिनों के लिए ग़ज़्ज़ा में संघर्ष विराम हो चुका है। बहुत ही कम समय में संघर्ष विराम के बाद अवैध ज़ायोनी शासन के सैनिकों को ग़ज़्ज़ा में पूरी शक्ति के साथ हमले बढ़ा दिये जो आजतक जारी हैं। अलबत्ता हमास ने साफ कर दिया है कि क़ैदियों की रिहाई के बारे में कोई भी समझौता तभी होगा जब ग़ज़ा पट्टी से सारे इस्राईली सैनिक बाहर निकल जाएंगे।
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