Jun ०९, २०२४ १६:१७ Asia/Kolkata
  • इस्राईली ट्रोल्स सोशल मीडिया पर इस तरह से फैलाता है नफ़रत /हिंदु मुस्लिम करवाता है दंगे
    इस्राईली ट्रोल्स सोशल मीडिया पर इस तरह से फैलाता है नफ़रत /हिंदु मुस्लिम करवाता है दंगे

पार्सटुडे - ज़ायोनी शासन पिछले कुछ वर्षों से हजारों सोशल मीडिया ट्रोल्स को ट्रेंड कर रहा है जो जाली आईडी से नफ़रत की जंग शुरु कराना चाहते हैं।

ट्रॉल (Troll) इंटरनेट स्लैंग में ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है जो किसी ऑनलाइन समुदाय जैसे चर्चा फोरम, चैट रुम या ब्लॉग आदि में भड़काऊ, अप्रासंगिक तथा विषय से असम्बंधित सन्देश प्रेषित करता है।

इस्राईल के "ट्रोल फ़ार्म्स" (Troll Farm) के बारे में चेतावनी देते हुए, निम्न फ़ोटो 2016 में ऑनलाइन जारी की गई थी।

ट्रोल फ़ार्म में व्यक्तियों की organized teams शामिल हैं जो counterfeit online profiles बनाने में माहिर हैं, रणनीतिक रूप से पूर्वकल्पित संदेशों के साथ social media platforms और internet forums को संतृप्त करते हैं। इसमें किसी विशिष्ट राजनेता की सराहना करना या सरकार की आलोचना करने वालों को निशाना बनाना शामिल हो सकता है। एक synchronized approach अपनाते हुए, वे एक-दूसरे की post को साझा करके या उस पर प्रतिक्रिया देकर सहयोग करते हैं, जिससे एक prevalent perspective का मुखौटा तैयार होता है। कुछ मामलों में, वैध विज्ञापन और जनसंपर्क कंपनियाँ एक सेवा के रूप में ट्रोलिंग भी प्रदान करती हैं।

Trolling का यह रूप विशेष रूप से Facebook जैसे platforms पर प्रभावी है, जिसमें लगभग 3 बिलियन व्यक्तियों का एक व्यापक उपयोगकर्ता आधार है, जो एक algorithm के साथ संयुक्त है जो अधिक उपयोगकर्ताओं के समाचार feeds पर अपनी दृश्यता को बढ़ाकर लोकप्रिय सामग्री को प्राथमिकता देता है। Troll Farms द्वारा नियोजित strategies ने उल्लेखनीय प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया है, इस हद तक कि 2020 के चुनाव की अगुवाई में, उनकी सामग्री हर महीने 140 मिलियन अमेरिकी उपयोगकर्ताओं के साथ जुड़ने में कामयाब रही।

13  हज़ार युवा ज़ायोनी ट्रोल फ़ार्म में व्यस्त हैं

 

ज़ायोनी शासन ने गर्व से एक परियोजना की शुरुआत का एलान किया जिसमें इस्राईल दुनिया और सोशल मीडिया पर लोगों की नज़र में इस शासन की छवि सही करने के मक़सद उद्देश्य से 13 हज़ार जवानों को ट्रेनिंग देता है।

इस ग्रुप की ज़िम्मेदारी को "हस्बरा" (हिब्रू): הַסְבָּרָה) ) कहा जाता है जो आम तौर पर "समझाने" के अर्थ में होती है।

क्योंकि हस्बरा व्यक्तिगत या ग्रुप प्रदर्शन के बारे में स्पष्टीकरण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करता है, इसे "प्रतिक्रियाशील और घटना-उन्मुख दृष्टिकोण" कहा गया है।

संचार रणनीति के रूप में इस परियोजना का उद्देश्य, आम तौर पर फ़िलिस्तीन में इस्राईल के अपराधों को उचित ठहराना है।

2016  में ही कई चेतावनियां दी गई थीं कि इंटरनेट पर आपसे इस्राईल और फ़िलिस्तीन पर चर्चा करने वाले 90 प्रतिशत ट्रोल ज़ायोनी शासन से जुड़े ट्रेंड और पेशेवर लोग हैं।

वर्चुअल ट्रोल्स में से एक का ट्वीट, जो फ़ारसी में ज़ायोनी शासन को इस्लामी गणतंत्र ईरान के विरोधियों को सैन्य सहायता प्रदान करने के लिए न्योता दे रहा है

 

इस्राईलियों ने दुनिया के कुछ विध्वंसक और आतंकवादी हैकिंग ग्रुप्स को मनोवैज्ञानिक संचालन का प्रशिक्षण देने का भी काम किया है।

इन ग्रुप्स में से एक एमकेओ आतंकी संगठन है जिसने इस्राईलियों के अनुभव का इस्तेमाल करके अल्बानिया में उसी जैसा ट्रोल फार्म बनाया है।

सैन्य क्षेत्र में असफल होने के बाद यह ग्रुप "कीबोर्ड आर्मी" (Keyboard Army) बन गया है।

एमकेओ के सदस्य मनोवैज्ञानिक युद्ध शुरू करके लोगों के दिमाग़ से ईरान के ख़िलाफ़ अपने अपराधों और धोखे की घटनाओं को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं।

मनोवैज्ञानिक युद्ध में ज़ायोनी शासन के सक्रिय संस्थानों में से एक साइबर यूनिट 8200 है, जो इस्राईली सेना (आमान) के ख़ुफ़िया संगठन के एक उप ग्रुप के रूप में जासूसी, यूज़र्स की निगरानी और उनकी जानकारी एकत्र करने, हैकिंग सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक इव्सड्रॉपिंग, डिकोडिंग कोड और डिजिटल कोडिंग वग़ैरा की ज़िम्मेदार है। ऐसा कहा जाता है कि 8200 यूनिट के पास इस्राईली रक्षा मंत्रालय में सैनिकों और श्रमबलों की सबसे बड़ी संख्या है। इस संगठन के ज़्यादातर सदस्य 16 से 18 साल के किशोर हैं।

एक ट्रोल ने ट्वीट में कहा कि आपको "ग़ज़ा-ग़ज़ा" कहने वाले विश्वविद्यालयों पर ध्यान नहीं देना चाहिए और फ़िलिस्तीनियों को तबाह कर देना चाहिए

 

जिन लोगों को 8200 यूनिट में भर्ती किया गया है, वे फ़ारसी सहित विभिन्न देशों की भाषाओं को अच्छी तरह से जानते हैं।

रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि इस्राईली सेना, ईरान सरकार के ख़िलाफ सोशल मीडिया पर ज़हर घोलने के लिए अपने सैनिकों को प्राथमिक विद्यालय से फारसी भाषा सिखाती है।  

8200  यूनिट के सदस्य सोशल मीडिया यूज़र्स की आड़ में ईरान सहित विभिन्न देशों में अफवाहें फैलाने, कामेंट्स करने, ईरान सरकार के राजनीतिक आंकड़ों के ख़िलाफ़ मीडिया लहर बनाने, दुनिया में ईरान के साम्राज्यवादी विरोधी नज़रिए को कमजोर करने और धार्मिक और राजनीतिक संघर्ष पैदा करने में व्यस्त हैं।

वे ज़ायोनी विचारों को बढ़ावा देने, मुस्लिम जगत को प्रभावित करने और कलह पैदा करने, मुसलमानों की संस्कृति और नज़रिए में ज़हर घोलने और नैतिक, मानवीय और वैचारिक मूल्यों पर हमला करने का भी प्रयास करते हैं।

ज़ायोनियों के सोशल मीडिया ट्रोल्स में से एक का ट्वीट, जो फ़ारसी भाषा में इस्राईल के अपराधों का प्रोपेगैंडा करते हैं और उनको उचित ठहराने की कोशिश करता है

 

उनकी एक टेक्नालाजी दूसरे समूह के नाम पर एक ग्रुप के नज़रिए पर हमला करना है। मिसाल के तौर पर इनमें से कुछ ट्रोलर हिंदु यूज़र्स को मुस्लिम बनकर धमकाते हैं तो कुछ मुस्लिम यूजर्स को हिंदु के नाम पर धमकाते हैं ताकि वे भी जवाबी हमला करें।

कीवर्ड्स: ट्रोल का क्या मतबल है?, ट्रोल फ़ार्म्स, ज़ायोनी शासन की साइबर इकाइयां (AK)

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