अफ़ग़ानिस्तान के 18 प्रांतों में तालेबान के विरुद्ध कार्यवाही आरंभ
(last modified Sun, 01 May 2016 14:35:36 GMT )
May ०१, २०१६ २०:०५ Asia/Kolkata

अफ़ग़ानिस्तान के रक्षामंत्रालय ने तालेबान के विरुद्ध इस देश के 18 प्रांत में सेना की कार्यवाही आरंभ होने की सूचना दी है।

अफ़ग़ान सेना की कार्यवाही को वायु सेना और तोपख़ानों का समर्थन प्राप्त है और ये कार्यवाहियां उन क्षेत्रों में केन्द्रित हैं जहां तालेबान के सदस्यों ने अपनी गतिविधियों में वृद्धि कर दी है और वे दोबारा इन क्षेत्रों पर नियंत्रण करने के प्रयास में हैं। अफ़ग़ानिस्तान की सेना ने इससे पहले तालेबान के विरुद्ध शफक़ नामक आरंभ की थी जो अफ़ग़ान सेना और सरकारी अधिकारियों के अनुसार सफल रही है।


अफ़ग़ान सरकार की प्राथमिकता इस देश में शांति थी पर इस समय काबुल सरकार की प्राथमिका के बदल जाने के बाद इस देश के 18 प्रांतों में सेना की तालेबान के विरुद्ध कार्यवाही का आरंभ हो जाना ध्यान योग्य बिन्दु है। अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने हालिया दिनों में प्रतिरक्षामंत्रालय के अधिकारियों का आह्वान किया है कि वे हवा और ज़मीन से पूरी दृढ़ता के साथ तालेबान का दमन कर दें।



तालेबान के विरुद्ध 18 प्रांतों में सेना की कार्यवाही को एक प्रकार से सशस्त्र विरोधियों के मुकाबले में शक्ति परीक्षण समझा जा रहा है विशेषकर इसलिए कि तालेबान ने अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति के आह्वान का मज़ाक उड़ाया और उनसे कहा है कि वह पूरी शक्ति के साथ तालेबान के मुकाबले में आ जायें।



तालेबान ने कहा है कि जब तक विदेशी सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद रहेंगे वह शांति वार्ता में शामिल नहीं होगा और उसने कुछ दूसरी शर्तें भी लगा दी हैं। इस गुट ने घोषणा की है कि वह सरकारी केन्द्रों के विरुद्ध अपने हमलों में वृद्धि करेगा और इसी प्रकार वह अपने विस्फोटों तथा टार्गेट कीलिंग के हमलों में भी वृद्धि करेगा। अभी हाल ही में काबुल में होने वाले विस्फोट में लगभग 70 लोग मारे गये थे जो इस बात का सूचक है कि तालेबान अपने वादों को व्यवहारिक बनाने में आम नागरिकों पर भी दया नहीं करता।



राजनीतिक टीकाकारों का मानना है कि अफ़ग़ानिस्तान के 18 प्रांतों में तालेबान के विरुद्ध सेना की कार्यवाही का एक लक्ष्य लोगों में यह आत्म विश्वास पैदा करना है कि देश की सेना तालेबान से मुकाबले में समक्ष है। अफ़ग़ानिस्तान के लगभग साढ़े तीन लाख सैनिक, जो अब हेकाप्टर से भी लैस हैं, यह दर्शाने के प्रयास में हैं कि तालेबान उनकी शक्ति के बारे में भ्रांति का शिकार है और इस देश के सैनिक शक्ति के उस स्तर पर पहुंच चुके हैं कि वे हर प्रकार की सशस्त्र लड़ाई को दबा दें।



अफ़ग़ान लोगों का मानना है कि तालेबान युद्ध तेज़ करके जनता की समस्याओं में वृद्धि कर रहा है और इस देश में विदेशी सैनिकों की उपस्थिति को जारी रहने का अवसर उपलब्ध करता है। इसी कारण अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई और वर्तमान राष्ट्रपति अशरफ़ गनी ने तालेबान से कहा है कि वह विदेशियों का खिलौना न बने और वह अफ़ग़ान बच्चों के भविष्य को दृष्टि में रखकर शांति प्रक्रिया से जुड़ जाये। MM

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