युक्रेन-रूस के बीच बढ़ता तनाव, सैन्य टकराव की ओर
(last modified Wed, 26 Dec 2018 12:29:43 GMT )
Dec २६, २०१८ १७:५९ Asia/Kolkata

रूस-युक्रेन के बीच संबंध 2014 से प्रभावित हैं, जिसमें युक्रेन में पश्चिम की ओर रुझान रखने वाली सरकार के सत्ता में आने, क्रीमिया प्रायद्वीप के रूस में विलय, पूर्वी युक्रेन में गृह युद्ध और कर्च स्ट्रेट में रूसी और युक्रेनी नौकाओं के बीच टकराव की घटना का, मौजूदा तनाव के बढ़ने में बड़ी हद तक रोल है।

हालिया दिनों में रूस और युक्रेन की ओर से एक दूसरे के ख़िलाफ़ कार्यवाहियां तेज़ हो गयी हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में रूस ने युक्रेन के 245 लोगों और 7 युक्रेनी कंपनियों पर पाबंदी लगायी है। इनमें से ज़्यादातर लोग ऊर्जा और रक्षा उद्योग से जुड़े हुए हैं। इस तरह रूस युक्रेन के 567 लोगों और 75 कंपनियों पर पाबंदियां लगा चुका है।

दूसरी ओर युक्रेन ने रूस के ख़िलाफ़ सैन्य हमले की धमकी दी है जो अभूतपूर्व है। युक्रेनी नौसेना प्रमुख एडमिरल आंद्री तारासोफ़ ने रूस के संभावित हमले से निपटने के लिए युक्रेनी नौसेना के तय्यार होने की बात कही। उन्होंने कर्च स्ट्रेट पर युक्रेन की संप्रभुता पर बल दिया।

युक्रेन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी की ओर से खुली धमकी दोनों देशों के बीच अभूतपूर्व स्तर पर बढ़ते तनाव और आज़ोफ़ सागर व कर्च स्ट्रेट में व्यापक सैन्य टकराव होने की संभावना को दर्शाती है।

रूस का मानना है कि पश्चिम युक्रेन को रूस के ख़िलाफ़ भड़काउ क़दम के लिए उकसा रहा है।

इसके साथ ही युक्रेन के राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेनको ने जो रूस के साथ पूरी तरह संबंध ख़त्म करने के समर्थक हैं, मॉस्को के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों की ओर से पाबंदियां तेज़ होने और रूस के क़दम से निपटने के लिए आज़ोफ़ सागर में नेटो की मौजूदगी पर बल दे रहे हैं।

इन सब बातों के मद्देनज़र यह कहा जा सकता है कि किएफ़-मॉस्को के बीच तनाव और बढ़ेगा।(MAQ/T)