इस्राईल की हिट लिस्ट में सब से ऊपर हैं सैयद हसन नसरुल्लाह फिर कैसे बचे हैं अब तक? मोसाद की कौन सी युनिट करती है हत्याएं? कौन कौन है इस लिस्ट में?
लंदन से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र रायुल यौम के संपादकीय में मोसाद की हिट लिस्ट का जायज़ा लिया गया है जो रोचक है।
ईरान की राजधानी तेहरान के निकट पिछले शुक्रवार को परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फख्रीज़ादे की हत्या के बाद इस्राईली और युरोपीय मीडिया में बार बार यह कहा जाने लगा कि इस्राईली खुफिया एजेन्सी मोसाद की " कीदून" ब्रिगेड के पास जो हिट लिस्ट है उसमें सब से ऊपर लेबनान के हिज़्बुल्लाह आन्दोलन के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह का नाम है, उसके बाद फिलिस्तीनी संगठनों के महासचिवों और इराक़ व यमन के कई संगठनों के प्रमुखों, ईरान के आईआरजीसी बल के कमांडरों और ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों के नाम हैं। मोसाद की इस हिट लिस्ट में मौजूद लोगों पर इस समय हमला, अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दबाव की वजह से किया जा रहा है ताकि वह बाइडन का खेल बिगाड़ दें और मध्य पूर्व में एक बड़ा संकट बाइडन के लिए छोड़ दें जिसमें वह हाथ पैर मारते रहें।
ब्रिटेन के सन्डे टाइम्ज़ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जिस तरह से मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करके ईरानी वैज्ञानिक मोहसिन फख्रीज़ादे को निशाना बनाया गया है वह वास्तव में इस्राईल की उस युनिट का तरीक़ा है जिसे गोल्ड मायर ने सन 1972 में म्यूनिख में इस्राईली एथलीटों पर हमले के ज़िम्मेदारों को पकड़ने के लिए बनाया था। इसके बाद से चाहे ईरान के 5 परमाणु वैज्ञानिक हों या फत्ही शेक़ाक़ी जैसे फिलिस्तीनी नेता इन सब को निशाना बनाने के लिए मोसाद ने यही तरीक़ा अपनाया है।
इस्राईली खुफिया एजेन्सी मोसाद लेबनान में अपने एजेन्टों की मदद से निंरतरता के साथ हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है लेकिन उन तक पहुंचने के लिए उस की अब तक की सारी कोशिशों नाकाम हो चुकी हैं जिसकी सब से बड़ी वजह, सैयद हसन नसरुल्लाह की सुरक्षा में तैनात टीम की चौकसी है और ज़िम्मेदाराना व पेशेवराना व्यवहार है। हमें यह सुन कर हैरत नहीं होगी अगर कोई यह बताए कि हिज़्बुल्लाह संगठन ने इस्राईल के जो दो अत्याधिक ड्रोन विमान मार गिराए थे वह वास्तव में हसन नसरुल्लाह की हत्या के आतंकवादी मिशन पर थे।
मोसाद की यह लिस्ट और इस सिलसिले में फैसले बेहद गोपनीय रखे जाते हैं इस लिए अब इस बात का अंदाज़ा तो नहीं लगाया जा सकता कि ट्रम्प के जाने से पहले अभी किसे और निशाना बनाया जाएगा लेकिन यह भी पक्का है कि ईरान अपने इस वैज्ञानिक की हत्या का बदला ज़रूर लेगा जैसा कि उसने अपने जनरल कासिम सुलैमानी और इराक़ी स्वंय सेवी बल के कमांडर अबू मेहदी अलमुहंदिस की हत्या के बाद इराक़ में अमरीकी छावनियों पर मिसाइल बरसाए थे और उसके समर्थकों ने बगदाद में अमरीकी दूतावास पर राकेटों से बार बार हमला किया था और इन सब कार्यवाहियों की वजह से अमरीका को इराक़ में अपनी 13 छावनियों के बजाए सैनिकों को 3 छावनियों में समेटना पड़ा और अपने अधिकाशं सैनिकों को सुरक्षा के लिए इराक़ से निकालने पर मजबूर होना पड़ा।
यह भी निश्चित है कि ईरानी नेतृत्व, अमरीका व इस्राईल द्वारा बिछाए गये जाल में नहीं फंसेगा और इस हत्या के बदले के लिए जल्दबाज़ी नहीं करेगा इसकी दो वजह हैः एक तो यह कि इस तरह की हत्या पर जवाबी कार्यवाही की योजना बनाने के लिए समय चाहिए होता है ताकि सफलता पक्की हो और दूसरी वजह यह है कि अगर अच्छी क़ीमत मिले तो ईरान संयम का प्रदर्शन कर सकता है। अर्थात अगर बदले को कुछ दिन टालने के लिए उसे अमरीकी प्रतिबंधों के अंत और अमरीका की परमाणु समझौते में वापसी की कीमत मिले तो हो सकता है ईरान कुछ दिन रुक जाए, जैसाकि कहा जा रहा है कि इस बारे में ईरान व अमरीका के बीच विभिन्न चैनलों के माध्यम से गोपनीय संपर्क हो रहा है।
हमने जो कुछ कहा है वह एक अनुमान और विश्लेषण है लेकिन जो बात निश्चित है वह यह है कि आने वाले कुछ हफ्ते, चौंकाने वाली घटनाओं से भरे होंगे और ईरान की ओर से बड़ा बदला निश्चित है बाकी तो ऊपर वाले को पता है। Q.A.
लेख में कही गयी बातों से पार्स टूडे का सहमत होना ज़रूरी नहीं, साभार, रायुल यौम
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