अफ़ग़ानिस्तान, अशांति की ओर अग्रसर
(last modified Wed, 27 Jan 2016 13:36:25 GMT )
Jan २७, २०१६ १९:०६ Asia/Kolkata
  • अफ़ग़ानिस्तान, अशांति की ओर अग्रसर

अफ़ग़ानिस्तान में घटने वाली हिंसक घटनाओं से पता चलता है कि यह देश अशांति में मार्ग पर आगे बढ़ रहा है।

हालांकि चीन, अमरीका, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच होने वाली चार पक्षीय बैठकों के बाद इस बात की आशा उत्पन्न हो चली थी कि अफ़ग़ानिस्तान, शांति के मार्ग पर आगे बढ़ेगा किंतु हिंसक कार्यवाहियां करते हुए तालेबान का हेरात की ओर बढ़ना, पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनखा की बाचा ख़ान यूनिवर्सिटी पर तालेबान का हालिया आक्रमण और साथ ही अफ़ग़ानिस्तान में दाइश जैसे आतंकवादी गुट की बढ़ती गतिविधियों से यह समझ में आता है कि यह देश, अशांति की ओर बढ़ रहा है। इसी बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस्लामाबाद और काबुल के बीच सहमति बनी है कि दोनो देशों में से किसी की भी सीमा से दूसरे देश पर आक्रमण की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया है कि वे छापामार गुट जो पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच शांति वार्त के विरोधी हैं उनसे कड़ाई से निबटा जाएगा। हालांकि अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान के बढ़ते आक्रमण और इस्लामाबाद में अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत को तलब किये जाने जैसी बातों से पता चलता है कि इस्लामाबाद और काबुल के संबन्धों में अब भी तनाव पाया जाता है। अफ़ग़ानिस्तान के कुछ टीकाकारों का मानना है कि जब तक चार पक्षीय वार्ता में पाकिस्तान के लक्ष्य पूरे नहीं होते उस समय तक अफ़ग़ानिस्तान में शांति की स्थापना संभव नहीं है। कुछ राजनैतिक टीकाकारों का यह भी मानना है कि इस्लामाबाद, तालेबान के माध्यम से अपने दृष्टिगत विशिष्टताओं को अफ़ग़ानिस्तान से हासिल करना चाहता है। उनका मानना है कि इसी कारण चार पक्षीय वार्ता का अभी तक कोई परिणाम नहीं निकला है। इसी बीच अफ़ग़ानिस्तान की जनता की इच्छा है कि तालेबान अपने हथियार डाल दें और पाकिस्तान की सरकार, आतंकवादियों के बारे में कोई निर्णायक नीति अपनाकर उनके देश में शांति की स्थापना में काबुल की सहायता करे।

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