इस्लामी सहयोग संगठन की यूरोपीय सरकारों से मांगः कुरआन का अपमान करने वालों को सज़ा दीजिए!
इस्लामी सहयोग संगठन ने यूरोपीय सरकारों से मांग की है कि वे क़ुरआन का अपमान करने वाले तत्वों के ख़िलाफ़ कार्यवाही कर।
स्वेडन, हालैंड और डेनमार्क में क़ुरआन शरीफ़ को जलाए जाने की शर्मनाक घटनाओं के बाद इस्लामी सहयोग संगठन ने जिसमें 57 देश शामिल हैं जिद्दा में अपात बैठक की जिसमें आईआईसी के महासचिव हुसैन ताहा ने कहा कि यूरोप में चरमपंथी दक्षिणवादी तत्वों की भड़काऊ हरकत से हमे तकलीफ़ पहुंची है और यूरोपीय सरकारों की ज़िम्मेदारी बनती है कि असामाजिक तत्वों के ख़िलाफ़ कठोर कार्यवाही करे विशेषकर इसलिए भी कि इस प्रकार की घटनाएं बार बार हो रही हैं।
हुसैन ताहा ने दूसरे संबंधित संगठनों और संस्थाओं से भी कहा कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं दोबारा होने से रोकने के लिए ठोस क़दम उठाएं। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को सरसरी नज़र से नहीं देखा जा सकता यह इस्लामोफ़ोबिया के संदर्भ की आम घटनाएं नहीं हैं यह दुनिया के 160 करोड़ मुसलमानों की भावनाओं का अपमान है।
डेनमार्क की राजधानी कूपनहेगन में तुर्किए के दूतावास के सामने हार्डलाइन पार्टी के अध्यक्ष रासमोस बालोदान ने क़ुरआन जलाया जबकि इससे कुछ देर पहले मस्जिद के सामने भी उसने क़ुरआन जलाया।
इस चरमपंथी ने 21 जनवरी को स्वेडन की राजधानी में भी तुर्किए के दूतावास के सामने क़ुरआन को आग लगाई थी। इन सारी घटनाओं के दौरान इस चरमपंथी व्यक्ति को पुलिस की भरपूर सुरक्षा हासिल रही।
पिछले सप्ताह इस्लामी दुश्मन संगठन बेगीडा के नेता एडविन वाजेन्सफ़ील्ड ने हेग में क़ुरआन का अपमान किया था।
इस्लामी सहयोग संगठन की संसदीय बैठक में भी यूरोपीय देशों में मंसूबाबंद तरीक़े से क़ुरआन जलाए जाने की घटनाओं की निंदा की गई।
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