क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-998
सूरए रहमान आयतें, 62 से 78
आइए सबसे पहले सूरए रहमान की आयत संख्या 62 से 69 तक की तिलावत सुनते हैं,
وَمِنْ دُونِهِمَا جَنَّتَانِ (62) فَبِأَيِّ آَلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (63) مُدْهَامَّتَانِ (64) فَبِأَيِّ آَلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (65) فِيهِمَا عَيْنَانِ نَضَّاخَتَانِ (66) فَبِأَيِّ آَلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (67) فِيهِمَا فَاكِهَةٌ وَنَخْلٌ وَرُمَّانٌ (68) فَبِأَيِّ آَلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (69)
इन आयतों का अनुवाद हैः
उन दोनों (बाग़ों) के अलावा दो बाग़ और हैं [55:62] तो तुम दोनों अपने पालने वाले की किस किस नेमत से इन्कार करोगे [55:63] दोनों निहायत गहरे सब्ज़ व शादाब [55:64] तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किन किन नेमतों को न मानोगे [55:65] उन दोनों (बाग़ों) में दो चश्में जोश मारते होंगे [55:66] तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेमत से मुकरोगे [55:67] उन दोनों में फल हैं खुरमें और अनार [55:68] तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किन किन नेमतों को झुठलाओगे [55:69]
पिछले कार्यक्रम में परलोक में पवित्र लोगों और अल्लाह से डरने वालों के लिए अल्लाह के पुरस्कार के बारे में चर्चा हुई थी। ये आयतें एक अन्य स्वर्ग की ओर भी संकेत करती हैं जो अल्लाह के बहुत ख़ास बंदों के स्वर्ग से कुछ निम्न स्तर का है और जिसमें विश्ववासी और अच्छे कर्म करने वाले जिन्न और इंसान प्रवेश करेंगे।
इन आयतों में जन्नत के बाग़ों का उल्लेख करते हुए उनकी कई विशेषताओं का ज़िक्र किया गया है। जैसे कि ये उद्यान अत्यंत हरे-भरे, ताज़ा और सुंदर हैं। इन उद्यानों में बड़ी मात्रा में पानी स्रोतों और झरनों के रूप में ज़मीन या पहाड़ों से फूटता है और पेड़ों के बीच बहता है। इसके अलावा, इन बाग़ों के फलदार पेड़ स्वर्गवासियों के लिए तरह-तरह के फल मुहैया कराते हैं। बेशक, फलों में खजूर और अनार का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है क्योंकि इन दोनों फलों का विशेष महत्व है।
इस दुनिया में भी इन दोनों फलों के अनेक पोषण और औषधीय गुण हैं और ये स्वर्ग की चार-मौसमी प्रकृति को दर्शाते हैं, क्योंकि खजूर गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में उगायी जाती है जबकि अनार किसी हद तक संतुलित जलवायु वाले क्षेत्रों में। जब इस दुनिया में ये फल इतने गुणकारी हैं, तो परलोक में इनकी क्या स्थिति होगी?
इन आयतों से हम सीखते हैं:
स्वर्ग के पेड़ सदैव हरे-भरे, ताज़ा और जीवंत रहते हैं।
हरे-भरे जंगलों, झरनों, प्रचुर जल स्रोतों और रंग-बिरंगे फलों से लदे पेड़ों जैसे प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेना, स्वर्ग के वरदानों का एक हिस्सा है।
दुनिया में अल्लाह की नेमतों का अविश्वास और इंकार करना, मनुष्य को परलोक में अल्लाह की नेमतों से वंचित कर देता है।
अब हम सूरए अर-रहमान की आयत 70 से 78 तक की तिलावत सुनेंगे:
فِيهِنَّ خَيْرَاتٌ حِسَانٌ (70) فَبِأَيِّ آَلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (71) حُورٌ مَقْصُورَاتٌ فِي الْخِيَامِ (72) فَبِأَيِّ آَلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (73) لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنْسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَانٌّ (74) فَبِأَيِّ آَلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (75) مُتَّكِئِينَ عَلَى رَفْرَفٍ خُضْرٍ وَعَبْقَرِيٍّ حِسَانٍ (76) فَبِأَيِّ آَلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ (77) تَبَارَكَ اسْمُ رَبِّكَ ذِي الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ (78)
इन आयतों का अनुवाद हैः
उन बाग़ों में ख़ुश अख़लाक़ और ख़ूबसूरत औरतें होंगी [55:70] तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किन किन नेमतों को झुठलाओगे [55:71] वह हूरें हैं जो ख़ैमों में छुपी बैठी हैं [55:72] फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेमत से इन्कार करोगे [55:73] उनसे पहले उनको किसी इन्सान ने छुआ तक नहीं और न जिन ने [55:74] फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेमत से मुकरोगे [55:75] ये लोग उन मसनदों पर टेक लगाए होंगे जो सब्ज़ कपड़ों और दुर्लभ क़ालीनों से सजे होंगे [55:76] फिर तुम अपने परवरदिगार की किन किन नेमतों से इन्कार करोगे [55:77] तुम्हारा परवरदिगार जो साहिबे जलाल व करामत है उसी का नाम बड़ा बाबरकत है [55:78]
ये आयतें, जो सूरह अर-रहमान का आख़िरी भाग हैं, पिछली आयतों के अनुसार स्वर्ग में अल्लाह की अन्य नेमतों का वर्णन करती हैं। दुनिया में अल्लाह की एक नेमत 'जीवनसाथी' है जिसे उसने मनुष्य की आत्मिक शांति और वैध तरीक़े से यौन इच्छाओं की पूर्ति का साधन बनाया है। लेकिन दुनिया में अनेक लोग इस इच्छा को अवैध तरीक़े से पूरा करके गुमराह और विकृत हो जाते हैं। कुछ लोग अति करके शादी को ही अनुचित समझते हैं। वे भी विवाह न करके एक अलग प्रकार के पतन का शिकार होते हैं।
इन आयतों में स्वर्गवासियों के पुरस्कारों में से एक पवित्र, सुशील और सुंदर जीवनसाथियों का आनंद लेना बताया गया है, जो भव्य, विशाल और सजे-धजे स्थानों में निवास करेंगी। ये जीवन साथी या तो स्वर्गवासियों की ही जाति की होंगी या फिर मनुष्य और जिन्न के रूप में फरिश्तों की प्रकृति की, जो अपने मधुर व्यवहार और वाणी से स्वर्ग के निवासियों की सच्चे साथी होंगे। इन सुंदर स्त्रियों की एक विशेषता यह है कि इनसे पहले कभी किसी ने संपर्क नहीं किया होगा। वे केवल अपने पतियों के लिए होंगी, दूसरों की नज़रों से छिपी हुई और उनकी पहुँच से दूर।
सूरह अर-रहमान का पहला भाग दुनिया की नेमतों का वर्णन करता है, जबकि दूसरा भाग परलोक की नेमतों पर प्रकाश डालता है। इस सूरे की आयतें बार-बार मनुष्यों और जिन्नों से यह प्रश्न पूछती हैं कि "तुम अपने रब की किस किस नेमत को झुठलाओगे?" और क्यों तुम इन नेमतों के प्रति कृतज्ञता का दायित्व निभाने से इनकार करते हो? निस्संदेह, ये सभी नेमतें उस अल्लाह की ओर से हैं जो रहमत और बरकत का स्रोत है; वह अल्लाह जो अपनी महिमा और भव्यता के साथ-साथ अपने बंदों के प्रति उदारता और सम्मान दिखाने वाला भी है।
इन आयतों से हम सीखते हैं:
मनुष्य की प्राकृतिक प्रवृत्तियाँ परलोक में भी वैसी ही होंगी जैसी दुनिया में हैं, लेकिन स्वर्ग में उसकी इच्छाओं की पूर्ति सर्वोत्तम तरीक़े से की जाएगी।
स्वर्ग की स्त्रियाँ न केवल सुशील और सुंदर हैं, बल्कि उनमें आंतरिक पवित्रता भी है और वे बाहरी ढंग से भी दूसरों की नज़रों से सुरक्षित रहेंगी।
सारे संसार का पालनहार अपनी महिमा और भव्यता के साथ-साथ दानशीलता, उदारता और दया का प्रतीक भी है।