Aug २५, २०२३ १८:४२ Asia/Kolkata
  • ब्रिक्स के आख़िरी दिन भारतीय प्रधानमंत्री और चीनी राष्ट्रपति ने मिलाया हाथ! साउथ अफ़्रीक़ा में मोदी के ख़िलाफ़ जमकर हुई नारेबाज़ी+ वीडियो

साउथ अफ़्रीक़ा में 15वीं ब्रिक्स समिट के आख़िरी दिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हाथ मिलाते नज़र आए। प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने से ठीक पहले दोनों नेताओं के बीच कुछ सेकेंड की बातचीत भी हुई। इससे भारतीय प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साउथ अफ़्रीक़ा पहुंचने पर कई संगठनों ने उनके ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की और मोदी वापस जाओ के नारे लगाए।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, साउथ अफ़्रीक़ा में आयोजित हुए 15वें ब्रिक्स सम्मेलन पर पूरी दुनिया की नज़र टिकी हुई थी। इसके कई कारण थे, जिसमें से सबसे अहम वजह इस अंतर्राष्ट्रीय संगठन में 6 अन्य देशों को सदस्यता दिया जाना था। बता दें कि ब्रिक्स संगठन में जुड़ने के लिए 6 नए देशों को न्योता दिया गया था। इनमें इस्लामी गणराज्य ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमारात, अर्जेंटीना, मिस्र और इथियोपिया शामिल हैं। यह 1 जनवरी 2024 से ब्रिक्स के स्थाई सदस्य बन जाएंगे। साउथ अफ़्रीक़ा के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने बताया कि पहले फेज की बैठक में इन देशों को संगठन का मेंबर बनने का आमंत्रण दिया गया था। साउथ अफ़्रीक़ा में साइन हुए ब्रिक्स के डिक्लेरेशन में ब्राज़ील, भारत और साउथ अफ़्रीक़ा की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की मांग की गई। वहीं भारतीय प्रधानमंत्री की साउथ अफ़्रीक़ा यात्रा से नाराज़ कई संगठनों ने उनके ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि मोदी भारत में धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का यह भी आरोप था कि मोदी के शासन में भारत में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर मुसलमानों और ईसाइयों पर अत्याचार हो रहे हैं। 

उल्लेखनीय है कि जिन देशों को ब्रिक्स का न्योता मिला है, उन्हें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने बधाई दी। मोदी ने कहा भारत ने ब्रिक्स में विस्तार का हमेशा समर्थन किया है। इन सभी देशों से हमारे गहरे और ऐतिहासिक रिश्ते हैं। मुझे ख़ुशी है कि 3 दिन की बैठक में कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। मोदी ने पश्चिमी देशों के दबदबे वाले संगठनों का नाम लिए बग़ैर कहा ब्रिक्स का विस्तार यह दर्शाता है कि दुनिया के बड़े संगठनों को समय के साथ बदलना चाहिए। चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा ब्रिक्स के सभी देश बड़ी अहमियत रखते हैं। संगठन में नए सदस्यों का जुड़ना ऐतिहासिक है। यह ब्रिक्स के लिए नई शुरुआत है। हमारे इस संगठन का भविष्य उज्ज्वल है। मुझे पूरा भरोसा है कि जब तक हम एक उद्देश्य से आगे बढ़ेंगे तो हम बेहतर काम कर पाएंगे। वहीं ब्रिक्स के 15वें सम्मेलन में एक बार फिर मोदी और जिनपिंग की मुलाक़ात ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। दोनों देशों के बीच जारी मतभेद और टकराव को देखते हुए इस छोटी से भेंटवार्ता को सकारात्मक दृष्टि से देखा जा रहा है। (RZ)

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