Mar २३, २०२३ ०८:३९ Asia/Kolkata
  • चीनी राष्ट्रपति की रूस यात्रा का उद्देश्य आया सामने, 2030 से पहले कई योजनाओं को पूरा करना चाहते हैं दोनों देश

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को रूस की अपनी यात्रा का समापन किया और अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति का मुक़ाबला करने के लिए अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतीन के साथ ‘‘समान, खुली और समावेशी सुरक्षा प्रणाली'' बनाने का संकल्प किया।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, चीन की सरकार ने बुधवार को एक बयान जारी करके कहा है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हाल में समाप्त हुई रूस की राजकीय यात्रा “दोस्ती, सहयोग और शांति की यात्रा थी। इस यात्रा में शी जिनपिंग ने व्लादिमीर पुतीन के साथ गहन चर्चा की, जिसके बाद दोनों नेताओं ने ‘‘नए युग के लिए समन्वय की व्यापक रणनीतिक साझेदारी'' और ‘‘चीन-रूस आर्थिक सहयोग में प्राथमिकताओं पर 2030 से पहले विकास योजना'' को गहरा करने के लिए दो संयुक्त बयानों पर हस्ताक्षर किए। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मॉस्को की तीन-दिवसीय यात्रा यूक्रेन संघर्ष में शांति वाहक के तौर पर अपनी भूमिका दर्शाने के लिए की थी। उन्होंने इस दिशा में शांति वार्ता योजना को आगे बढ़ाने की मांग की, जिस पर यूक्रेन के प्रमुख सहयोगी अमेरिका से ठंडी प्रतिक्रिया मिली। मार्च 2013 में पहली बार चीन का राष्ट्रपति बनने के बाद से शी जिनपिंग की रूस की इस यात्रा को ‘‘दोस्ती, सहयोग और शांति'' की यात्रा बताया गया है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन यूक्रेन संघर्ष में तटस्थ है और उन्होंने यह भी दोहराया कि बीजिंग का ‘‘यूक्रेन मुद्दे पर कोई स्वार्थी मक़सद नहीं है और न ही वह मूक दर्शक नहीं बना हुआ।  वांग ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस की यात्रा दोस्ती, सहयोग और शांति की यात्रा है, जिस पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने सकरात्मक प्रतिक्रिया दी है।'' चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने संघर्ष विराम एवं बातचीत के आह्वान को लेकर चीन द्वारा पेश 12-सूत्री शांति प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘चीन, यूक्रेन मुद्दे के राजनीतिक समाधान को बढ़ावा देने में रचनात्मक भूमिका निभाना जारी रखेगा।'' अपने संयुक्त बयान में चीन और रूस ने एशिया-प्रशांत देशों के साथ नाटो के सैन्य-सुरक्षा संबंध लगातार बढ़ाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की और उनका कहना है कि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमज़ोर करता है। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विशिष्ट गठबंधन का विरोध करते हैं, जो क्षेत्र में इस तरह की गठबंधन की राजनीति को बढ़ावा देगी। दोनों पक्षों ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि अमेरिका शीतयुद्ध की मानसिकता में जी रहा है और हिंद-प्रशांत रणनीति का अनुसरण करता है, जिसका क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उल्लेखनीय है कि रूस ने यूक्रेन युद्ध पर जल्द ही शांति वार्ता फिर से शुरू करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जिसकी चीन ने सराहना की है। (RZ)

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