वेनेज़ोएला के ख़िलाफ़ ट्रम्प का हस्तक्षेपपूर्ण बयान
ऐसे समय जब वेनेज़ोएला में शांति स्थापित करने के लिए बातचीत जारी है, अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर वेनेज़ोएला की सरकार को धमकी दी। ट्रम्प ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में वेनेज़ोएला के राष्ट्रपति को तानाशाह कहते हुए काराकास सरकार के ख़िलाफ़ और अधिक कार्यवाही की धमकी दी।
टीकाकारों की नज़र में ट्रम्प के हस्तक्षेपपूर्ण बयान और धमकी का उलटा नतीजा निकल सकता है और मादुरो की सरकार को वेनेज़ोएला की जनता सहित पूरे लैटिन अमरीका का समर्थन मिल सकता है। जैसा कि वेनेज़ोएला में “हम सभी वेनेज़ोएलाई है” नामक बैठक से कि जिसमें पूरे लैटिन अमरीका के 200 से ज़्यादा प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया, इसकी पुष्टि होती है।
दूसरी ओर मादुरो सरकार की ओर से वेनेज़ोएला में राष्ट्रीय एकता वार्ता का स्वागत होना, अमरीका सहित वेनेज़ोएला के विपक्ष की अपेक्षा के विपरीत घटने वाली घटना रही। लैटिन अमरीका की वामपंथी सरकारें इसे क्षेत्र में साम्राज्यवादी रुझान के ख़िलाफ़ एक बड़ी सफलता मान रही हैं। जैसा कि बोलिविया के राष्ट्रपति इवो मोरालेस ने काराकास में आयोजित “हम सभी वेनेज़ोएलाई है” नामक बैठक में कहा कि ट्रम्प का वेनेज़ोएला के प्रतिनिधि से बातचीत के लिए सहमत होना, अमरीकी साम्राज्य की हार का चिन्ह है। हम इस जंग में विजयी हुए लेकिन जब तक दुनिया में साम्राज्यवाद और पूंजिवाद है, इस तरह के हालात रहेंगे।
पर्यवेक्षकों की नज़र में ब्राज़ील और अर्जेन्टिना में भी तक़रीबन ऐसे ही हालात हैं कि जहां दक्षिण पंथी सरकारें हैं और उनके पास जनाधार नहीं है, लेकिन ट्रम्प सहित दूसरे अमरीकी अधिकारियों का इन देशों के बारे में कोई दृष्टिकोण नहीं है। दूसरे शब्दों में अमरीका का दूसरे देशों के संबंध में दोहरा मापदंड है। अगर कोई सरकार अमरीकी हितों के अनुसार काम करती है तो अमरीका उसका समर्थन करता है और इसके विपरीत जो देश कि जिसकी जनता अपना भविष्य अपने हाथ में लेना चाहती है, अमरीका उसके पीछे पड़ जाता है और मानवाधिकार, प्रजातंत्र और आतंकवाद जैसे हथकंडों को दूसरे देशों में अपनी हस्क्षेपपूर्ण नीतियों के औचित्य के तौर पर इस्तेमाल करता है। (MAQ/T)