विज्ञान की डगर
विज्ञान की डगर-71
आजकल दुनिया में ईंधन संकट को लेकर काफ़ी चर्चाएं हो रही हैं। दुनिया में जिन देशों के पास ऊर्जा के भंडार हैं या तो उनके पास उसको हासिल करने या उससे लाभ उठाने के पर्याप्त साधन नहीं हैं या साधन हैं तो उन्हें साम्राज्यवादी देशों के वर्चस्व का सामना करना पड़ रहा है जिसकी वजह से उन्हें समस्याएं हो रही हैं।
इन्हीं सब चीज़ों को देखते हुए तेहरान के अमीर कबीर टेक्नीकल कालेज के शोधकर्ताओं ने नैनो टेक्नालाजी से लाभ उठाते हुए ज़्याद से ज़्यादा मात्रा में तेल निकालने की नई शैली का आविष्कार किया है, यह शैली सामान्य शैलियों से कम ख़र्चीली है।
इस योजना के आविष्कारकों का कहना है कि इस शोध में आणविक गतिशीलता की शैली का प्रयोग किया जाता है और बाद में इस आणविक पदार्थ की समीक्षा की जाती है। इस पदार्थ को प्रयोगशाला में ले जाने के बाद इसमें कुछ बदलाव किया जाता है लेकिन मूल रूप से इसमें ज़्यादा बदलाव नहीं आता है जबकि इस शैली के प्रयोग की वजह से अनुमान से ज़्यादा परिणाम सामने आने लगे।
अमीर कबीर टेक्नीकल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस योजना के अंतर्गत कार्बन डाइआक्साइड का प्रयोग किया जाता है जिसके प्रयोग की वजह से ग्रीन हाऊस गैसों और पर्यावरण के प्रदूषण में कमी में मदद मिलती है और साथ ही हासिल होने वाले तेल की मात्रा भी ज़्यादा होती है जो आर्थिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। बताया जाता है कि आणविक गतिशीलता की शैली का प्रयोग ज़्यादातर नार्वे और कनाडा जैसे देशों में ज़्यादा होता है।
शोधकर्ता मानव स्टेम सेल से लीवर की कोशिकाओं की एक शुद्ध प्रक्रिया बनाने में सफल रहे हैं। लीवर से संबंधित बीमारियों के उपचार का विकल्प कम है और स्वास्थ्य तथा आर्थिक दृष्टि से यह बहुत की ख़र्चीला होता है। खेद की बात यह है कि लीवर या यकृत के डोनेट करने वालों की संख्या दुनिया में बहुत ही कम है और पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष दस लाख से अधिक लोग लीवर के इंप्लाटेंशन के इतेज़ार में मर जाते हैं।
एक इंसान का शरीर कई अंगों से मिलकर बनता है। किसी व्यक्ति के स्वस्थ जीवन के लिए उसके सभी अंगों का ठीक से काम करना बहुत जरूरी है। यदि किसी शख्स के शरीर का एक अंग भी खराब हो जाए तो उसका जीवन नरक जैसा हो जाता है और फिर एक निश्चित समय के बाद उसकी मौत भी हो सकती है जबकि हमारे शरीर में कई ऐसे अंग भी होते हैं, जिनके खराब होने के कुछ ही देर बाद इंसान की मौत हो जाती है। आज हम आपको इंसानी शरीर के एक बेहद ही महत्वपूर्ण अंग लीवर के बारे में कुछ बहुत जरूरी बातें बताने जा रहे हैं। लीवर हमारे शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है। लीवर को हिंदी में यकृत, जिगर और कलेजा भी कहा जाता है। लीवर हमारे शरीर के अंदर रहते हुए एक साथ कई काम करता है। इसका प्रमुख काम खाने और पीने को एनर्जी और न्यूट्रिएंट्स में तब्दील करना है। इसके अलावा ये खून से हानिकारक और विषैले पदार्थों को भी फिल्टर कर अलग करता है।
जैसा कि अभी हमने आपको बताया कि लीवर हमारे शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है। कई बार इसमें कुछ मामूली दिक्कतें आ जाती हैं, जो समय पर इलाज होने पर जल्द ही ठीक हो जाती हैं जबकि इससे जुड़ी कई समस्याएं तो इतनी विकट होती हैं, जिसमें लीवर को बदलना ही आख़िरी रास्ता होता है। आमतौर पर लीवर को खराब तभी माना जाता है, जब इसका एक बड़ा हिस्सा खराब हो जाता है और उसका इलाज करना बहुत मुश्किल या फिर असंभव हो जाता है। लीवर कई वजहों से खराब हो सकते हैं। वायरल हेपेटाइटिस, सिरोसिस, शराब पीने, ज़्यादा तली-भुनी और मसालेदार खाना लीवर को खराब करने वाले प्रमुख कारणों में शामिल हैं। इसके अलावा लीवर दो प्रकार से खराब होते हैं। पहला तीव्र गति से जब मरीज कुछ ही दिनों में समस्या का अनुभव करने लगता है और दूसरा तब जब यह बहुत धीमी गति से ख़राब होता है। ऐसे मामले में मरीज़ को इसकी जानकारी कई महीनों या फिर कई साल बाद होती है।
अब सवाल यह पैदा होता कि मरीज़ को कैसे पता चले कि उसका लीवर खराब हो रहा है, इसके क्या संकेत और लक्ष्य हो सकते हैं? लीवर खराब होने के कई लक्षण हो सकते हैं। यहां एक बड़ी समस्या ये है कि लीवर खराब होने के ज्यादातर लक्षण बहुत ही साधारण होते हैं और बिना डॉक्टरी जांच के इसका पता नहीं चलता। कई बार तो ऐसा भी होता है जब मरीज को लीवर खराब होने पर किसी तरह के कोई लक्षण ही नहीं आते। ऐसे में कई बार मरीज़ को काफी देर बाद समस्या का पता चलता है और तब तक स्थिति काफी खराब हो जाती है। लीवर खराब होने के लक्षणों में उल्टी होना, कम भूख लगना, थकावट, दस्त होना, पीलिया, लगातार वजन घटना, शरीर में खुजली होना, एडिमा, पेट में तरल पदार्थ बनना आदि शामिल हैं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि लीवर की सुरक्षा के लिए शराब के ज्यादा सेवन से बचना चाहिए। इसके अलावा ज्यादा तली-भुनी और मसालेदार चीजें भी नहीं खानी चाहिए।
टेंडर और सूजे हुए जोड़ों में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, लेटते समय छाती में दर्द, खून के रिसाव के कारण दिल में अकड़ाहट जैसे लक्षणों के कारण लोगों में रूमेटिक हार्ट फ़ीवर का पता चल सकता है। अब यहां पर यह सवाल पैदा होता है कि कौन से हार्ट डिज़ीज़ के मरीज़ का उपचार नहीं हो सकता। जोड़ों में दर्द, कोमलता और सूजन वाले जोड़ों, जोड़ों में सूजन, गले में संक्रमण, सांस की तकलीफ़ आदि अन्य कारणों और संक्रमणों के कारण भी हो सकते हैं। इसलिए, यदि ऐसे रोगियों को रूमैटिक बुख़ार के लिए निदान नहीं किया जाता है और शारीरिक परीक्षण पर कोई हलचल नहीं सुनाई देती है, तो वे गठिया के हृदय रोग के उपचार के लिए पात्र नहीं होंगे।
दोस्तो जब हम यह जान चुके हैं कि रूमेटिक हार्ट डिज़ीज़ का इलाज कैसे हो या किन लोगों का इलाज हो सकता है या नहीं हो सकता है अब यह सवाल पैदा होता है कि इस इलाज के क्या कोई भी साइड इफेक्ट्स (side-effects) हैं या नहीं ?
रूमैटिक हार्ट डिजीज के उपचार के साइड इफेक्ट ज़्यादातर असामान्य हैं क्योंकि दवाएं काफ़ी सुरक्षित हैं। फिर भी कभी-कभी और कुछ लोगों में पेनिसिलिन जैसे साइड इफ़ेक्ट्स हो सकते हैं, जिससे मतली, उल्टी और पेट ख़राब हो सकता है, एस्पिरिन के दीर्घकालिक उपयोग से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल अल्सर, हर्टबर्न, खराब पेट, ऐंठन, गैस्ट्र्रिटिस और रक्तस्राव और हृदय में वाल्व प्रतिस्थापन हृदय की रिद्दम, सीने में दर्द और बुख़ार, रक्त के थक्के, सांस लेने में समस्या और संक्रमण जैसे कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
दोस्तो अब जब हमको रूमेटिक हार्ट फ़ीवर के उपचार का पता चल गया तो इसके उपचार के बाद क्या दिशानिर्देश या guidelines हैं?
संक्रमण और सूजन के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स और एस्पिरिन जैसी दवाएं लेने के अलावा, रोगियों को बहुत सारा पानी पीकर अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखना चाहिए, गले के संक्रमण के लिए कुछ हर्बल चाय का उपयोग भी कर सकते हैं। वाल्व रिप्लेसमेंट के लिए दिल की सर्जरी के बाद, रोगियों को भारी वस्तुओं को नहीं उठाने, आराम की पर्याप्त मात्रा लेने, कुछ हल्के व्यायामों के एक हिस्से के रूप में सुबह और शाम टहलने की सलाह दी जाती है।
सभी लोगों के मन में यह सवाल पैदा होता है कि रूमेटिक हार्ट फ़ीवर के मरीज़ों को ठीक होने में कितना समय लगता है?
दिल के वाल्व के ऊतकों के स्ट्रेप गले, संक्रमण और निशान पैदा करने वाले संक्रमण का पूरी तरह से इलाज करने में कुछ महीनों से लेकर सालों तक का समय लग सकता है। रूमैटिक बुख़ार और रूमैटिक हृदय रोग के इलाज के लिए पूरे जीवन के लिए एंटीबायोटिक्स भी निर्धारित किया जा सकता है। सर्जरी से उबरने में पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 4 से 8 सप्ताह लग सकते हैं।
अब सवाल यह पैदा होगा कि क्या उपचार के परिणाम स्थायी या (permanent) हैं? जी हां, शरीर से संक्रमण पूरी तरह से समाप्त हो जाने के बाद उपचार के परिणाम स्थायी होते हैं। कुछ लोगों के मन में रूमेटिक हार्ट फ़ीवर के उपचार के विकल्प के बारे में भी सवाल पैदा होते रहते हैं या इस उपचार के विकल्प या alternatives क्या हैं? रूमैटिक हृदय रोग के इलाज के लिए ज्यादा वैकल्पिक उपचार या कोई घरेलू उपाय नहीं है। सूजन और संक्रमण को कम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में आराम लेने से मदद मिल सकती है।