Jul ०१, २०२१ १३:५४ Asia/Kolkata
  • तुर्की द्वारा लिए गए फ़ैसले से महिलाओं में ख़ौफ़, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी दी चेतावनी

तुर्की ने महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा रोकने के लिए बनी एक अंतर्राष्ट्रीय संधि से आधिकारिक रूप से ख़ुद को अलग कर लिया है। इस बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल ने चेतावनी दी है कि अंकारा के इस क़दम की वजह से महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा बढ़नी शुरू हो चुकी है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा रोकने के लिए बनी एक अंतर्राष्ट्रीय संधि, जिसे इस्तांबुल कन्वेंशन के नाम से भी जाना जाता है, इस संधि पर समझौता तुर्की के ही इस शहर में हुआ था, जिसे इस देश का ऐतिहासिक, आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र माना जाता है। संधि पर हस्ताक्षर 2011 में हुए थे और इसे स्वीकार करने वाले देशों ने घरेलु हिंसा रोकने और लैंगिक बराबरी को प्रोत्साहन देने का प्रण लिया था। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यब अर्दोग़ान ने अपने देश को संधि से अलग करने की घोषणा मार्च 2021 में की थी और अब एक जुलाई से उनके द्वारा लिया गया फ़ैसला लागू हो रहा है।

तुर्की द्वारा उठाए गए इस क़दम की जहां ख़ुद तुर्की के भीतर इसकी आलोचना हो रही है वहीं  अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी अंकारा के इस निर्णय की निंदा की है। इसी सप्ताह तुर्की की एक अदालत ने इस सरकार के फ़ैसले को पलटने की अपील को भी खारिज कर दिया था। फेडरेशन ऑफ टर्किश विमेंस एसोसिएशंस की अध्यक्ष क़नन गुलु कहती हैं, "हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे, इस फ़ैसले से तुर्की ख़ुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा है। उन्होंने बताया कि मार्च से महिला समूह मदद मांगने से भी हिचक रहे हैं। कोविड-19 घरों में जो आर्थिक संकट लाया है उसकी वजह से महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा में नाटकीय वृद्धि हुई है।" एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड मानती हैं, "तुर्की ने महिलाओं के अधिकारों के संबंध में समय को 10 साल पीछे धकेल दिया है।" उन्होंने कहा कि खुद को संधि से अलग करके तुर्की ने एक "लापरवाही भरा और ख़तरनाक संदेश दिया है", क्योंकि अब हिंसा करने वालों का सज़ा से बच पाना संभव होगा।

ग़ौरतलब है कि, दूसरे कई देशों की तरह ही, तुर्की में भी महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा एक बड़ी समस्या है। महिलाओं की हत्या रोकने के लिए बनी एक जर्मन संस्था के मुताबिक़, तुर्की में पिछले साल पुरुषों के हाथों कम से कम 300 महिलाओं की हत्या हुई थी। इस बीच तुर्क सरकार की ओर से एक बयान जारी करके यह दावा किया गया है कि, "संधि से हमारे देश के अलग होने की वजह से महिलाओं के खिल़िफ़ हिंसा को रोकने में कोई भी क़ानूनी या ज़मीनी स्तर पर कमी नहीं आएगी।" (RZ)

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