हज़ारों फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार के बावजूद नहीं बच पाएगी नेतनयाहू की कुर्सी
(last modified Thu, 11 Jan 2024 07:42:54 GMT )
Jan ११, २०२४ १३:१२ Asia/Kolkata

नेतनयाहू को अब अपनी कुर्सी जाने का डर खाए जा रहा है। 

ज़ायोनी प्रधानमंत्री को इस बात को लेकर गंभी ख़तरा महसूस हो रहा है कि कहीं उसकी पार्टी के ही सदस्य, विपक्ष के साथ मिलकर उसको बाहर कर रास्ता न दिखा दें। 

हालांकि ग़ज़्ज़ा युद्ध अभी समाप्त नहीं हुआ है किंतु नेतनयाहू को सत्ता से अलग करने की आवाज़ें तेज़ होने लगी हैं।  ज़ायोनी शासन की सत्ता संभालने के साथ ही लोगों ने नेतनयाहू का विरोध आरंभ कर दिया था।  वैसे भ्रष्टाचार के केसों के अतिरिक्त भी कुछ एसे मुद्दे हैं जो नतयाहू को सत्ता से अलग करने के लिए प्रयाप्त हैं।  ग़ज़्ज़ा में हज़ारों फ़िलिस्तीनियों को शहीद करने के बावजूद नेतनयाहू, अपहरित ज़ायोनियों को आज़ाद कराने में विफल रहा जिसके कारण उसका व्यापक स्तर पर विरोध होने लगा है।

ज़ायोनी शासन के भूतपूर्व प्रधानमंत्री ओलमर्ट कहते हैं कि नेतनयाहू ने झूठ की राजनीति को अपनाया है।  उसको मालूम होना चाहिए कि ग़ज़्ज़ा में जिन लक्ष्यों को हासिल करने का उसने एलान किया है वह संभव नहीं है।  हालिया सप्ताहों के दौरान नेतनयाहू को सत्ता से निकाल बाहर करने का अभियान तेज़ हो चुका है।  उसके मंत्रीमण्डल के ही कुछ घटक, प्रधानमंत्री पद से नेतनयाहू को हटाए जाने की मांग करने लगे हैं।  यही मांग नेतनयाहू के मंत्रीमण्डल के भीतर गंभीर मतभेदों का कारण बनी है। 

इस संर्दभ में ज़ायोनी समाचारपत्र यदीऊत अहारनूत अपनी रिपोर्ट में लिखता है कि हमास के अलअक़सा तूफान आपरेशन के बाद नेतनयाहू के राजनीतिक घटक भी उसके विरोधी हो चुके हैं।  विशेष बात यह है कि लिकुड पार्टी के सदस्य भी अब नेतनयाहू के त्यागपत्र की मांग करने लगे हैं।  उनका मानना है कि नेतनयाहू के कमज़ोर क्रियाकलापों के कारण ज़ायोनी समाज में उनकी पार्टी की पैठ कमज़ोर हो रही है।  यही वहज है कि वे नेतनयाहू को लिकुड पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाना चाहते हैं ताकि अगले चुनाव में अन्य राजनीतिक दलों की तुलना में वे अपने लिए अच्छी जगह बना पाएं।

ज़ायोनी शासन के वर्तमान वित्तमंत्री तथा लिकुड पार्टी के एक सदस्य ने नेतनयाहू के बाद इस दल के नेतृत्व संभालने की तत्परता की घोषणा कर रखी है।  इन हालत को देखते हुए नेतनयाहू को उसके पद से हटाने के लिए विपक्षी दलों ने अपने प्रयास तेज़ कर दिये हैं।  उनका मानना है कि वर्तमान परिस्थितियां, नेतनयाहू को सत्ता से अलग करने का बेहतरी मौक़ा हैं एसे में इस मौक़े को हाथ से जाने नहीं दिया जाए।

राजनीतिक विशलेषक कहते हैं कि अगर लिकुश पार्टी की अध्यक्षता से नेतनयाहू को हटा दिया गया तो फिर उसका राजनीतिक भविष्य भी समाप्त हो जाएगा।  विगत में भी नेतनयाहू को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए प्रयास किये गए थे किंतु लिकुड पार्टी के प्रमुख होने के नाते उसके विरुद्ध किये जाने वाले प्रयास सफल नहीं हो पाए थे।  यही वजह है कि विरोधियों ने लिकुड पार्टी को भेजे एक संदेश में, एक नए चेहरे के साथ नये मंत्रीमण्डल गठन करने का आह्वान किया है।  इन परिस्थितियों में नेतनयाहू की कुर्सी सुरक्षित दिखाई नहीं दे रही है।

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