Apr १५, २०२४ १९:४३ Asia/Kolkata
  • इस्लामोफोबिया के विरुद्ध प्रदर्शन
    इस्लामोफोबिया के विरुद्ध प्रदर्शन

एंटी सेमीटिज़्म या यहूदी विरोधवाद का मुक़ाबला करने के लिए यूरोप की गंदी स्ट्रैटेजी, इस्लमोफ़ोबिया है।

एंटी सेमीटिज़्म और इस्लामोफोबिया, एक ही सिक्के के दो रुख़ हैं।  एंटी सेमीटिज़्म के विरुद्ध संघर्ष में यूरोपीय नेता एक नक़ली लड़ाई के अन्तर्गत 30000 से अधिक फ़िलिस्तीनियों की हत्या को इस्राईल के लिए वैध मान रहे हैं।  यह चीज़, नस्लवाद और नस्ली भेदभाव के विरुद्ध लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष में एक नई पहल है।

श्वेत यूरोपीय लोगों के नस्ली दृष्टिकोण के हिसाब से यहूदियों के निकट विरोधवाद और इस्लामोफोबिया को हमेशा जुड़वां भाई माना जाता रहा है।  एतिहासिक दृष्टिकोण से यूरोप में समस्त श्वेत और ईसाई महाद्वीप के लिए वहां से मुसलमानों और यहूदियों दोनों को जबरन निकालना ज़रूरी हो गया है।

इस्राईल के जन्म से इस दृष्टिकोण ने अधिक हिंसक और विचित्र रूप धारण कर लिया है।  इस्राईल की स्थापना वास्तव में एक यहूदी परियोजना होने के बजाए श्वेत यूरोपीय राष्ट्रवाद पर आधारित एक ज़ायोनी परियोजना थी।  इस्राईल के जन्म के साथ ही यहूदरियों को नए सिरे से गोरे के रूप में गिना जाने लगा।  कई यूरोपीय राजनेता तो आज भी इस्राईल को उस नव स्थापित यहूदी-ईसाई परंपरा के हिस्स के रूप में स्वीकार करते हैं जो 1948 से चली आ रही है।

1948 के बाद से यहूदियों को इस्राईल के लिए ज़बरदस्ती पलायन पर विवश किया गया

क्या ज़ायोनी विरोधी होना, यहूदी विरोधी होना है?

सन 2019 में जर्मनी की कई पार्टियों की ओर से एक प्रस्ताव पारित हुआ था जो BDS  के आधार पर बहिष्कार, विनिवेश और प्रतिबंध आन्दोलनों को यहूदी विरोधी बताता है।  हालाकिं इससे पहले ही एक अन्य घटना हुई जो IHRA अर्थात अन्तर्राष्ट्रीय होलोकास्ट संगठन की  परिभाषा की स्वीकृति देते हुए उसका समर्थन थी।

यह क़दम इतना अधिक हास्यास्पद था कि 100 अन्तर्राष्ट्रीय सामाजिक संगठनों ने पत्र के माध्यम से राष्ट्रसंघ से मांग की थी कि इस परिभाषा को रद्द किया जाए।  इसका कारण यह था कि उनके हिसाब से दस परिभाषा के माध्यम से इस्राईल की सुरक्षा के लिए उसकी आलोचनाओं का दुरूपयोग किया जाएगा।

आईएचआरए की परिभाषा के हिसाब से इस्राईल की किसी भी प्रकार की आलोचना को यहूदी विरोधावाद माना जाएगा जिसके परिणाम स्वरूप अमरीका और यूरोप में इस्राईल के बारे में किसी भी प्रकार की आलोचना, भाषण या शांतिपूर्ण विरोध का दमन किया जाएगा।

यूरोपीय संघ और यूरोपीय परिषद के अतिरिक्त युरोपीय संघ के कुछ सदस्य देशों ने भी इस परिभाषा को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया है जिनमें आस्ट्रिया,बेल्जियम, बुल्गारिया, क्रोवासी, चेक गणराज्य, डेनमार्क, स्टोनिया, फ़िनलैंण्ड, फ्रांस, जर्मनी, यूनान, हंगरी, इटली, लैटविया, लिथुआनिया, हालैण्ड, पोलैण्ड, पुर्तगाल रोमानिया, स्लोवाकी, स्पेन और स्वीडन आदि शामिल हैं।

हालांकि आईचआरए की परिभाषा, क़ानूनी हिसाब से तो बाध्यकारी नहीं है किंतु यही परिभाषा, एक प्रकार से निकट भविष्य में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर रोक बन जाएगी।

7 अक्तूबर की घटना के बाद यहूदी विरोधावाद से संघर्ष

सात सितंबर की घटना के बाद यूरोपीय आयोग की चेतावनी के बावजूद संचार माध्यमों के अनुसार यूरोप महाद्वीप पर यहूदी विरोधावाद और इस्लामोफोबिया की घटनाओं में तेज़ी देखी गई है।  हालाकि बहुत से यूरोपीय देशों ने ज़ायोनियों पर हमास के हमले की आलोचना की है जबकि इन्ही देशों ने ग़ज़्ज़ा में इस्राईल के हाथों फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार का समर्थन किया है।

अब जबकि यूरोपीय सरकारें ज़ायोनी शासन के साथ अपना समर्थन दर्शाने के लिए सरकारी इमारतों को इस्राईल के झंडे से सजा रही हैं एसे में फ़िलिस्तीन का ध्वज लोगों द्वारा विभिन्न यूरोपीय नगरों में लहराया जा रहा है।  वहां पर फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में रैलियों पर रोक लगाते हुए उनका दमन किया जा रहा है।

ब्रसल्ज़ में यूरोपीय संघ का मुख्यालय

इस्राईल विरोधी नीतियों का दमन

योरोप के नेता फ़िलिस्तीनियों के हमले में 1400 लोगों की हत्या और कुछ अन्य की गिरफ़्तारी को तो महत्व दे रहे हैं किंतु वे ग़ज़्ज़ा में इस्राईल के हाथों 30000 से अधिक फ़िलिस्तीनियों की शहादत को पूरी तरह से अनेदखा कर रहे हैं।  विडंबना तो यह है कि फ़िलिस्सतीनियों के समर्थन को अपराध बताया जा रहा है।

अदनिये शिब्ली जैसी फ़िलिस्तीनी लेखिका को फ्रैंकफोर्ट की मश्हूर किताबों की प्रदर्शनी में आमंत्रित नहीं किया जाता और सोशल मीडिया पर फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में पोस्ट लिखने के कारण अनवर अलग़ाज़ी जैसे फुटबालिस्ट को प्रतिबंधित कर दिया जाता है।

इस्लाम विरोधी फ़्रांसीसी गृहमंत्री गेराल्ड डर्मेनिन ने पहले तो फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में किये जाने वाले प्रदर्शनों को ग़ैर क़ानूनी बनाने का प्रयास किया और बाद में इस दलील के साथ उसे प्रतिबंध कर दिया जो उन्ही के कथनानुसार आम व्यवस्था में यह विघ्न है।  इसी के साथ उन्होंने उन विदेशियों को देश से बाहर निकालने की धमकी भी दी जो फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में निकाली जाने वाली रैलियों में हिस्सा लेंगे।

फ़्रांसीसी गृहमंत्री गेराल्ड डर्मेनिन

पहले तो फ्रांसीसी पुलिस ने विरोध प्रदर्शनों को आंसूगैस और पानी छिड़कने वाली मशीनों के माध्यम से कुचलने के भरसक प्रयास किये किंतु फ़िलिस्तीनियों के समर्थक नहीं रूके और फ्रांसीसी पुलिस की दमनात्मक कार्यवाहियों के बावजूद उन्होंने व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।

इसी प्रकार की घटना जर्मनी में भी घटी।  फ़िलिस्तीनियों के समर्थक वहां पर सड़को पर निकले।  हालांकि उनको परेशान किया गया किंतु उन्होंने अपना काम रोका नहीं।

फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में फ़्रांस में प्रदर्शन

ब्रिटेन के भूतपूर्व गृहमंत्री सुइला ब्रेवमैन ने "नदी स समुद्र तक फ़िलिस्तीन आज़ाद होगा" नामक नारे को अपराध बताया।  दूसरी और जर्मनी के गृह मंत्रालय ने इसको हमास का नारा घोषित किया।  इसीलिए वहां की बारवेरियन स्टेट अटार्नी ने यह नारा अपराध है और यह वैसा ही है जैसे यह कहा जाए कि हिटलर ज़िंदाबाद।

कुल मिलाकर यूरोपीय नेता और वहां के गणमान्य लोग विश्व समुदाय के लिए विनाशकारी सिग्नल भेज रहे हैं।  क्या फ़िलिस्तीनियों की जीवन इस्राईलियों के जीवन से कम है? एसा लगता है कि यूरोपीय नेताओं ने नरसंहार से जो पाठ सीखा है वह यह है कि यह मशहूर नारा कि होलोकास्ट कभी भी दोहराया नहीं जाएगा केवल यहूदियों के लिए है और धरती पर रहने वाले किसी अन्य व्यक्ति के लिए नहीं है।

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