सरकार विरोधी प्रदर्शनों को जारी रखोः इमरान का आह्वान
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने इस देश की जनता से सरकार विरोधी प्रदर्शनों को आगे भी जारी रखने का आह्वन किया है।
पाकिस्तान में राजनैतिक संकट जारी है। इस देश के पूर्व प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। बाद में उनको ज़मानत पर आज़ाद किया गया। इमरान ख़ान ने अपने विरुद्ध लगे आरोपों को रद्द कर दिया है।
इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपने नेता के समर्थन में जिस प्रकार के विरोध प्रदर्शन किये उन्होंने सत्ता में बैठे लोगों को अचंभित कर दिया।पीटीआई के समर्थकों के विरोध प्रदर्शन से पाकिस्तान के बड़े राजनैतिक दल बहुत चिंतित दिखाई दे रहे हैं।
पाकिस्तान के हालिया राजनैतिक घटनाक्रम के संदर्भ में एक राजनीतिक विशलेषक अहमद मंसूर ख़ान कहते हैं कि एसा लग रहा है कि सत्ताधारी गठबंधन, पीटीआई और उसके प्रमुख इमरान ख़ान दोनों को पाकिस्तान की राजनीति से अलग करना चाहता है। वे कहते हैं कि वर्तमान समय में जब पाकिस्तान पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, पीटीआई और उसके प्रमुख को सत्ता के मैदान से पूरी तरह से अलग करना टेढ़ी खीर है। जहां पर पाकिस्तान के बड़े राजनैतिक दल इमरान ख़ान और उनकी पार्टी को राजनीतिक मैदान से अलग करने के प्रयास में लगे हुए हैं वहीं पर पीटीआई देश में मध्याविध चुनाव कराए जाने पर बल दे रही है।
उनकी मांग है कि चुनाव की तिथि का निर्धारण किया जाए। दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना है जिसका इस देश की सत्ता पर बहुत प्रभाव रहता है। पीटीआई के नेता अब पाकिस्तान की सेना के विरुद्ध भी मैदान में आ गए हैं। उन्होंने अपनी गिरफ़्तारी का ज़िम्मेदार भी पाकिस्तान की सेना को भी बताया है। एक राजनीतिक टीकाकार मोहसिन कहते हैं कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पाकिस्तान की सेना की पकड़ इस देश की सत्ता पर बहुत मज़बूत है।
वे कहते हैं कि पाकिस्तान की आज़ादी के समय से लेकर अबतक अधिक समय तक सत्ता उसी के पास रही है।इसी बीच इमरान ख़ान ने शहबाज़ शरीफ़ की गठबंधन सरकार के विरुद्ध संघर्ष के लिए अपने समर्थकों का आह्वान किया है। उनका कहना है कि नए चुनावों की तिथि निर्धारित होने तक इस क्रम को जारी रहना चाहिए।
इन सारी बातों के दृष्टिगत अब देखना यह है कि पाकिस्तान जैसे देश में, जहां पर गंभीर आर्थिक संकट पहले से ही मौजूद है, नया राजनैतिक संकट इस देश को किस ओर ले जाएगा?
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