मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंदु चरमपंथी, पाकिस्तान के शिया मुसलमानों के ख़िलाफ़ तकफ़ीरी, पाराचेनार नरसंहार के लिए इस्लामाबाद सरकार ज़िम्मेदार
(last modified Mon, 29 Jul 2024 13:53:54 GMT )
Jul २९, २०२४ १९:२३ Asia/Kolkata
  • मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंदु चरमपंथी, पाकिस्तान के शिया मुसलमानों के ख़िलाफ़ तकफ़ीरी, पाराचेनार नरसंहार के लिए इस्लामाबाद सरकार ज़िम्मेदार
    मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंदु चरमपंथी, पाकिस्तान के शिया मुसलमानों के ख़िलाफ़ तकफ़ीरी, पाराचेनार नरसंहार के लिए इस्लामाबाद सरकार ज़िम्मेदार

पार्सटुडे - पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़ां  प्रांत के कुरम ज़िले के केन्द्रीय शहर पाराचेनार में पांच दिनों से जारी सशस्त्र संघर्ष में 35 लोग हताहत और 160 से अधिक घायल हो गए।

पाकिस्तान के शिया मुसलमानों का कहना है कि इन घटनाओं के ज़िम्मेदार, आतंकवादी गुट और तकफ़ीरी तत्व हैं।

पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर में स्थित और अफ़ग़ान सीमा से लगा "पाराचेनार" इलाक़ा एक बार फिर शिया मुसलमानों और पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के चाहने वालों के ख़िलाफ हिंसा के केन्द्र में तब्दील हो चुका है।

पार्सटुडे के अनुसार, हालिया दिनों में तकफ़ीरी तत्वों द्वारा भारी हथियारों से हमलों और गोलाबारी की वजह से इस इलाक़े की सुरक्षा व्यवस्था बेहद गंभीर हो गई है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, आतंकवादी गुट तहरीके तालिबान पाकिस्तान और लश्करे झंगवी के आतंकियों द्वारा किए गये इन हमलों में शिक्षकों और स्थानीय निवासियों सहित दर्जनों लोग हताहत और घायल हुए हैं।

अरब न्यूज़ के अनुसार, पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान में पांच दिनों से जारी सशस्त्र झड़पों में 35 लोग हताहत और 160 से अधिक घायल हो चुके हैं। मारे गये लोगों में बच्चे, महिलाओं और नौजवान शामिल हैं।  

पाकिस्तान के शिया मुसलमानों का कहना है कि तकफ़ीरी तत्व, आतंकवादी गुटों के साथ मिलकर ज़मीन और खेतों के विवादों के बहाने इस क्षेत्र के शिया निवासियों और स्थानीय मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं।

 

पाकिस्तान सरकार और देश के शिया मुसलमसानों की अनदेखी

 

मजलिसे वहदते मुस्लिम पार्टी के प्रमुख और पाकिस्तान के सीनेटर अल्लामा राजा नासिर अब्बास जाफ़री ने पाकिस्तान की सेना और सरकार से शिया मुसलमानों की सुरक्षा के लिए गंभीर क़दम उठाने और इन अपराधों में लिप्त के अपराधियों को दंडित करने की अपील की है।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार इस संबंध में नाकाम रहती है तो पूरे पाकिस्तान से लोग, पाराचेनार के मज़लूमों के समर्थन के लिए इस इलाक़े की ओर कूच करेंगे जबकि पाकिस्तान सरकार ने क्षेत्र में इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन सेवाओं को बंद करके व्यवहारिक रूप से इस संकट को मीडिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पूरी तरह से छिपा लिया है।

यह कार्रवाई कहीं न कहीं इस बात को ज़ाहिर करती है कि पाकिस्तान की सरकार, देश के शिया मुसलमानों और पाकिस्तानी नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों के प्रति कितनी उदासीन और ग़ैर ज़िम्मेदार है।

दूसरी ओर, प्रदर्शनकारियों ने देश की राजधानी इस्लामाबाद, लाहौर और कराची सहित पाकिस्तान के विभिन्न छोटे बड़े शहरों और क़स्बों में रैलियां निकालकर केन्द्र सरकार से पाराचेनार के शिया मुसलमानों की समस्याओं और पीड़ाओं पर गंभीरता से ध्यान देने की मांग की है।

 

हिंसा की अतीत, शिया मुसलमानों को इलाक़ा छोड़ने पर मजबूर करने के लिए तकफ़ीरी-सुरक्षा तंत्र का युद्ध

 

पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़ां प्रांत के कुरम ज़िले के केन्द्रीय शहर पाराचेनार में पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के अनुयायियों और शिया मुसलमानों पर हिंसाओं और उनकी हत्याओं का इतिहास कोई नया नहीं बल्कि कई साल पुराना है।  

इस क्षेत्र में पहले से ही धार्मिक और सांप्रदायिक गुटों के बीच ख़ूनी संघर्ष होते रहे हैं और इस तरह से कई शिया मुसलमानों की अपनी जानों से हाथ भी धोना पड़ा है।  

सबसे बड़ा और सबसे लंबा युद्ध, 2007 में पाराचेनार में हुआ था जिसके दौरान तकफ़ीरी गुटों ने इस क्षेत्र का घेराव कर लिया था। जनवरी 2012 से जनवरी 2013 तक सिर्फ़ 77 आतंकवादी हमलों में ही 635 शिया मुसलमान शहीद और सैकड़ों अन्य घायल हुए।

ये हमले और हिंसा का बाज़ार, तकफ़ीरी गुटों की वजह से ही गर्म था क्योंकि इस इलाक़े के बाशिंदे और निवासी, शिया मुसलमान हैं।

इस इलाक़े के कई लोग काम करने के लिए दूसरे देशों की ओर चले गए  हैं और अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा, हथियार ख़रीदने और अपने परिवार और कम्युनिटी के लोगों की रक्षा पर ख़र्च करते हैं।

 

मुसलमानों के ख़िलाफ़ चरमपंथी हिंदुओं के रवैये की आलोचना में पाकिस्तान का विरोधाभासी बर्ताव

 

यह पाकिस्तान की सरकार और सुरक्षा एजेन्सियों की लापरवाही और कमी की वजह से है और शायद तकफ़ीरी गुटों के साथ उनके गुप्त संबंधों को भी उजागर करता है जब यह देश मुसलमानों को परेशान करने और उनको हिंसा का शिकार बनाने के कट्टरपंथी हिंदुओं के रवैये का बारम्बार विरोध भी करता है।

जिस तरह पाकिस्तान में इन शिया मुसलमानों के अधिकारों पर अक्सर डांका डाला जाता है, उसी तरह भारत में कट्टरपंथी हिंदुओं और तथाकथित राष्ट्रवादियों द्वारा मुसलमानों के अधिकारों का घोर हनन किया जाता है।

इन हिन्दु कट्टरपंथी गुटों ने मस्जिदों को तबाह व बर्बाद कर दिया और मुसलमानों की गतिविधियों को गंभीर रूप से सीमित कर दिया है। इन कट्टरपंथी गुटों द्वारा अब तक भारत में 3000 से अधिक ऐतिहासिक मस्जिदों को नष्ट कर दिया गया है या उनकी जगहों पर हिंदु मंदिरों का निर्माण कर दिया गया है।

यह स्थिति इस बात को ज़ाहिर करती है कि भारत के धार्मिक अल्पसंख्यक, एक क्षेत्रीय चुनौती का सामना कर रहे हैं जो भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में गंभीर दबाव और व्यवस्थित हिंसा की चक्की में पिस रहे हैं।

दुर्भाग्य से, यह कहना पड़ता है कि हासिल होने वाले सबूतों और दस्तावेज़ों के आधार पर, पाकिस्तान और भारत की सरकारों ने कभी लापरवाही से इन हिंसाओं पर ध्यान नहीं दिया जिसकी वजह से हिंसाओं का दायरा बढ़ गया और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन होता चला गया।

 

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं की ज़रूरत

 

पाकिस्तान के पाराचेनार में शिया मुसलमानों और भारत में मुसलमानों की गंभीर स्थिति पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से त्वरित ध्यान दिए जाने और इन कार्रवाईयों पर तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त किए जाने की ज़रूरत है।

मीडिया की चुप्पी और इन संकटों की अपर्याप्त कवरेज ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की मज़लूमियत को दोगुना कर दिया है और जिसकी वजह से उनके मानवाधिकारों पर ध्यान देने की संभावना पहले से भी ज़्यादा कम हो गयी है।

 

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