May १२, २०२४ १२:४९ Asia/Kolkata
  • यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि का बयान, संभव है यूरोप मर जाए
    यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि का बयान, संभव है यूरोप मर जाए

पिछले 40 वर्षों के दौरान चीन ने जो कुछ किया वह मानव इतिहास में अद्वितीय है। 

पार्सटुडे- हम यूरोपीय, अपने पड़ोस में दोस्तों का एक समूह तैयार करना चाहते थे लेकिन उसकी जगह पर अब हम जो देख रहे हैं वह आग का एक गोला है।

यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि जोज़ेफ़ बोरेल ने ब्रिटेन की आक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में 3 मई को अपने संबोधन के दौरान विश्व के महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार रखे जिनमें यूक्रेन युद्ध, फ़िलिस्तीन संकट, अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था, चीन की उभरती शक्ति और सुरक्षा की दृष्टि से अमरीका पर यूरोप की निर्भर्ता को कम करने जैसे विषय शामिल थे।  इस भाषण का कुछ भाग यूरोपीय वेबसाइट EEAS पर मौजूद है।

जोज़ेफ़ बोरेल कहते हैं कि शीत युद्ध के बाद जिस अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था की हमको आदत हो चुकी थी वह अब मौजूद नहीं है।  अमरीका की हेग्मोन पोज़ीशन समाप्त हो चुकी है।  1945 के बाद की बहुध्रुवीय व्यवस्था अपना स्थान खो चुकी है।  चीन के महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।  पिछले 40 वर्षों के दौरान चीन ने जो कुछ किया वह मानव इतिहास में अद्वितीय है।  पिछले तीन दशकों में विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में चीन की भागीदारी 6 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 20 प्रतिशत हो चुकी है।  जबकि हम यूरोपियन 21 प्रतिशत से 14 प्रतिशत और अमरीका 20 प्रतिशत से 15 प्रतिशत की ओर बढ़े हैं।  आर्थिक परिदृष्य में यह एक नाटकीय बदलाव है।

अब चीन हमारे और अमरीका के लिए एक प्रतिस्पर्धी के रूप में बदल रहा है।  वह न केवल सस्ती चीज़ों के उत्पादन में बल्कि एक सैन्य शक्ति के रूप में भी।  वह प्रोद्योगिकी विकास तथा विनिर्माण के क्षेत्र में भी आगे की ओर बढ़ता जा रहा है।  चीन ने रूस के साथ बिना किसी सीमा के दोस्ती शुरू कर दी है।  इसी बीच कुछ मिडिल पावर्स वुजूद में आ रही हैं।  यह शक्तियां, महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनती जा रही हैं।  चाहें वे ब्रिक्स के सदस्य देश हों या फिर ग़ैर ब्रिक्स के।  उनमें बहुत ही कम समानताए हैं। 

वे अपने विकास के लिए अधिक फ़ाएदे की तलाश मे हैं।  इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वे अपने स्वावलंबन को कम से कम स्तर पर पहुंचा सकते हैं।  वे किसी का पक्ष लेना नहीं चाहते।  इस बारे में वे अपने हिसाब से किसी का समर्थन करेंगे।  हम यूरोपीय, अपने पड़ोस में दोस्तों का एक समूह तैयार करना चाहते थे लेकिन उसकी जगह पर अब हम जो देख रहे हैं वह आग का एक गोला है।  यह आग का गोला साहिल, मध्यपूर्व और काकेशिया से होता हुआ यूक्रेन युद्ध में पहुंच चुका है।

लाल सागर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हम यूरोपीय संघ के सैनिक मिशनों में शामिल हैं।  इसी तरह से दो जंगे हैं जिनमें लोग, अपनी मातृभूमि के लिए युद्ध कर रहे हैं।  इससे पता चलता है कि भूगोल वापस आ रहा है।  हमको बताया गया है कि वैश्वीकरण ने भूगोल को अप्रसांगिक बना दिया है, लेकिन नहीं।  हमारे क्षेत्र की अधिकांश झड़पें, भूमि से संबन्धित हैं।  फ़िलिस्तीन के सरज़मीन के बारे में दो लोगों से वादा किया गया है।  यूक्रेन के बारे में दुनिया के चौराहे पर एक ज़मीन जिसपर कोई उसे अपनी बताता है तो कोई दूसरा अपनी।  ज़मीन के लिए इस संघर्ष में ख़ून बहुत कह जाएगा।

इसी के साथ हम वैश्विक रुझानों में तेज़ी देख रहे हैं।  जलवायु परिवर्तन अब भविष्य की कोई समस्या नहीं रह गई है।  वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन, आज यहां पर है कल नहीं होगा।  सब लोग आर्टिफ़िशिएल इंटैलिज़ेंस जैसे तकनीकी परिवर्तनों के बारे में बातें कर रहे हैं।  वे एसे परिवर्तन पैदा कर रहे हैं जिनको हम पूरी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं।

जनसंख्या भी बहुत तेज़ी से बढ़ रही है।  जब में जनसंख्या में संतुलन के बारे में बात कर रहा हूं, पलायन के बारे में बातकर कर रहा हूं विशेषकर अफ्रीका के बारे में जहां पर विश्व के 25 प्रतिशत लोग जीवन गुज़ारेंगे।  सन 2050 तक दुनिया के हर चार लोगों में से एक, अफ़्रीका में ज़िंदगी गुज़ार रहा होगा।  वर्तमान समय में हम दुनिया में असमानता, लोकतंत्र में गिरावट और आज़ादी के लिए उत्पन्न ख़तरों को देख रहे हैं।

यह फोटो] 1930 के दशक के सेनेगाल का है जब वह फ्रांस का उपनिवेश था

इस फोटो में एक यूरोपियन को देखा जा सकता है जिसको अपने कांधों पर लादकर कई अफ्रीकी उसको नदी पार करवा रहे हैं और वह बहुत आराम से कुर्सी पर बैठा हुआ है। 

इस पृष्ठभूमि में यूरोप और ब्रिटेन की भूमिका की व्याख्या की जानी चाहिए।  पता नहीं इसमें हमारी भूमिका कहां पर होगी? हमे अब यह सुनाई दे रहा है कि संभव है यूरोप ही मर जाए।  ठीक है।  हम क्या कर सकते हैं?                      

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