आतंकवाद की जड़, धर्म नहीं हैः पोप फ़्रांसिस
ईसाईयों के धार्मिक नेता पोप फ़्रांसिस ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद की जड़ धर्म नहीं है।
पोप फ्रांसिस का कहना है कि आतंकवाद और हिंसा, धर्म से नहीं निकले बल्कि धर्म के दुरुपयोग से यह बुराइयां फैली हैं। उन्होंने यह बात इराक़ में एक धार्मिक प्रार्थना सम्मेलन में कही जिसमें कई धर्मों के लोगों ने मिलकर भाग लिया।
ईसाईयों के धार्मिक नेता ने इराक़ के अति प्राचीन नगर "उर" में इस प्राचीन नगर के लोगों को संबोधित करते हुए लोगों से परस्पर सहयोग का आह्वान किया। इन नगर अर्थात "उर" को ईश्वरीय दूत हज़रत "इब्राहीम" का जन्मस्थल माना जाता है। पोप फ़्रांसिस ने कहा कि हज़रत इब्राहीम ने ईश्वरीय दूतों के पिता के रूप में इस नगर से अपनी यात्रा आरंभ की थी जो शांति की यात्रा थी। उन्होंने शांतिपूर्ण जीवन के साझा मूल्यों को मज़बूती प्रदान करने और सभी धर्मों के अनुयायियों विशेषकर मुसलमानों और ईसाईयों के बीच आपसी मेलजोल पर बल दिया।
ईसाई धर्मगुरू ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि हालिया कुछ वर्षों के दौरान आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने के उद्देश्य से इराक़ी धर्मगुरुओं ने अहम भूमिका निभाई।
एक अनुमान के हिसाब से इराक़ में ईसाई समुदाय की जनसंख्या 15 लाख से घटकर इस समय लगभग 2 लाख 50 हज़ार तक रह गई है। जिस समय अमरीका ने इराक़ पर सन 2003 में हमला किया था उसके बाद उत्पन्न होने वाली स्थिति से बचने के लिए लाखों इराक़ी ईसाई, अपना देश छोड़कर चले गए थे। बाद में आतंकवादी गुट दाइश की हिंसक कार्यवाहियों से भयभीत होकर बहुत बड़ी संख्या में इराक़ के मूल ईसाई अपने घरों को छोड़कर चले गए थे।
याद रहे कि इराक़ के ज़ीक़ार प्रांत के केन्द्रीय नगर नासेरिया के निकट बसा प्राचीन नगर "उर" का इतिहास ईसापूर्व 4500 वर्ष पुराना बताया जाता है। ईसाईयों की धार्मिक पुस्तक में कई स्थानों पर इसको हज़रत इब्राहीम के जन्मस्थल के रूप में याद किया गया है।