Nov १३, २०२३ १८:५९ Asia/Kolkata
  • हम तो डूबे हैं सनम तुमको भी ले डूबेंगे, अमेरिका के कारण गिरती संयुक्त राष्ट्र संघ की साख!

जिस प्रकार ग़ज़्ज़ा में अवैध इस्राईली शासन द्वारा अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों के समर्थन से सभी मानवाधिकारों और राष्ट्र संघ के प्रस्तावों को पैरों तले रौंदा जा रहा है उसको देखते हुए अब यह कहा जाने लगा है कि अमेरिका की मनमानी और उसकी वर्चस्ववादी नीतियों के कारण जिस प्रकार उसका पतन हो रहा है उसी तरह संयुक्त राष्ट्र संघ पर अमेरिका के लगातार बढ़ते प्रभाव की वजह से इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था की साख मिट्टी में मिलती जा रही है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अवैध इस्राईली शासन के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास होने के बावजूद अमेरिका और उसके सहयोगियों के हस्तक्षेप के कारण कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है। इसी तरह राष्ट्र संघ के महासचवि एंटोनियो गुटेरेस द्वारा बार-बार तेलअवीव से युद्धविराम के लिए गुहार लगाई जाना, इस्राईल के हमलों को पाश्विक हमले क़रार दिया जाना और ज़ायोनी शासन की सैन्य कार्यवाहियों को ग़ैर-क़ानूनी क़रार दिया जाना, इसके जवाब में अवैध ज़ायोनी शासन द्वारा गुटेरेस के ख़िलाफ़ ही मोर्चा खोल देना और उनके इस्तीफ़े की मांग कर डालना, यह सब दर्शाता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ कितना मजबूर है और पूरी तरह अमेरिका और पश्चिमी देशों की कठपुतली बनकर रह गया है। ज़रा इस बात को सोचें कि संयुक्त राष्ट्र की तीन एजेंसियों UNFPA, UNICEF और WHO के क्षेत्रीय निदेशकों ने, ग़ज़्ज़ा के अस्पतालों पर हो रहे हमलों को रोके जाने के लिए, तत्काल अन्तर्राष्ट्रीय कार्यवाही के लिए गुहार लगाई है लेकिन उनकी अपील बस एक आवाज़ बनकर रह गई है, क्योंकि इस्राईल के हर अपराध में अमेरिका बराबर का भागीदार है और उसका संयुक्त राष्ट्र पर राज है, इसलिए तेलअवीव के ख़िलाफ़ किसी को कोई भी कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है।

यूएन जनसंख्या कोष (UNFPA) की अरब देशों के लिए क्षेत्रीय निदेशक लैला बेकर, पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ़्रीक़ा के लिए यूनीसेफ़ की क्षेत्रीय निदेशक ऐडेल ख़ोदर और पूर्वी भूममध्य सागरीय क्षेत्र के लिए WHO के क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर अहमद अल मन्धारी ने रविवार को जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा है, “हम अल शिफ़ा अस्पताल, अल-रनतीसी नासेर बाल अस्पताल और अल-कुद्स अस्पताल के आसपास व इन अस्पतालों पर हो रहे हमलों की नवीनतम ख़बरों पर भयभीत हैं। इन हमलों में बच्चों सहित बहुत से लोगों की मौतें हो रही हैं।” वक्तव्य में कहा गया है कि ग़ज़्ज़ा के उत्तरी इलाक़े में विभिन्न अस्पतालों के आसपास जारी इस्राईल के हमलों ने स्वास्थ्य कर्मचारियों, घायलों और अन्य मरीज़ों तक सुरक्षित पहुंच को बाधित कर रखा है।

ग़ज़्ज़ा की इस मासूम बच्ची की आंखों ेमें इतना दर्द छिपा है कि इसको देखकर किसी भी इंसान का दिल फट सकता है।

इन यूएन क्षेत्रीय निदेशकों ने कहा है कि अल शिफ़ा अस्पताल में, समय से पूर्व पैदा होने वाले और जीवनरक्षक सहायता पर निर्भर नवजात शिशुओं की मौतें, बिजली, ऑक्सीज़न और पानी ठप हो जाने के कारण हो रही हैं, जबकि अन्य बहुत से बच्चों पर ख़तरा है। इस पूरे बयान को पढ़ने के बाद आप क्या सोच रहें हैं, यही न कि ग़ज़्ज़ा फ़िलिस्तीनी बच्चों के लिए क़ब्रगाह बनता जा रहा है, यही शब्द संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी कहा था। लेकिन इस्राईल है कि हमले करते जा रहा है बच्चों का नरसंहार करता जा रहा है, जानते हैं क्यों? क्योंकि उसके सिर पर अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों का हाथ है, उनके पास वीटो पॉवर है। यानी उनके पास हर किसी भी तरह का ज़ुल्म करने का लाइसेंस है और वह भी अगर मुसलमानों पर किया जा रहा हो तो और अधिक छूट मिलती है। (RZ)    

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