आजकल के लोकप्रिय आंदोलन: फ़िलिस्तीनियों पर हो रहे ज़ुल्म पर चुप रहने वाली मशहूर हस्तियों को अनफ़ॉलो करना
(last modified Wed, 12 Jun 2024 14:10:34 GMT )
Jun १२, २०२४ १९:४० Asia/Kolkata
  • आजकल के लोकप्रिय आंदोलन: फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ अपराधों के बारे में चुप रहने वाली मशहूर हस्तियों को अनफ़ॉलो करें
    आजकल के लोकप्रिय आंदोलन: फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ अपराधों के बारे में चुप रहने वाली मशहूर हस्तियों को अनफ़ॉलो करें

इस्राईल के बायकॉट के अभियान में आने वाली तेज़ी के बीच ही उन मशहूर हस्तियों और प्रभावशाली लोगों से निपटने के लिए एक और अभियान शुरू किया गया है जो ज़ायोनी शासन के अपराधों पर चुप हैं।

पार्सटुडे के अनुसार, ग़ज़ा पट्टी के निवासियों के ख़िलाफ़ व्यापक अपराधों की वजह से दुनिया में ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ प्रतिरोध के मोर्चे में विस्तार हो रहा है।

दुनिया के राष्ट्र पश्चिम और पूरब में, ख़ुद बा ख़ुद ही इस्राईली वस्तुओं व उत्पादों और इस्राईल के साथ व्यापक संबंध रखने वाली कंपनियों के उत्पादों का बायकॉट करके अवैध इस्राईली शासन की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं। लगभग बीस वर्षों की गतिविधियों के बाद, " बायकॉट, निवेश न करो और प्रतिबंध" अभियान ने एक बार फिर दुनिया के सभी हिस्सों में ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया है।

"इस्राईल के बायकॉट, निवेश न करने और प्रतिबंध आंदोलन" अपने कार्यकर्ताओं से ज़ायोनी शासन के सांस्कृतिक संस्थानों में भाग लेने से दूर रहने की अपील करता है। अभियान में इस्राईली विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों के साथ सहयोग न करने का भी आह्वान किया गया है जिन पर फ़िलिस्तीनियों और अवैध क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों के बारे में अमानवीय कथाओं का समर्थन का शक है।

"इस्राईल के बायकॉट, निवेश न करने और प्रतिबंध आंदोलन" की रणनीतियों में से एक संगीतकारों, कलाकारों और अन्य प्रसिद्ध हस्तियों और लोगों को क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों की यात्रा न करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

पिछले साल नवम्बर की शुरुआत में एम्स्टर्डम में एक मशहूर डाक्युमेंट्री फ़िल्म समारोह के उद्घाटन पर, तीन फ़िलिस्तीनियों ने मोर्चा खोल दिया और उन्होंने एक प्लेकार्ड उठा रखा था जिस पर लिखा हुआ था, "फ़िलिस्तीन समुद्र से नदी तक आज़ाद होगा" जिसके बाद तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज उठा। इस बारे में "हारेत्ज़" अखबार ने एक रिपोर्ट में लिखा: दुनिया में इस्राईल का सांस्कृतिक बहिष्कार या कल्चरल  बायकॉट बढ़ रहा है।

इस्राईल के बायकॉट के अभियान में आने वाली तेज़ी के बीच ही उन मशहूर हस्तियों और प्रभावशाली लोगों से निपटने के लिए एक और अभियान शुरू किया गया है जो ज़ायोनी शासन के अपराधों पर चुप हैं। ग़ज़ा के मुद्दे पर चुप रहने वाली मशहूर हस्तियों के ख़िलाफ़ इस मीडिया अभियान की शुरुआत "मेट गाला" आर्ट प्रोग्राम से हुई।

मेट गाला (Met Gala) फ़ैशन जगत के कलाकारों और डिजाइनरों के लिए एक सालाना कार्यक्रम है जो न्यूयॉर्क में मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट में कॉस्ट्यूम इंस्टीट्यूट (Costume Institute) के लिए धन जुटाने के मक़सद से आयोजित किया जाता है।

कहानी तब शुरू हुई जब इस साल के "मेट गाला" के रेड कार्पेट पर शानदार कपड़ों में हॉलीवुड अभिनेताओं और विश्व प्रसिद्ध गायकों और हस्तियों की तस्वीरों के प्रकाशन से साइबर मीडिया यूज़र्स का गुस्सा भड़क गया क्योंकि उसी समय यह महंगा कार्यक्रम आयोजित किया गया था जब रफ़ह शहर पर ज़ायोनी शासन के हमले की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थीं। कई लोगों ने इस समारोह के आयोजन को ग़ज़ा में हो रहे अपराधों पर पर्दा डालने और उन्हें हाशिए पर धकेलने की कोशिश क़रार दिया।

पूर्व अमेरिकी मॉडल "हेली कलिल" (Haley Kalil) ने ग़ज़ा के बच्चों की भूख के जवाब में कहा: "उन्हें केक खाने दो।"

उनके इस बयान से कई सोशल मीडिया यूज़र्स का ग़ुस्सा भड़क उठा और हेली कलिल का ज़िक्र, डिजिटल जस्टि के गियोटिन में जाने वाली पहली हस्ती के रूप में किया गया।

हेली कलिल एक प्रभावशाली हस्ती और मॉडल हैं जिन्होंने मेट गाला से पहले 18वीं सदी की मैरी एंटोनेट-शैली की पोशाक पहने हुए अपना एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था।

हेली कालिल, बाएं

 

फ़्रांस की क्रांति से पहले इस देश की आख़िरी महारानी मैरी एंटोनेट (Marie Antoinette) को लुईस XVI के तख्तापलट के बाद फ्रांसीसी क्रांतिकारियों गियोटिन द्वारा मार दिया गया था। हेली द्वारा मैरी एंटोनेट के शब्दों का जिक्र करने से सोशल मीडिया यूज़र्स नाराज हो गए।

इतिहास की किताबों में लिखा है कि जब भूख से मर रहे फ्रांसीसियों ने विद्रोह कर दिया, तो वार्सा के महल में मौज-मस्ती और ख़ुशहाली में डूबी महारानी मैरी एंटोनेट ने लोगों के असंतोष का कारण पूछा और जब उन्हें बताया गया कि लोगों ने विद्रोह कर दिया है, उन्होंने पूछा कि लोगों ने क्यों विद्रोह किया, तो उनसे बताया गया कि लोगों के पास खाने को रोटी नहीं है, तो उन्होंने उत्तर दिया, अच्छा! तो फिर बिस्कुट खाएं

सोशल मीडिया यूज़र्स ने "डिजिटल गियोटिन" अभियान में एक दूसरे को जोड़ने के लिए एक दूसरे को शेयर करना शुरु कर दिया है। संयोग से अमेरिकी विश्वविद्यालय के छात्रों के विरोध प्रदर्शन के साथ ही इस अभियान की ताकत और प्रभाव बढ़ गया और अब टिकटॉक, इंस्टाग्राम और एक्स सहित अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर दर्जनों अकाउंट यूज़र्स से "आधुनिक मूर्तिपूजा" यानी मशहूर हस्तियों और सेलेब्रेटीज़ की यानी तारीफ़ बंद करने के लिए कह रहे हैं।

इस आंदोलन का मानना ​​है कि फ़ालोअर्स की संख्या, ज़्यादातर अभिनेताओं और सितारों के प्रभाव और लोकप्रियता की निशानी होती है जिसमें मशहूर हस्तियों के लिए आय उत्पन्न करने की क्षमता होती है और साथ ही उन्हें उनके ब्रांड का हिस्सा माना जाता है, इसलिए अकाउंट्स को ब्लॉक या अनफॉलो करके उन्हें उनकी नैतिक और मानवीय ज़िम्मेदारी का एहसास कराया जा सकता है।

अमेरिकी सिलेब्रेटीज़ अकेले नहीं हैं जिन्हें ज़ायोनी शासन के अपराधों के खिलाफ अपनी चुप्पी के लिए सोशल मीडिया पर रद्द किए जाने और अनफ़ॉलो किए जाने की लहर का सामना करना पड़ रहा है।

इस्राईली सैनिकों के व्यापक अपराधों के बाद क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में भी मशहूर हस्तियों और यहूदी कलाकारों और फिल्म निर्माताओं को कार्यक्रम आयोजित करने और अपनी कलात्मक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के संकट का सामना करना पड़ा है।

दुनिया के सभी प्रमुख फिल्मी कार्यक्रमों को फिलिस्तीनियों के समर्थन में प्रदर्शनों पर विचार करने के लिए मजबूर किया जाता है ताकि किसी इस्राईली फ़िल्म की उपस्थिति या इस्राईली कलाकारों की उपस्थिति, किसी ज़िल्लत का सबस न बन जाए।

हारेत्ज़ ने इस बारे में लिखा:

क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में वार्षिक कुद्स राइटर्स फेस्टिवल में मेहमानों को आमंत्रित करने और पहले भी इस फेस्टिवल के बारहवें दौर के आयोजन को राजनीतिक कारणों से व्यापक विरोध के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ा है।

हारेत्ज़ अखबार ने विदेश में इस्राईली लेखकों के स्वागत के बारे में भी लिखा: उनकी मेज़बानी के विचार के एक साधारण विरोध से लेकर कार्यक्रमों में उपस्थित की शर्त के रूप में लेखकों को उनके राजनीतिक दृष्टिकोण पेश करने तक, स्थितियां काफ़ी बदल गई हैं।

विदेशी लेखकों, विशेष रूप से युवा लेखकों द्वारा उनकी किताबों के हिब्रू में सीधे अनुवाद और क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में उनके प्रकाशन के व्यापक विरोध का उल्लेख करते हुए, हारेत्ज़ ने लिखा: प्रचलित दृष्टिकोण यह है कि इस्राईल को दुनिया से निकाल दिया गया है और इस्राईली पर्यटक भी अपनी पहचान को अस्वीकार किए जाने से बचाते हैं, वे ख़ुद को छिपा लेते हैं।

कीवर्ड्स: इस्राईली बायकॉट, बायकॉट की ताक़त, ग़ज़ा युद्ध, फ़िलिस्तीन में लड़ाई

 

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