Jan ०५, २०१६ १४:४९ Asia/Kolkata
  • आइए फ़ार्सी सीखें-42

स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी ने जीवन भर अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष किया।


स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी ने जीवन भर अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष किया।  अत्याचारी पहलवी सरकार के विरुद्ध उनका संघर्ष १९६३ से बहुत गंभीर हो गया जो इस्लामी क्रांति की सफलता तक जारी रहा।  देश के भीतर पाए जाने वाले घुटन के वातावरण, देश की विदेशियों पर निर्भर्ता तथा शाह की इस्लाम विरोधी नीतियों जैसी बातों ने ईरानी जनता के बीच क्रोध की लहर उत्पन्न कर दी थी।  वर्ष १९७८ में शाह से संबन्धित एक समाचारपत्र ने इमाम ख़ुमैनी का अपमान किया।  इस अपमान के कारण जनता सड़कों पर आ गई और इस प्रकार धीरे-धीरे इस्लामी क्रांति की चिंगारियां आरंभ हुईं।  इन परिस्थितियों में इमाम ख़ुमैनी जैसे दूरदर्शी नेता के नेतृत्व में ईरानी राष्ट्र का आन्दोलन एक महान तूफ़ान में परिवर्तित हो गया जिसने अंततः भ्रष्ट शासक, शाह का तख़ता पलट दिया।  उन संकटग्रस्त परिस्थितियों में उपचार के बहाने शाह, ईरान से भाग खड़ा हुआ।  ईरान से शाह के भाग जाने के साथ ही देश में इमाम ख़ुमैनी के प्रवेष की भूमिका प्रशस्त हुई।  आरंभ में फ़ार्सी के शब्द और उनके अर्थ प्रस्तुत हैं। 


 

इमाम ख़ुमैनी

 

امام خمینی

 

वर्ष - वर्षों

سال ( سالها )

 

दूर

دور

 

से बाहर

خا رج از

 

संघर्ष

مبارزه

 

वे जारी रखे हुए थे

او ادامه می داد

 

लगभग

14 -حدود

 

साल या वर्ष

سال

 

बीज

بذر

 

जानकारी

آگاهی

 

जागरूकता

بیداری

 

जनता-लोग

مردم

 

वे बोते थे

او می پاشید

 

किस प्रकार

- چگونه

 

वह आया या वे आए।

او آمد

 

जबकि-जिस समय

وقتی که

 

अपने चरम पर पहुंचा

اوج آن رسید

 

राजा

شاه

 

वह गया या वे गए

او رفت

 

दस दिन

ده روز

 

पहले-पूर्व

قبل -

 

सफलता

پیروزی

 

क्रांति

انقلاب

 

इस्लामी क्रांति

انقلاب اسلامی

 

वे वापस आए

او بازگشت

 

फ़िल्म

فیلم -

 

आना

آمدن

 

कुछ

کمی

 

मैंने देखा है

من دیده ام

 

उनका स्वागत

استقبال از

 

वे

ایشان

 

अद्वितीय

بی نظیر

 

मेरे पिता

پدرم

 

शीराज़।  एक ईरानी नगर का नाम

شیراز

 

वह आया था या वे आए थे

او آمده بود

 

यादें

خاطره

 

 

خوش

 

वे दिन-उन दिनों

آن روزها

वह रखता है-उसके पास है

او دارد

 

सबसे बड़ा

بزرگترین

 

घटना

رویداد

 

शताब्दी

قرن

 

बीसवीं

بیستم

 

उन्होंने पढ़ा है

آنها خوانده اند -

 

धर्म

دین

 

उसने जीवित किया

آن زنده کرد

 

न केवल

نه تنها

 

विश्व-संसार

جهان

 

बल्कि

بلکه

 

प्रभावित किया

تحت تاثیر قرار داد

 

क़िस्म-प्रकार

نوع

 

सरकार

حکومت

 

वह निर्धारित हुई

آن تعیین شد

 

व्यवस्था

نظام

 

 

इस्लामी गणतंत्र

جمهوری اسلامی

 

उसने प्रस्ताव दिया

او پیشنهاد کرد

 

 

طی

 

जनमत संग्रह

همه پرسی

 

उन्होंने मतदान किया

آنها رأی دادند

 

वे क्रांति लाए

آنها انقلاب کردند

 

सरकार

حکومت

 

उनके दृष्टिगत

مورد نظرشان

 

से अधिक

بیش از - 98

 

९८ प्रतिशत

درصد

 

मत-वोट

رأی

 

सकारात्मक

مثبت

 

उन्होंने दिये

آنها دادند

 

इसीलिए

به همین خاطر

 

सदैव

همواره

 

समर्थक

پشتیبان

 

वे हैं।

آنها هستند

 

अब मुहम्मद और रामीन की वार्ता

मुहम्मदः तो इमाम ख़ुमैनी वर्षों तक ईरान से दूर थे और ईरान से बाहर से अपने संषर्घ को जारी रखे हुए थे।

 

محمد - پس امام خمینی سالها از ایران دور بود و از خارج از ایران ، به مبارزات خود ادامه می داد .

रामीनः हां।  इमाम ख़ुमैनी लगभग १४ वर्षों तक ईरान से बाहर रहे किंतु वे सदैव लोगों को जागरूक करते रहे।

 

رامین - بله . امام حدود 14 سال از ایران دور بود . اما همواره بذر آگاهی و بیداری را در مردم می پاشید

मुहम्मदः इमाम ख़ुमैनी किस प्रकार ईरान आए?

 

محمد - امام خمینی چگونه به ایران آمد ؟

रामीनः जब जनता का संषर्घ अपने चरम पर पहुंचा तो शाह ईरान से भाग गया।  उसके बाद इस्लामी क्रांति की सफलता से दस दिन पूर्व इमाम ख़ुमैनी ईरान वापस आए।

 

رامین - وقتی که مبارزات مردم به اوج خود رسید ، شاه از ایران رفت . پس از آن ، ده روز قبل از پیروزی انقلاب اسلامی ، امام خمینی به ایران بازگشت

मुहम्मदः मैंने इमाम ख़ुमैनी के ईरान आगमन की फ़िल्में देखी हैं।  जनता ने जो उनका भव्य स्वागत किया वह अद्वितीय था।

 

محمد - فیلم هایی از آمدن امام خمینی به ایران دیده ام . استقبال مردم از ایشان بی نظیر بود

रामीनः हां मेरे पिता भी इमाम ख़ुमैनी के स्वागत के लिए शीराज़ से तेहरान आए थे।

 

رامین - بله . پدرم هم از شیراز برای استقبال از امام خمینی به تهران آمده بود . او خاطره خوشی از آن روزها دارد

मुहम्मदः इस्लामी क्रांति को क्यों बीसवीं शताब्दी में ईरान की सबसे बड़ी घटना कहा जाता है?

 

محمد - چرا انقلاب اسلامی را بزرگترین رویداد ایران در قرن بیستم خوانده اند ؟

रामीनः इसलिए कि ईरान की क्रांति ने धर्म को जीवित किया और न केवल ईरान बल्कि विश्व को प्रभावित किया।

 

رامین - برای اینکه انقلاب ایران ، دین را زنده کرد و نه تنها ایران ، بلکه جهان را نیز تحت تاثیر قرار داد

मुहम्मदः इस्लामी क्रांति की सफलता का पश्चात ईरान में किस प्रकार की सरकार गठित हुई?

 

محمد - پس از پیروزی انقلاب ، چگونه نوع حکومت ایران تعیین شد ؟

रामीनः इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रस्ताव दिया था तथा जनमत संग्रह में जनता ने भी उसी का चयन किया।

 

رامین - امام خمینی ، نظام جمهوری اسلامی را پیشنهاد کرد و مردم طی یک همه پرسی به آن رأی دادند.

मुहम्मदः तो ईरानी जनता स्वयं क्रांति लाई और बाद में उसने अपने दृष्टिगत सरकार का गठन किया।

 

محمد - پس مردم ایران خودشان انقلاب کردند و بعد هم به حکومت مورد نظرشان رأی دادند

रामीनः हां।  ९८ प्रतिशत से अधिक लोगों ने इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था के हित में मतदान किया।

 

رامین - بله . بیش از 98 درصد مردم به جمهوری اسلامی رأی مثبت دادند .

मुहम्मदः अच्छा तो फिर यही कारण है कि ईरान की जनता सदैव इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था की समर्थक है।

 

محمد - پس به همین خاطر است که مردم ایران ، همواره پشتیبان نظام جمهوری اسلامی هستند.

जैसाकि हमने बताया था कि ईरान में इमाम ख़ुमैनी के आगमन के साथ इस्लामी क्रांति की सफलता की भूमिका प्रशस्त हुई।  ईरान में इमाम ख़ुमैनी के आगमन पर उनका भव्य स्वागत, एक एसी अद्वितीय घटना है जो ईरान के इतिहास में अमर है।  ईरानी जनता ने स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी का स्वागत जिस उत्साह से किया वह उल्लेखनीय है।  वे तेहरान के मेहराबाद हवाई अडडे से इस्लामी क्रांति के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के उद्देश्य से सीधे बहिश्ते ज़हरा नामक क़ब्रिस्तान गए।  बहिश्ते ज़हरा में उन्होंने भाषण दिया।   अंततः ईरान में इमाम ख़ुमैनी के प्रवेष के पश्चात इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में जन विरोध अपने परिणाम को पहुंचा और इस्लामी क्रांति सफल हुई।  वर्तमान समय में ईरान की इस्लामी व्यवस्था की स्थिरता और उसका सम्मान, उन लोगों के बलिदान की ऋणी है जिन्होंने इस व्यवस्था की स्थिरता के लिए यथासंभव प्रयास किये।


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