Mar २०, २०२३ १६:४८ Asia/Kolkata
  •    ईरान में तेल का राष्ट्रीयकरण क्यों इतना महत्वपूर्ण है?

तेल और गैस वह प्राकृतिक संपदा हैं जिन्हें महान ईश्वर ने इंसान को प्रदान किया है और आम तौर पर जो देश इन नेअमतों से समृद्ध हैं उनकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी है।

ईश्वर ने दुनिया के जिन देशों को इस नेअमत से नवाज़ा है उनमें से एक इस्लामी गणतंत्र ईरान है। ईरान तेल और गैस सहित बहुत सी प्राकृतिक अनुकंपाओं से समृद्ध है। तेल को काला सोना कहा जाता है और ईरान की आर्थिक स्थिति में तेल की महत्वपूर्ण भूमिका है। अगर तेल की उपमा ईरान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हड्डी से दी जाये तो अतिशयोक्ति न होगी परंतु देश की अर्थव्यवस्था की इस मूल्यवान दौलत पर अमेरिका और ब्रिटेन ने कब्ज़ा कर लिया। इन देशों द्वारा ईरान के तेल उद्योग पर कब्जा कर लेने का अर्थ ईरानी अर्थव्यवस्था और उसके विकास पर कब्ज़ा कर लेना था।

बहुत से लोग इस बात को समझ गये थे कि ईरानी राष्ट्र के विकास के लिए तेल और उससे होने वाली आमदनी बहुत मूल्यवान व महत्वपूर्ण है इसीलिए उन्होंने ईरान के तेल उद्योग को अमेरिका और ब्रिटेन के चंगुल से स्वतंत्र कराने के लिए संघर्ष आरंभ कर दिया। जो लोग ईरानी तेल के राष्ट्रीयकरण के इच्छुक थे इसके लिए वे संघर्ष करते थे और तेहरान सहित ईरान के विभिन्न नगरों में प्रदर्शन भी होते थे पर उन लोगों को अमेरिका और ब्रिटेन के क्रोध का सामना होता था। यह देश इस बात को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे कि ईरानी तेल से उनका वर्चस्व खत्म हो जाये।

ईरानी सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री डाक्टर मुसद्दिक़ ने अपने भाषण में कह दिया था कि एकमात्र रास्ता तेल का राष्ट्रीयकरण हो जाना है जिसका नतीजा यह हुआ कि अमेरिका और ब्रिटेन ने उनकी कानूनी सरकार के खिलाफ वर्ष 1953 में विद्रोह करवाकर उसे गिरा दिया था।

विदितरूप से ईरानी तेल आज़ाद था परंतु वास्तव में उसके निकालने, बेचने और उससे जुड़े समस्त कार्यों पर अमेरिका और ब्रिटेन ने अपना वर्चस्व जमा रखा था और शाह को अपनी मर्ज़ी से तेल निकालने और उसके बेचने की अनुमति नहीं थी। ईरान की जागरूक जनता व लोग इस बात को बहुत अच्छी तरह जानते थे कि अमेरिका और ब्रिटेन उनकी राष्ट्रीय सम्पत्ति को लूट रहे हैं। इसलिए उन्होंने तेल के राष्ट्रीयकरण के लिए आंदोलन चला रखा था और अंत में ईरानी जनता व लोगों का संघर्ष रंग लाया और 24 इस्फंद को ईरानी संसद और 29 इस्फंद को ईरानी सिनेट में एक प्रस्ताव पारित कर दिया गया। इस प्रस्ताव में तेल को ईरानी राष्ट्र की सम्पत्ति घोषित किया गया था। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद समूचे ईरान में खुशी की लहर दौड़ गयी।

ईरानी तेल के राष्ट्रीयकरण के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने अपनी शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियां तेज़ कर दी और उन्होंने अपनी कंपनियों, अपने इंजीनियरों और कर्मचारियों को ईरान के तेल उद्योग से निकालना आरंभ कर दिया। इस काम से वे ईरान के तेल उद्योग को ठप्प कर देना चाहते थे। उन्होंने ईरान से तेल लेना भी बंद कर दिया। दूसरे शब्दों में एक प्रकार से उन्होंने ईरानी तेल पर प्रतिबंध लगा दिया। वह समय भी आ गया जब 11 फरवरी 1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति सफल हो गयी। इस क्रांति के सफल हो जाने के बाद ईरानी तेल का वास्तविक अर्थों में राष्ट्रीयकरण हुआ और अब इससे होने वाली आमदनी को देश के विकास कार्यों पर खर्च किया जा रहा है।

दूसरे शब्दों में तेल के राष्ट्रीयकरण से देश और जनता के विकास व कल्याण की आधार शिला रखी गयी और इससे राष्ट्र के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ। अगर इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद तेल का वास्तविक अर्थों में राष्ट्रीयकरण न हुआ होता और उससे होने वाली आमदनी को देश और लोगों के विकास पर खर्च न किया जाता तो आज देश में जो प्रगति हुई है वह न होती। तेल का राष्ट्रीयकरण, ईरान की आर्थिक विकास व प्रगति की जान है।

तेल ईरानी अर्थ व्यवस्था का आधार है। आज अमेरिका और ब्रिटेन दूसरे वर्चस्ववादी देशों की अपेक्षा ईरान से जो अधिक शत्रुता करते हैं उसकी एक वजह यह है कि इन देशों के हाथ से ईरान की अपार व मूल्यवान तेल सम्पत्ति निकल गयी और यह देश ईरान में वापसी का सपना देख रहे हैं। यहां एक बिन्दु का उल्लेख ज़रूरी है और वह यह है कि ईरान की इस्लामी क्रांति के सफल होने से पहले ही तेल का राष्ट्रीयकरण हो गया था परंतु व्यवहारिक रूप से उसका जो फायदा ईरानी राष्ट्र को पहुंचना चाहिये था वह नहीं हो रहा था क्योंकि ईरान का तेल उद्योग पूरी तरह विदेशियों पर निर्भर था।

अप्रैल 1951 को ईरान के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद मुसद्दिक़ ने तेल के राष्ट्रीयकरण के कानून को लागू करना आरंभ किया तो अमेरिका और ब्रिटेन ने अगस्त 1953 में उनकी कानूनी सरकार के खिलाफ विद्रोह करवा कर उसे गिरा दिया। यह विद्रोह अमेरिका और ब्रिटेन के षडयंत्रों का मात्र एक भाग था। इस विद्रोह के बाद ब्रिटिश पेट्रोलियम, शेल, कैलोफोर्निया और टेक्सास नामक तेल कंपनियां ईरान में आ गयीं और उन्होंने जमकर ईरानी तेल की लूट खसोट आरंभ कर दी। इस लूट घसोट की एक बहुत बड़ी वजह यह थी कि ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता से पहले तक तेल उद्योग पूरी तरह विदेशियों पर निर्भर था इसलिए तेल के राष्ट्रीयकरण हो जाने के बावजूद तेल उद्योग ईरानी राष्ट्र के हितों को स्वतंत्र व सुरक्षित बनाने में कोई बुनियादी परिवर्तन उत्पन्न न कर सका।   

तेल उद्योग ईरान की आमदनी का सबसे महत्वपूर्ण बल्कि मूल स्रोत था और इस चीज़ को इस्लामी क्रांति के दुश्मन बहुत अच्छी तरह जानते हैं इसलिए उन्होंने ईरानी तेल पर भी अत्याचारपूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है जिसका नतीजा यह हुआ है कि ईरान को विभिन्न क्षेत्रों में नुकसान पहुंचा है।

दोस्तो यहां एक बिन्दु का उल्लेख आवश्यक है कि वह यह है कि दुश्मनों ने ईरान को प्रगति से रोकने के लिए उसके तेल को निशाना बनाया और उस पर प्रतिबंध लगा रखा है और उसे एक सीमित मात्रा में तेल बेचने की अनुमति है परंतु ईरान ने जो विभिन्न क्षेत्रों में ध्यान योग्य प्रगति की है और कर रहा है वे सब प्रतिबंध के काल की हैं। आज ईरान को कड़े प्रतिबंधों और दबावों का सामना है पर उसने मिसाइल, ड्रोन, नैनो और परमाणु तकनिक आदि क्षेत्रों में ध्यान योग्य प्रगति की और कर रहा है। दुश्मनों की चिंता का एक बहुत कारण ईरान की दिन प्रतिदिन प्रगति है और वे ईरान को प्रगति से रोकने के लिए आये दिन तेहरान के खिलाफ प्रतिबंध लगाते रहते हैं।

कोई कार्य एसा बचा नहीं है जिसे दुश्मनों ने ईरान के खिलाफ न किया हो हां जो कार्य नहीं किया उसकी वजह यह है कि वे नहीं कर सकते। क्योंकि उन्हें इसके गम्भीर परिणामों की पूरी जानकारी है। मिसाल के तौर पर उन्होंने ईरान के खिलाफ सैनिक कार्यवाही नहीं तो उसकी वजह यह है कि वे ईरान के करारे जवाब और इसके भयावह परिणामों से भलीभांति अवगत हैं। आज दुश्मन जो हर कुछ समय पर ईरान के खिलाफ नये प्रतिबंध लगाता है तो उसकी वजह यह है कि इसके अलावा वह तेहरान के खिलाफ और कुछ कर ही नहीं सकता।

लगभग 43 साल से ईरान को विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों का सामना है परंतु ईरान ने दुश्मनों के प्रतिबंधों को अवसर में बदल दिया है। दुश्मनों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद ईरान का तेल उद्योग स्वतंत्र हो जायेगा और ईरानी तेल उद्योग से संबंधित समस्त कार्यों को अपने हाथों में ले लेंगे मगर ईरान के प्रतिभाशाली युवाओं और लोगों ने यह करके दिखा दिया। यही नहीं आज ईरान तेल उद्योग से संबंधित तकनीक में दूसरे देशों की मदद भी कर रहा है। अभी कुछ महीने पहले उसने इस संबंध में वेनेज़ोएला की जो मदद की है उसे इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।

ईरान के पास 33 ट्रिलियन घन मीटर प्राकृतिक गैस और 157 अरब बैरेल कच्चा तेल है। इसके अलावा भी ईरान बहुत सारी प्राकृतिक सम्पदाओं से समृद्ध और मालामाल है। आज इस्लामी क्रांति के दुश्मन जो ईरान पर प्रतिबंध पर प्रतिबंध लगा रहे हैं उसकी एक वजह यह है कि वे चाहते हैं कि इन प्रतिबंधों से जनता ईरान की इस्लामी व्यवस्था के खिलाफ उठ खड़ी हो और उनकी कल्पना के अनुसार जब इस्लामी व्यवस्था का अंत हो जायेगा तो ईरान में हमारी इच्छा की सरकार गठित होगी और हम एक बार फिर ईरान के प्राकृतिक स्रोतों का दोहन कर सकेंगे। दूसरे शब्दों में आज दुश्मन जो यह दिखा रहा है और कह रहा है कि उसे ईरान में मानवाधिकारों हनन की चिंता है तो उससे यह पूछा जाना चाहिये कि शाह के तानाशाही दौर में जब ईरानी जनता की हत्या की जाती थी तो वह क्या था? उस समय मानवाधिकार की रक्षा के ठिकेदारों को ईरान में कहीं भी मानवाधिकार का हनन नज़र नहीं आता था।

शाह के सुरक्षा कर्मियों ने कितने हज़ार ईरानी नागरिकों और जनता को शहीद कर दिया परंतु कभी भी मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरने वालों को मानवाधिकार का हनन नज़र नहीं आया। यही नहीं आतंकवादी गुट MKO ने 17 हज़ार से अधिक ईरानी नागरिकों और अधिकारियों को शहीद कर दिया पर मानवाधिकार की रक्षा का राग अलापने वालों को कभी भी मानवाधिकार का हनन दिखाई नहीं दिया। बहरहाल 29 इस्फंद के दिन को समूचे ईरान में तेल के राष्ट्रीयकरण के रूप में मनाया जाता है। ईरान इस समय तेल, गैस, और पेट्रोकेमिकल उद्योग में ज़रूरी उपकरणों व संसाधनों के निर्माण में 85 प्रतिशत आत्म निर्भर हो चुका है और शेष 15 प्रतिशत ज़रूरी उपकरणों के निर्माण की दिशा में प्रयासरत है।  

2022 के आरंभिक महीने में ईरान के तेल उत्पादन में प्रतिबंधों के बावजूद 21 हज़ार बैरेल की वृद्धि हुई थी इस प्रकार से कि प्रतिदिन तेल का उत्पादन 25 लाख बैरेल से अधिक हो गया जो पिछले तीन सालों में सबसे अधिक है। तेल का निर्यात करने वाले देशों के संगठन ओपेक ने 2022 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें इस बात का एलान किया गया था कि ईरान ने जनवरी महीने में 25 लाख से अधिक बैरेल तेल निकाला है जो दिसंबर महीने की अपेक्षा 21 हज़ार बैरेल अधिक था। ईरान के तेल उद्योग में होने वाले प्रगति इस बात की सूचक है कि ईरानी राष्ट्र के प्रतिभाशाली जवान जहां देश को आत्म निर्भर बनाने में लगे हुए हैं वहीं वे अमेरिकी प्रतिबंधों को प्रभावहीन भी बना रहे हैं और वह दिन अधिक दूर नहीं है जब ईरान दुनिया के स्वतंत्र राष्ट्रों के लिए एक आदर्श देश में परिवर्तित हो जायेगा।

 

 

 

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