संयुक्त राष्ट्र संघ के नए महासचिव का रास्ता आसान नहीं है
(last modified Tue, 13 Dec 2016 14:10:53 GMT )
Dec १३, २०१६ १९:४० Asia/Kolkata

संयुक्त राष्ट्र संघ के नए महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने सोमवार को महासभा में पद और गोपनीयता की शपथ ली। गुटेरस पहली जनवरी 2017 से वर्तमान महासचिव बान की मून का स्थान ग्रहण कर लेंगे।

नए महासचिव ने अपने भाषण में कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के विकास के लिए सुधारों और परिवर्तनों की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि उनका सबसे बड़ा दायित्व सीरिया संकट को समाप्त करवाना है।

एसा लगता है कि गुटेरस के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र संघ के ढांचे तथा कार्यशैली में कुछ बदलाव होगा। इस समय इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था के सामने अनेक चुनौतियां हैं तथा उसके कामकाज पर भी आपत्ति जताई जा रही है। यहां तक कि इस संस्था के तहत काम करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं भी कह रही हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ अनेक मैदानों में नाकाम रहा है। बान की मून ने सोमवार को महासभा में कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था के अनेक कार्यक्रम विफल हो गए और सीरिया संकट का जारी रहना संयुक्त राष्ट्र संघ की सबसे बड़ी विफलता है।

अलबत्ता एसा लगता है कि बान की मून भूल गए हैं कि इस संस्था के अधिकारियों यहां तक कि ख़ुद बान की मून ने सीरिया संकट को हवा देने में क्या भूमिका निभाई है और किस तरह पक्षपाती रवैया अपनाया है। बान की मून का दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ तो उसी समय सीरिया संकट भी शुरू हो गया लेकिन उन्होंने इस संकट के समाधान के लिए कोई प्रभावी क़दम नहीं उठाया। बान की मून के बयान से यह भी साफ़ हो गया कि संयुक्त राष्ट्र संघ तथा विशेष रूप से सुरक्षा परिषद का जो वर्तमान ढांचा है वह अंतर्राष्ट्रीय संकटों के समाधान के संबंध में प्रभावहीन होकर रह गया है। इसका कारण यह है कि सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संकटों के मामले में अपने अपने हितों के अनुसार काम करते हैं और चूंकि इन देशों के हितों में टकराव होता है इस लिए वह किसी मामले में आम सहमति नहीं बना पाते।

दूसरी ओर बहुत से देशों का मानना है कि विश्व स्तर पर जो बदलाव हुए हैं उन्हें देखते हुए यह साफ़ है कि सुरक्षा परिषद का वर्तमान ढांचा नाकार है। अमरीका ने सुरक्षा परिषद में जो रवैया अपना रखा है उसके चलते सुरक्षा परिषद की उपयोगिता पर सवाल उठने लगे हैं।

बहरहाल अब नए महासचिव का कार्यकाल शुरू होने के अवसर पर यह आशा की जाती है कि संयुक्त राष्ट्र संघ अब अपने दायित्वों के निर्वाह करने का गंभीरता से प्रयास करेगी।

 

 

 

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