नक़ब के बीच रेगिस्तान में ज़ायोनी ग्वांतानामो, इस्राईली जेलों में क्रूर यातना का रहस्योद्घाटन
(last modified Sat, 03 Aug 2024 11:57:05 GMT )
Aug ०३, २०२४ १७:२७ Asia/Kolkata
  • नक़ब के बीच रेगिस्तान में ज़ायोनी ग्वांतानामो, इस्राईली जेलों में क्रूर यातना का रहस्योद्घाटन
    नक़ब के बीच रेगिस्तान में ज़ायोनी ग्वांतानामो, इस्राईली जेलों में क्रूर यातना का रहस्योद्घाटन

पार्सटुडे- हाल ही में ज़ायोनी शासन की जेलों से रिहा हुए फ़िलिस्तीनी इतनी ख़राब हालत में हैं कि इन जेलों के संबंध में और फ़िलिस्तीनी क़ैदियों के साथ ज़ायोनियों के बर्ताव पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

यूरो-मेडिटेरेनियन ह्यूमन राइट्स वॉच ने हाल ही में ज़ायोनी शासन की जेलों में क़ैद फ़िलिस्तीनी क़ैदियों के अधिकारों के हनन के बारे में एक बयान जारी किया और एलान किया कि ये क़ैदी क्रूर हत्याओं और यातनाओं का सामना करते हैं।

पार्सटुडे के अनुसार, प्राप्त दस्तावेज़ ज़ायोनी शासन की जेलों में मानवीय क़ानूनों के लगातार उल्लंघन का संकेत देते हैं जिसमें सेदी तीमान (sedi timan) भी शामिल है जो नक़ब मरुस्थल में बेरे सबह शहर के  पश्चिमोत्तर में 5 किलोमीटर की दूरी पर मक़बूज़ा शासन के दक्षिणी कमान से संबंधित एक सैन्य अड्डे में स्थित है।

एक हिरासत केंद्र जो आज कुख्यात ग्वांतानामो जेल की कहानियों को उजागर करता है।

यूरो-मेडिटेरेनियन ह्यूमन राइट्स वॉच ने इस बात पर ज़ोर दिया है:

ज़ायोनी शासन की जेलें और हिरासत केंद्र, अमेरिकी ग्वांतानामो जेल से भी अधिक ख़ूनी केंद्र बन गए हैं और वहां क़ैदियों पर विभिन्न प्रकार की क्रूर यातनाएं, दुर्व्यवहार, अपमान और उनकी बेइज़्ज़ती की जाती है।

हत्याएं, भीषण मार-पीट, पिंजरों में क़ैद रखना, हाथ बांध कर रखना और कुछ क़ैदियों को भूसा खिलाना, इस कुख्यात सैन्य अड्डे की दीवारों के पीछे जो कुछ चल रहा है उसका सिर्फ़ एक छोटा सा हिस्सा है जो लीक होकर दुनिया के सामने आ गया है जबकि इस अड्डे के काले कारनामे उससे कहीं ज़्यादा छिपे और गुप्त हुए हैं जो दुनिया के सामने उजागर हुए हैं।

ज़ायोनी शासन द्वारा बंदी फ़िलिस्तीनी क़ैदियों की तस्वीरें

 

हाल ही में, अल-अरबी अल-जदीद अखबार ने ऐसे सबूत पेश किए हैं कि जो ज़ाहिर करते हैं कि इस बेस या इस्राईल की अन्य जेलों में बंदियों में से कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी रिहाई के कुछ हफ्तों के बाद भी जेल में दी जाने वाली यातनाओं के प्रभावों के कारण इलाज करा रहे हैं, जबकि कुछ मानसिक और शारीरिक समस्याओं से अभी तक पीड़ित हैं।

ये नतीजे, ज़ायोनी स्रोतों की रिपोर्टों से हालिए किए गये हैं जबकि सबूत इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि हारेत्ज़ अखबार ने इस हिरासत केंद्र में स्लो डेथ, ग़ैर क़ानून मौत और सभी प्रकार की यातना के मामलों से पर्दा उठाया है जिसका ख़ुलासा एक इस्राईली डॉक्टर ने किया था जो सदी तीमान फील्ड अस्पताल में काम करता था।

इस इस्राईली डॉक्टर ने ज़ायोनी शासन के युद्ध मंत्री योव गैलेंट और अन्य संबंधित अधिकारियों को एक पत्र भेजकर इस हिरासत केंद्र में जारी अवैध उल्लंघनों और मानवाधिकारों के घोर हनन पर चेतावनी दी थी।

हाल ही में, अल-जज़ीरा चैनल पर एक वीडियो क्लिप दिखाई गयी जिसमें फ़िलिस्तीनी मुक्केबाज़ मुअज़्ज़िज़ अबीयात, बहुत ख़राब शारीरिक स्थिति में और कमजोर आवाज़ के साथ कहते नज़र आ रहे हैं: मेरे भाई हर दिन नक़ब जेल में शहीद हो रहे हैं।

हम तीन हजार कैदी हैं जिन्हें हर रात इस्राईली जेल के जेलरों द्वारा पीटा जाता है, खाना नहीं दिया जाता, यहां कोई बाथरूम नहीं है और यहां ऐसी घटनाएं घटती हैं जिन पर अक़्ल तक विश्वास करने को तैयार ही नहीं होती।

ज़ायोनी शासन की जेल से रिहाई से पहले और बाद में फ़िलिस्तीनी मुक्केबाज़ मुअज़्ज़िज़ अबीयात की तस्वीरें

 

इस वीडियो पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अल्जीरियाई अखबार अल-ख़ोबर ने लिखा: दुनिया ने ग़ज़ा और फ़िलिस्तीनी क़ैदियों के नरसंहार और न्यूनतम मानवाधिकारों को कुचलने की घटनाओं पर दोहरा रवैया अपनाते हुए अपनी आंखें बंद कर ली हैं, हर दिन जो बीतता है, इस्राईली जेलों में इस्राईली अवैध क़ब्ज़ेदारों के अपराधों की एक नई भयानक कहानी सुनाई देती है।

इस विषय की एक ख़बर के जवाब में ब्रिटिश मीडिया बीबीसी की अरबी वेबसाइट ने भी लिखा कि सोशल मीडिया पर "मोअज़्ज़िज़ अबयात की तस्वीरों ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि इस्राईली जेलों में क्या हो रहा है।

असदुल्लाह हारून अमेरिका की ग्वांतानामो जेल के पूर्व क़ैदियों में से एक हैं, जिन्हें इजरायली जेलों में कैद फिलिस्तीनियों की तस्वीरें देखकर अमेरिकी हिरासत केंद्रों की यातनाएं अच्छी तरह याद आने लगी हैं।

हारून को 2007 में गिरफ्तार किया गया और 16 साल तक बिना किसी आरोप के ग्वांतानामो जेल में रखा गया।

उनके अनुसार, फ़िलिस्तीनी जो अब इस्राईली जेलों में बंद हैं, वही व्यवहार झेल रहे हैं जो उनके ग्वांतानामो जेल में साथ हुआ था।

अल-जज़ीरा ने ग्वांतानामो के एक अन्य पूर्व क़ैदी के हवाले से अमेरिकी और इस्राईली यातनाओं की समानता की पुष्टि की और लिखा: जिन लोगों ने इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं द्वारा समान हिरासत, यातना और दुर्व्यवहार का अनुभव किया है, वे इन बातों और कहानियों से पूरी तरह सहमत हैं।

ज़ायोनियों द्वारा फ़िलिस्तीनी क़ैदियों पर अत्याचार

 

मोअज़्ज़म बेग एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं जिन्हें तीन साल तक बिना किसी आरोप के ग्वांतानामो जेल में क़ैद रखा गया था। वह अमेरिकी सेना और इस्राईली सैनिकों के बीच बर्ताव के बीच समानता भी बताते हैं।

बेग ने कहा: जिस तरह से क़ैदियों के साथ व्यवहार किया जाता है, कपड़े उतार दिए जाते हैं, उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है और उनका अपमान किया जाता है, उसमें इस्राईली जेलों और ग्वांतानामो के बीच एक स्पष्ट रूप से, पूर्ण और निर्विवाद समानता पायी जाती है।

लुई अल-तवील, एक फ़िलिस्तीनी कैदी ने, जिसने कई साल इस्राईली जेलों में बिताए और हाल ही में रिहा किये गये, फ़िलिस्तीनी कैदियों को दी जाने वाली यातनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा: इस्राईल की जेलें, कुख्यात अबू ग़रेब और ग्वांतानामो जेलों की तरह ही हैं, नक़ब में मेरा स्थानांतरण चौंकाने वाला था, यहां आने वाले क़ैदियों को अपमानजनक तरीके से नंगा कर दिया जाता था और अपमान के साथ बुरी तरह से उसकी पिटाई की जाती थी।

फ़िलिस्तीनी महिला असील आले तैती ने भी इस्राईली जेलों को ग्वांतानामो जेल के समान बताया।

अल-आलम समाचार एजेंसी ने अल-तैती के हवाले से कहा: हमारे हालात बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और अमानवीय थे। जेलों में बंदी महिलाओं को पीटा जाता था और तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता था।

ग्वांतानामो और सदी तीमन जेल के बीच समानताएं, क़ैदियों के साथ व्यवहार तक ही सीमित नहीं हैं।

ये दोनों केंद्र समान तर्कों और बातों का इस्तेमाल करते हुए अपने अस्तित्व को उचित ठहराते हैं और अपनी ज्यादतियों को क़ानूनी कवर प्रदान करते हैं।

ज़ायोनी शासन, मीडिया और स्वतंत्र क़ानूनी विशेषज्ञों को अपनी जेलों और सदी तीमान जैसे सैन्य हिरासत केंद्रों से दूर रखने की भी सख़्त कोशिशें कर रहा है।

 

कीवर्ड्ज़: इस्राईली जेलों की स्थिति, फ़िलिस्तीनी कैदियों की स्थिति क्या है?, नक़ब रेगिस्तान, ग्वांतानामो जेल की पोज़ीशन, सदी तीमान जेल (AK)

 

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