तकफ़ीरी विचारधारा ही है आतंकवाद का स्रोत
(last modified Thu, 13 Jul 2017 09:40:12 GMT )
Jul १३, २०१७ १५:१० Asia/Kolkata
  • तकफ़ीरी विचारधारा ही है आतंकवाद का स्रोत

ग़ुलाम हुसैन देहक़ानी का कहना है कि क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे संसार में आतंकवाद का स्रोत तकफ़ीरी विचारधारा है।

आइवारी कोस्ट की राजधानी अबूजा में इस्लामी सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में ईरान के विदेश मंत्रालय में सुरक्षा मामलों के प्रभारी ग़ुलाम हुसैन देहक़ानी ने कहा कि लंबे कटु अनुभवों के बावजूद क्षेत्र के कुछ देश अब भी तकफ़ीरी विचारधारा का वित्तीय समर्थन कर रहे हैं।  दो दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में उन्होंने कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष का दावा करने वाले कुछ क्षेत्रीय देश, आतंकवादी गुटों का समर्थन कर रहे हैं।

ग़ुलाम हुसैन देहक़ानी ने कहा कि पिछले पांच दशकों के दौरान सऊदी अरब ने वहाबी विचारधारा के प्रचार वे प्रसार में कम से कम 87 अरब डालर खर्च किये हैं।  वैसे यह कोई छिपी हुई बात नहीं है बल्कि इस बारे में बहुत से प्रमाण मौजूद हैं। इनडिपेंडेंट समाचार पत्र ने अपनी एक रिपोर्ट मे लिखा है कि 1960 के दशक में सऊदी अरब ने ब्रिटेन में वहाबियत और अतिवाद के प्रचार के लिए लाखों डालर ख़र्च किये।

इस बात की पुष्टि में ताज़ा उदाहरण क़तर की ओर से पेश किया गया है जिसमें बताया गया है कि आतंकी गुटों के सरग़नाओं के साथ सऊदी अरब के शाहज़ादों के संबन्ध हैं।  अमरीका में क़तर के दूतावास ने कुछ एेसे प्रमाण प्रस्तुत किये हैं जिनसे पता चलता है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात, दाइश और अलक़ाएदा जैसे आतंकवादी गुटों का समर्थन करते आए हैं।  ग़ुलाम हुसैन देहक़ान के संबोधन में एक अन्य ध्यानयोग्य बिंदु, सऊदी अरब की ओर आतंकवाद के समर्थन पर अमरीकी मौन है।  इस बारे में वे कहते हैं कि निःसन्देह, अतिवाद और आतंकवाद, वर्तमान समय की वैश्विक समस्या है किंतु उससे ही बुरी बात यह है कि कुछ देश उसका समर्थन कर रहे हैं जिससे आतंवाद तेज़ी से फैलता जा रहा है।

यही वजह है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान का मानना है कि आतंकवाद का मुक़ाबला करने के लिए सबसे पहले इसके स्रोत को समाप्त करना होगा। 

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