तेज़ी से सामने आने लगा अमरीका में नस्लवाद के ख़िलाफ़ आंदोलन का नतीजा...बाइडन जीते तो अफ़्रीक़ी मूल की महिला होगी उप राष्ट्रपति...पहले ब्लैक जनरल को मिली वायु सेना की कमान
(last modified Thu, 11 Jun 2020 04:24:57 GMT )
Jun ११, २०२० ०९:५४ Asia/Kolkata
  • तेज़ी से सामने आने लगा अमरीका में नस्लवाद के ख़िलाफ़ आंदोलन का नतीजा...बाइडन जीते तो अफ़्रीक़ी मूल की महिला होगी उप राष्ट्रपति...पहले ब्लैक जनरल को मिली वायु सेना की कमान

लोहे को लोहा काटता है और नस्लवादी कल्चर और उसके क़ानूनों को भारी जनान्दोलन से ही ख़त्म किया जा सकता है और पश्चिमी समाजों में फैली नाइंसाफ़ी और ग़ैर बराबरी को इसी रास्ते से दूर किया जा सकता है।

अमरीका में जार्ज फ़्लायड की मौत के बाद जनक्रान्ति फूट पड़ी तो इस क्रांति ने अमरीका की नस्लवादी सरकार को बड़े बदलाव करने पर मजबूर कर दिया। पहला बदलाव न्यूयार्क में हुआ जहां पुलिस डिपार्टमेंट में बुनियादी बदलाव किया जा रहा है और आदेश दे दिया गया है कि किसी भी व्यक्ति को गिरफ़तार करते समय उसकी गर्दन नहीं दबाई जा सकती।

मगर हमारी नज़र में बड़ा बदलाव वह है जिसका एलान डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन ने किया है। उन्होंने कहा कि यदि वह चुनाव जीते तो उप राष्ट्रपति का पद अफ़्रीक़ी मूल के पुरुष या महिला को दिया जाएगा। कहा जा रहा है कि जो बाइडन तीन महत्वपूर्ण महिलाओं में से किसी एक को इस पद के लिए चुन सकते हैं और इन तीनों में सबसे महत्वपूर्ण नाम कमला हैरिस का है जो डेमोक्रेटिक पार्टी की सेनेटर हैं। उनकी माता और पिता का संबंध भारत और जमाइका से है। इसके अलावा वाल डिमिंगीज़ और कीशा लान्ज़ के नाम भी चर्चा में हैं।

आहत दिलों पर मरहम रखने के लिए अमरीकी सेनेट ने एलान किया है कि जनरल चार्ल्ज़ ब्राउन जूनियर को वायु सेना का चीफ़ आफ़ स्टाफ़ नियुक्त किया जा रहा है। अमरीकी सेना के इतिहास में यह अपूर्व घटना है। ब्राउन वह अश्वेत अफ़सर हैं जो कई बार कह चुके हैं कि सेना में रहते हुए उन्हें नस्लभेदी बर्ताव का सामना करना पड़ा।

यूरोपीय देशों में भी नस्लवाद विरोधी आंदोलन को बड़ी सफलताएं मिली हैं जहां प्रदर्शनकारियों ने नस्लवाद के प्रतीक समझे जाने वाले नेताओं की मूर्तियों को ध्वस्त कर दिया। बेल्जियम के नरेश लियोपोल्ड की मूर्ति ध्वस्त कर दी गई जिन्होंने कांगों में लाखों इंसानों का क़त्ल किया था। ब्रिटेन के ब्रिस्टल शहर में दासों के व्यापारी एडवर्ड कोल्सटन की प्रतिमा गिरा दी गई।

यह नस्लवाद के ख़िलाफ़ क्रांति की नई लहर है जो जार्ज फ़्लायड की निर्मम हत्या के बाद शुरू हुई है। इसमें कालों के साथ ही गोरे भी शामिल हुए हैं।

अफ़सोस की बात यह है कि नस्लवाद के ख़िलाफ़ उठने वाला यह आंदोलन इस्राईल नहीं पहुंचा जो दुनिया भर में सबसे भयानक नस्लवाद का प्रतीक है। इस्राईली सरकार ईसाइयों और मुसलानों सबके ख़िलाफ़ नस्लवादी बर्ताव कर रही है और उन्हें बड़ी बेरहमी से क़त्ल करती है।

हम अरब सरकारों को चेतावनी देना चाहते हैं कि वह होश में आ जाएं। यह सरकारें कालों के ख़िलाफ़ तो नस्लवादी बर्ताव नहीं कर रही हैं लेकिन दूसरे धर्म और दूसरे क़बीले के लोगों पर बड़े भयानक अत्याचार करती हैं।

स्रोतः रायुल यौम

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