Jul ०२, २०२४ १९:३१ Asia/Kolkata
  • ज़ायोनी सेना में रिटायर्डमेंट का प्रचलन, सर्विस से भागना, आत्महत्या और मानसिक समस्याओं की भरमार
    ज़ायोनी सेना में रिटायर्डमेंट का प्रचलन, सर्विस से भागना, आत्महत्या और मानसिक समस्याओं की भरमार

पार्सटुडे- ग़ज़ा के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन के लंबे युद्ध और प्रतिरोधकर्ता बलों की जीत के साए में ज़ायोनी शासन की सेना में जनशक्ति संकट दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है।

इस्राईली टीवी चैनल-12 ने एलान किया है कि पिछले साल 7 अक्टूबर को तूफ़ान अल-अक़्सा ऑपरेशन और ग़ज़ा पट्टी के खिलाफ ज़ायोनी युद्ध की शुरुआत के बाद से, सेना के 900 कप्तानों और प्रमुखों ने अपने रिटायर्डमेंट की एप्लीकेशन दे दी है।

पार्सटुडे ने मेहर के हवाले से रिपोर्ट दी है कि इस ज़ायोनी सूत्र ने बताया कि पिछले वर्षों में इसी अवधि के दौरान, यह आंकड़ा कैप्टन और मेजर रैंक के साथ 100 से 120 ज़ायोनी सैनिकों तक पहुंच गया था।

इस्राईली मीडिया ने ज़ायोनी सेना में अभूतपूर्व संकट के अन्य कारणों के रूप में ज़ायोनी सेना की सराहना की कमी और इस्राईल के कुछ राजनेताओं द्वारा सेना को बदनाम करने के विषय का हवाला किया।

इस संबंध में ज़ायोनी सैन्य मामलों के विशेषज्ञ नीर डोवारी ने कहा कि मौजूदा स्थिति में सबसे कठिन कामों में एक इज़रायली सेना में अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर बनाए रखना है।

इससे पहले ज़ायोनी अख़बार "येदियेत अहरनोत" ने एलान किया था कि इस्राईली सेना के अधिकारी सैन्य सेवा से भाग रहे हैं और उनके बीच आत्महत्या के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं।

इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 7 अक्टूबर को ग़ज़ा पट्टी के ख़िलाफ युद्ध शुरू होने के बाद से 9 हज़ार ज़ायोनी सैनिकों को मनोवैज्ञानिक उपचार दिया गया जिनमें से एक चौथाई युद्ध में वापस नहीं लौट सके।

दूसरी ओर ज़ायोनी शासन के पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओलमर्ट ने हिज़्बुल्लाह के साथ बड़े पैमाने पर युद्ध की चेतावनी दी और कहा कि यदि हिज़्बुल्लाह अपनी सारी शक्ति का इस्तेमाल करता है, जिसे वह निश्चित रूप से उपयोग करेगा, तो इस्राईल को एक दर्दनाक झटका लगेगा जिसका मज़ा उसे अब तक मिला नहीं है।

पिछले कुछ महीनों में, ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी शासन के भयानक अपराधों के बाद, हिज़्बुल्लाह ने मक़बूज़ा क्षेत्रों के उत्तर में इस्राईल के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है, यह एक ऐसा मुद्दा है जिसने इन क्षेत्रों में रहने वाले ज़ायोनियों में डर पैदा कर दिया और इससे इस्राईल की धमकियों का खोखलापन भी साबित होता है।

इस्राईली मीडिया ने मक़बूज़ा  उत्तरी फ़िलिस्तीन में लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध के जवानों के भारी हमलों के प्रभावों को स्वीकार करते हुए एलान किया है कि हिज़्बुल्लाह का अभियान, इस क्षेत्र में लंबे व थका देने वाले युद्ध और ज़ायोनी बस्तियों को तबाह करने के युद्ध में बदल गया है।

ज़ायोनी शासन के सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार, लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने अकेले ही इस्राईल की सेना की आधी शक्ति को उत्तरी मोर्चे पर व्यस्त कर दिया है और दक्षिणी मोर्चे पर इस्राईली सेना की शक्तिशाली उपस्थिति में रुकावट पैदा कर दी।

7 अक्टूबर 2023 से पश्चिमी देशों के पूर्ण समर्थन से इस्राईल ने फ़िलिस्तीन के असहाय और उत्पीड़ित लोगों के ख़िलाफ़ ग़ज़ा पट्टी और जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट में एक व्यापक नरसंहार शुरू कर रखा है।

 ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 37718 हज़ार फ़िलिस्तीनी शहीद जबकि 86377 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल भी हुए हैं।

ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी योजना के तहत ज़ायोनी सरकार का बुनियादी ढांचा वर्ष 1917 में तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों से यहूदियों व ज़ायोनियों को फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में लाकर बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार के अवैध व ग़ैर क़ानूनी अस्तित्व की घोषणा कर दी गयी और तब से लेकर आज तक फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा जारी है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान, इस्राईल के साम्राज्यवादी शासन के पतन और यहूदियों की उनके मूल देशों में वापसी के गंभीर समर्थकों में है।

 

कीवर्डज़: हिज़्बुल्लाह पर इस्राईल का हमला, इस्राईली सैनिक, इस्राईली सेना, इस्राईली सेना में इंसानी संकट (AK)

 

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