Apr १९, २०२४ १४:४६ Asia/Kolkata
  • क्यों ब्रिटेन का पतन एक मिडियम शक्ति तक हो गया?/ एशिया शताब्दी

पार्सटुडे- ब्रिटेन के पूर्व विदेशमंत्री डेविड मिलिबैंड ने कहा है कि ब्रिक्स के बाद ब्रिटेन का प्रभाव खत्म हो गया है और वह केवल विश्व की दसियों मिडियम शक्तियों में से एक हो गया है।

ब्रिटेन के पूर्व विदेशमंत्री मिलिबैंड इस समय अंतर्राष्ट्रीय बचाव समिति के अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक हैं।

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को उल्टा करने के लिए ब्रिटेन को चाहिये कि वह अपनी विदेशनीति के संबंध में यूरोपीय संघ के साथ नये समझौते और नये तानाबाने को उत्पन्न करे। उन्होंने का कहा कि नाटो में हमारा संबंध मज़बूत है मगर यूरोपीय संघ के साथ हमारा लगभग कोई संबंध नहीं है।

डेविड मिलीबैंड ने इसी प्रकार कहा कि जारी वर्ष के अंत में डोनाल्ड ट्रम्प के एक बार फिर अमेरिका का राष्ट्रपति बन जाने की स्थिति में ब्रिटेन के पतन की प्रक्रिया और तेज़ हो जायेगी। उनका मानना है कि अगर चुनाव में दूसरी बार जो बाइडन विजयी भी हो जाते हैं तब भी अमेरिका के सामने वैश्विक रणनीतिक नेतृत्व प्रदान करने के बारे में गम्भीर चेतावनियां व अलामते हैं।

 

समाचार पत्र गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन के पूर्व विदेशमंत्री ने कहा कि यूरोपीय संघ यूक्रेन के लिए हथियार भेज रहा है, उसने यूक्रेन के 60 लाख लोगों को पनाह दे रखी है और विकास का वह अस्ली खिलाड़ी है साथ ही वह G20 में मौजूद है और व्यापार व जलवायु के क्षेत्र में एक बड़ी शक्ति है इन सबके बावजूद हमें अपने सोचने की शैली को बदलने की ज़रूरत है और हमें यह जान लेना चाहिये कि रूस के संबंध में ब्रिटेन की नीति यूरोपीय संघ से भिन्न, अलग और कमज़ोर है और वह कम प्रभावी है और चीन के बारे में भी यही हाल है। इस आधार पर यूरोपीय संघ के साथ संबंधों और विदेश नीति में परिवर्तन होना चाहिये और विदेशनीति, रक्षा, सुरक्षा और बहुत से संयुक्त विषयों के संबंध में बुनियादी नीति बनाई जानी चाहिये।

 

ब्रिटेन के पूर्व विदेशमंत्री मिलीबैंड कहते हैं कि ब्रिक्स का एक विचार यह था कि ब्रिटेन का भविष्य दूसरे देशों से लेनदेन के बजाये खुद अपने फैसलों पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि जानसन की सरकार ने ब्रिटिश नीति निर्धारकों के लिए मौजूद खतरे को दर्शा दिया है और बढ़ते वैश्विक ख़तरों, शक्तिशाली, चतुर, कुशल नेताओं के प्रभुत्व वाली दुनिया में ब्रिटेन की ताक़त और स्थिति के बारे में भ्रमपूर्ण सोच बढ़ रही है हमें अपनी शक्ति की वास्तविकताओं को सोचना चाहिये जैसाकि वह आज है न अतीत में कैसी थी। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि हमारे पास सऊदी अरब का बजट नहीं है, फ्रांस में यूरोप का लंगर, क्षेत्रीय सक्रियता, तुर्किये द्वारा जोखिम मोल लेना या भारत या इंडोनेशिया की जनसंख्या की ताकत नहीं है। हम विश्व व्यस्था में एक मिडियम शक्ति हैं।

 

इसी प्रकार ब्रिटेन के पूर्व विदेशमंत्री ने कहा कि हमारी सम्पत्ति, सैनिक शक्ति और दूसरों की अपेक्षा हमारी शोहरत पहले से कम हो गयी है और ज़रूरी आर्थिक हितों से लेकर जलवायु संकट, राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकास बदतर हो जायेगा मगर यह कि हम काम व प्रयास करें।

सामान्य दलीलः विश्व एक ग़ैर सुरक्षित असंतुलन की ओर आगे बढ़ रहा है और ब्रिटेन कुछ महत्वपूर्ण गलतियों की प्रक्रिया की ओर है। MM

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