पोम्पियो अपनी ही बनाई दुनिया में मस्त, अजीबो ग़रीब बयान से दुनिया हैरान
अमरीकी विदेशमंत्री माइक पोम्पियो चाहे वह आंतरिक स्तर पर हो या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, अमरीकी इतिहास के सबसे बुरे विदेशमंत्री के रूप में जाने जाते हैं।
माइक पोम्पियो ने जब से विदेशमंत्रालय का क़लमदान संभाला है तब से उन्होंने सऊदी अरब, इमारात और ज़ायोनी शासन के अलावा सारे देशों वाशिंग्टन के संबंध ख़राब किए हैं।
कुछ टीकाकारों का कहना है कि अमरीकी विदेश नीति में पोम्पियो की विफलता का कारण यह है कि वह schizophrenia की बीमारी में ग्रस्त हो गये हैं और बाहरी दुनिया से निकल गये हैं और काल्पनिक तथा अपनी बनाई दुनिया में सैर करते रहते हैं।
अभी हाल ही में माइक पोम्पियो ने इराक़ का दौरा किया और इस दौरान वह और उनके साथियों ने एसे बयान दिए जिनका वास्तविकता से कोई संबंध ही नहीं था।
उन्होंने बग़दाद में प्रेस कांफ़्रेंस में कहा कि मैंने हमेशा बहुत से इराक़ी गुटों से यह सुना है कि इराक़ में अमरीकी सैन्य उपस्थिति जारी रहनी चाहिए।
इस पर इराक़ में तैनात अमरीकी राजदूत भी चुप नहीं रहे और उन्होंने कहा कि कुछ कट्टरपंथी सैनिक हैं तो हमारे सैन्य केन्द्रों और कूटनयिक स्थलों पर मीज़ाइल फ़ायर करते हैं और इससे पता चलता है कि यह गुट इराक़ी जनता के हितों को दृष्टिगत नहीं रखते।
उन्होंने यह दावा ऐसी स्थिति में किया कि वह ख़ुद ही यह भूल गये कि उनके स्वामी डोनल्ड ट्रम्प ने बड़ी कायरता से आईआरजीसी के कमान्डर जनरल क़ासिम सुलैमानी और इराक़ी स्वयं सेवी बल के उप कमान्डर जनरल अबू महदी अलमुहन्दिस की हत्या कर दी थी जो तकफ़ीरी आतंकवादी गुट दाइश से युद्ध कर रहे थे, यह ऐसा अपराध था जिसने सारे नियमों और क़ानूनों की धज्जियां उड़ा दीं।
बग़दाद में तैनात अमरीकी राजदूत ने इसी तरह एक इन्टरव्यू में इराक़ी संसद से मांग की है कि बग़दाद-वाशिंग्टन के बीच समझौते को रद्द न करें। यह ऐसी हालत में है कि इराक़ी संसद ने जनवरी के महीने में अमरीकी सैनिकों के निष्कासन और इराक़ में उसकी छावनियां बंद करने का प्रस्ताव पारित किया था।
वास्तव में पोम्पियो और बग़दाद में तैनात अमरीकी राजदूत टोलर को यह पता नहीं है कि इराक़ी राष्ट्र, जनता पर होने वाले अमरीकी अत्याचारों को कभी भी नहीं भूलेगी और वह देश से शीघ्र ही अमरीकी सैनिकों के निष्कासन की मांग कर रहे हैं। (AK)