Jan ०८, २०२४ १३:३७ Asia/Kolkata
  • संयुक्त सेना बनाने की दिशा में यूरोप, अमरीका और रूस की महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया

इटली के विदेश मंत्री एंटोनियो टाजानी ने एक इंटरव्यू में कहा कि यूरोप को चाहिए कि अपनी संयुक्त सेना बनाए जो शांति की स्थापना और झड़पों को रोकने में अपनी भूमिका निभाए। ताजानी ने यह भी कहा कि रक्षा के क्षेत्र में यूरोपीय देशों का आपसी सहयोग उनकी अपनी पार्टी की प्राथमिकता भी है, अगर हम चाहते हैं कि दुनिया में शांति के रक्षक बनें तो एक यूरोपीय सेना की हमें ज़रूरत है।

उनका कहना था कि इस दुनिया में जिसमें चीन, अमरीका, भारत और रूस जैसे बड़े खिलाड़ी मध्यपूर्व से लेकर भारत और प्रशांत के इलाक़े तक भूमिका निभा रहे हैं, इटली, फ़्रांस या स्लोवेनिया के नागरिकों के लिए बस यही ज़िम्मेदारी है कि यूरोपीय संघ की रक्षा करें।

यूरोपीय संघ और नैटो के सदस्य के रूप में इटली की यह मांग कि यूरोपीय देशों की संयुक्त सेना बने दरअस्ल यूक्रेन रूस जंग से पहले भी इटली की ओर से उठाई जाने वाली इसी मांग की अगली कड़ी है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के शासन काल में ही इटली ने नैटो के बारे में वाशिंग्टन की आलोचनाओं को देखते हुए कहा था कि यूरोपीय देशों की अलग संयुक्त सेना होनी चाहिए।

यूरोप के मख्य देशों यानी फ़्रांस और जर्मनी ने भी यह निष्कर्ष निकाल लिया है कि ट्रम्प के एकपक्षीय रवैए को देखते हुए अब ज़रूरी हो गया है कि यूरोपीय देश रक्षा के क्षेत्र में अपने पांव पर खड़े हों और यूरोप अपनी सुरक्षा की चिंता ख़ुद करे। ट्रम्प बार बार ज़ोर दे रहे थे कि यूरोपीय देश नेटो में रक्षा बजट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएं। ट्रम्प यह धमकी भी दे रहे थे कि अमरीका नेटो से बाहर निकलने पर विचार भी कर सकता है यह यूरोपीय देशों के लिए भारी चिंता की बात थे जिससे वे अमरीका के दबाव में आ जाते थे।

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुलए मैक्रां ने जनवरी 2019 में कहा कि यूरोपीय सेना का गठन और एक अलग सुरक्षा ढांचे का निर्माण किया जाना चाहिए। इस पर ट्रम्प ने बहुत तीखी प्रतिक्रिया दिखाई थी। वहीं उस समय की जर्मन चांसलर ने इस विचार का समर्थन किया था। 22 जनवरी 2019 को जर्मनी में दोनों देशों के बीच इसी संदर्भ में एक समझौता भी किया था।

जनवरी 2021 में जो बाइडन के अमरीका का राष्ट्रपति बन जाने के बाद नेटो के बारे में अमरीका का रवैया बदला लेकिन बाइडन सरकार भी यही चाहती है कि यूरोपीय देश नेटो के बजट के सिलसिले में अधिक ज़िम्मेदारी स्वीकार करें। फ़रवरी 2022 में यूक्रेन जंग शुरू हो गई तो अमरीका ने सरग़ना जैसा रोल अदा करने की कोशिश की और यूरोप में अमरीका की सैनिक उपस्थिति भी बढ़ गई और यूरोप अमरीका पर काफ़ी हद तक निर्भर हो गया जो वाशिंग्टन की पुरानी ख्वाहिश भी थी।

यूरोप को अमरीका वैसे तो अपना क़रीबी घटक और आर्थिक सहयोगी मानता है मगर उसकी हमेशा कोशिश रही है कि यूरोप आर्थिक और सामरिक क्षेत्रों में आत्म निर्भर न होने पाए। यही वजह है कि यूरोपीय सेना के गठन के बारे में बाइडन कर नज़रिया भी इसी प्रकार का होगा।

इस समय इटली जो नेटो और यूरोपीय संघ का अहम सदस्य है पुरज़ोर तरीक़े से मांग कर रहा है कि यूरोपीय सेना का गठन किया जाना चाहिए जो फ़्रांस और जर्मनी की भी मांग है।

अहम बात यह है कि रूस ने जो यूक्रेन से जंग कर रहा है जिसे अमरीका का भारी समर्थन हासिल है, संयुक्त यूरोपीय सेना के गठन का विरोध किया है। रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाख़ारोवा ने कहा कि यूरोप को चाहिए कि सेना बनाने के बजाए वैक्सीन बनाने के बारे में सोचे या यह सीखे कि अपनी सीमाओं की इंसानी तरीक़े से कैसे रक्षा की जाती है।

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