Dec २०, २०२३ १५:१० Asia/Kolkata

रूस के प्रधानमंत्री ने अपनी चीन यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों के विकास को मॉस्को और बीजिंग के लिए फ़ायदेमंद क़रार दिया है।

रूस के प्रधानमंत्री मीख़ाइल मिशुस्तीन ने बीजिंग में आयोजित रूस और चीन के राष्ट्राध्यक्षों की 28वीं नियमित बैठक में इस बात पर ज़ोर दिया कि मॉस्को और बीजिंग के बीच संबंधों का विस्तार, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में दोनों देशों के हितों को पूरा करता है।

इस तथ्य के बावजूद है कि पश्चिम ने कल्पना भी नहीं की थी कि चीन और रूस के बीच रणनीतिक मतभेदों के कारण उनके संबंध, इस हद तक विकसित हो जाएंगे कि यह अमेरिका और पश्चिम के लिए बड़ी चिंता का विषय बन जाएगा।

निस्संदेह, यूक्रेन संकट और रूस और चीन पर अमेरिकी सैन्य और आर्थिक दबाव में तेज़ी, मॉस्को-बीजिंग संबंधों को और भी निकट लाने का कारण बना है जबकि अमेरिका ने रूस और चीन के बीच मतभेद पैदा करने के लिए यूक्रेन संकट का उपयोग करने की बहुत कोशिश की। अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के विशेषज्ञ लुचाओ कहते हैं कि

रूस और चीन यथार्थवादी नीति अपनाकर और कुछ मतभेदों को दूर करके सभी क्षेत्रों में दो महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बन रहे हैं। यही कारण है कि अमेरिका द्वारा रूस को यूक्रेन संकट में डालने की नीति सफल नहीं हुई है और साथ ही अमेरिका ने आर्थिक, राजनीतिक और यहां तक ​​कि सैन्य दबाव भी चीन के रास्तों को रोकने में कामयाब नहीं हुआ।

रूस के प्रधानमंत्री मीख़ाइल मिशुस्तीन ने चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग से अपनी मुलाक़ात में बताया कि रूसी राष्ट्रपति विलादीमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस साल दो बार एक-दूसरे से मुलाकात की। उनका कहना था कि मॉस्को और बीजिंग के बीच संबंध इतिहास में अपने चरम पर हैं और इन रिश्तों को जितना संभव हो उतना विस्तारित करने से उनके दीर्घकालिक लाभ हासिल होंगे।

मॉस्को और बीजिंग के बीच संबंध अधिक से अधिक विकसित हो रहे हैं जबकि अमेरिका को उम्मीद थी कि चीन, रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों में शामिल होगा जो न केवल व्यवहारिक हुआ बल्कि सबसे अधिक आबादी वाले देश और अर्थव्यवस्था के मामले में दूसरी अर्थव्यवस्था के रूप में चीन की उम्मीदों पर खरा उतरा है जबकि इस संबंध में पश्चिम विशेष रूप से अमेरिका की ओर से उसे नकारात्मक उत्तर मिला है।

अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ जेम्स ब्रैडी कहते हैं कि अमेरिका की मुख्य चिंता चीन की बढ़ती शक्ति और अमेरिका के वैश्विक आधिपत्य का विनाश है और साथ ही चीन और रूस के बीच संबंधों को मज़बूत करने से चीन की शक्ति भी काफ़ी बढ़ेगी जबकि  इसका अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है। (AK)

 

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