Nov १९, २०१६ १६:३८ Asia/Kolkata

कांच और चीनी मिट्टी के बर्तनों का यह ईरान का एकमात्र संग्रहालय है।

इसमें पहली और दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से लेकर क़ाजारी शासनकाल के क्रिस्टल और चीनी के बर्तन रखे हुए हैं। इमारत और वास्तुकला तथा हालों में मौजूद चीज़ों पर पड़ने वाले प्रकाश के कारण,इस संग्रहालय में काफ़ी लोग जाते हैं।

इस संग्रहालय की इमारत 1040 वर्ग मीटर पर अष्टकोणीय बनी हुई है। यह दो मंज़िला इमारत है और इसमें एक भूतल भी है। इस इमारत का मॉडल, क़ाजारी दौर की अधिकांश इमारतों की तरह ईरान की पारम्परिक एवं पश्चिम की 19वीं शताब्दी की वास्तुकला का नमूना है। संग्रहालय की अष्टकोणीय इमारत 7,000 वर्ग मीटर के एक बाग़ में स्थित है, जो देखने वालों के लिए दिलचस्प हो सकती है। इसका आकर्षक डिज़ाइन और सुन्दर दरवाज़ें एवं खिड़खियां काफ़ी अच्छी स्थिति में हैं, यह सलजूक़ी काल की वास्तुकला की याद दिलाती है और यह वर्तमान वास्तुकारों के लिए पारम्परिक शैली का एक नमूना साबित हो सकती है।

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इस इमारत को क़ाजारी शासनकाल के एक अधिकारी अहमद क़वाम के आदेश के अनुसार, 1913 में निवास स्थल के रूप में बनाया गया था। 1976 में दुनिया की कई अहम इमारतों के डिज़ाइनर हॉलीन हैन्स के नेतृत्व में ईरानी, ऑस्ट्रियाई और जर्मन इंजीनियरों ने इसे संग्रहालय का रूप दिया और 1980 में इसका उद्घाटन हुआ।

इस इमारत को मोडलिंग, शीशों, दरवाज़ों एवं ज़ीनों पर नक्क़ाशी तथा इमारत के बाहरी भाग को ईंटों की टाइलों से सजाया गया है। विभिन्न ज्यामितीय डिज़ाइनों में क़रीब 50 प्रकार की ईंटों का इस्तेमाल किया गया है और उनसे गुल बूटे बनाए गए हैं। इस इमारत को 1988 में ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों की सूचि में शामिल कर लिया गया।

इस संग्रहालय में क्रिस्टल और चीनी के बर्तनों को 6 हालों और एक कोठरी में प्रदर्शन के लिए रखा गया है। क्रिस्टल के बर्तनों में ईसा पूर्व पहली और दूसरी सहस्राब्दी के इत्रदान, हखामनेशी एवं अशकानी काल के जाम और सुराही, इस्लाम पूर्व से लेकर सासानी एवं इस्लामी काल और वर्तमान काल से संबंधित आभूषण और बर्तन।

इस संग्रहालय की क्रिस्टल वस्तुओं में दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के ईरानियों के सबसे बड़े चोग़ाज़ंबील उपास्ना स्थल की खिड़कियों में इस्तेमाल होने वाली रंगबिरंगी शीशे की सलाख़े हैं। संग्रहालय में मौजूद क्रिस्टल की वस्तुओं से ईरान में शीशे के इतिहास और ईरानी उस्तादों की महारत का पता चलता है। इसके अलावा, 18वीं एवं 19वीं शताब्दी में यूरोप में बनने वाले क्रिस्टल बर्तन भी प्रदर्शनी के लिए रखे हुए हैं।

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ईरान के मिट्टी और शीशे के बर्तनों में ईसा पूर्व सादा मिट्टी के बर्तनों के नमूने हैं, जिन पर जानवरों के चित्र और अन्य विभिन्न प्रकार के चित्र बने हुए हैं, जिन्हें तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के शीशे के आवरण से तैयार किया गया था। इसी प्रकार इस्लामी काल के मिट्टी के बर्तन यहां मौजूद हैं, जिन्हें विभिन्न प्रकार के शीशे के आवरण जैसे कि गोल्डन रंग और रंग बिरंगे रंगों या एक रंग से बनाया गया है।

शिलालेख, पेंटिंग, जानवरों, परिंदों और विभिन्न सभाओं में इंसानों के चित्र इस काल की वस्तुओं पर पाए जाते हैं। कुल मिलाकर ईरान के इस संग्रहालय में पांच हज़ार साल पुरानी शीशे की वस्तुएं और दस हज़ार साल पुराने मिट्टी के बर्तन हालों में प्रदर्शन के लिए रखे हुए हैं। संग्रहालय में चौथी से सातवीं हिजरी शताब्दी से संबंधित शिलालेख वाले विभिन्न प्रकार के बर्तन जैसे की गोल्डन रंग वाले, तामचीनी, नीले और आवरण वाले बर्तन रखे हुए हैं। संगीत***

पहले और दूसरे हॉल पहली मंज़िल पर और अन्य दूसरे हॉल दूसरी मंज़िल पर स्थित हैं। क्रिस्टल नामक दूसरे नम्बर के हॉल में शीशे की सबसे प्राचीन वस्तुएं रखी हुई हैं। पहली मंज़िल की शीशे और मिट्टी की वस्तुएं भी इतिहास पूर्व काल से संबंधित है। हाथ से बनाया गया मिट्टी का सबसे पुराना बर्तन, अशकानी काल से संबंधित है।

मोती हॉल का नाम मोती की भांति होने के कारण रखा गया है, इस हॉल में नीशापूर के तीसरी और चौथी शताब्दी के मिट्टी के बर्तन हैं। सलजूक़ी काल के गोल्डन रंग के चीनी के बर्तनों के कारण चौथे हाल का नाम जर्रीन रखा गया है, यहां ऐसे बर्तन रखे हुए हैं, जिनके चारो ओर नस्ख़ और नस्ताअलीक़ लिपि में लिखा हुआ है। इसी प्रकार इन बर्तनों से मंगोलियाई झलक भी झलकती है, जिन पर बने चित्र उत्पादन के स्थान विभिन्न होने के कारण एक दूसरे से भिन्न हैं।

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पांचवें हॉल को नीले रंग के आवरण के कारण लाजवर्द कहा जाता है, यहां रखी गई वस्तुएं सातवीं और आठवीं शताब्दी से संबंधित हैं। सफ़वी काल से निकट होने के कारण, वस्तुएं अधिक इस्तेमाल के योग्य होती चली जाती हैं। इस भाग की सुन्दरता गुलाब पाशी और सुराही है। इसी प्रकार, क़ाजारी काल से संबंधित मेज़ पर सात रंग का वार्निश है और इस पर शाहनामे के पात्रों के चेहरों की चित्रकारी है और हर पात्र का नाम उसके चेहरे के ऊपर लिखा हुआ है।

इस संग्रहालय में क्रिस्टल एवं चीनी मिट्टी के बर्तनों के अलावा, चीज़ों की मरम्मत करने की एक वर्कशाप, मिट्टी के बर्तनों की वर्कशाप, ऑडिटोरियम और पुस्तकालय भी है। इसी प्रकार, पारम्परिक उद्योगों और कला का परिचय कराने और उसकी सुरक्षा के लिए संग्रहालय में मौजूद चीज़ों के नमूने बनाए गए हैं और बेचे जाते हैं।

इस संग्रहालय में विभिन्न आयु के लोगों विशेष रूप से बच्चों को चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने, शीशे को तराशने और उस पर चित्रकारी करने की कला सिखाई जाती है। कुल मिलाकर ईरान का यह संग्रहालय एक आकर्षक संग्रहालय है, शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने यह संग्रहालय देखा हो और उसका आनंद नहीं लिया हो। यह संग्रहालय, तेहरान के जमहूरी इस्लामी रोड पर सी तीर स्ट्रीट में स्थित है। संगीत***

श्रोताओ कार्यक्रम के दूसरे भाग में हम एक दूसरे संग्रहालय से आप लोगों को परिचित करवा रहे हैं। तमाशागहे ज़मान संग्रहालय, ईरान में समय के मापने का पहला संग्रहालय है। सन् 2008 में विभिन्न कालों में समय के मापने के उपकरणों के प्रदर्शन के लिए इस संग्रहालय का उद्घाटन हुआ। इस संग्रहालय में समय का अर्थ, समय से संबंधित विभिन्न राष्ट्रों के दृष्टिकोण, समय को मापने के उपकरणों और घड़ियों को प्रस्तुत किया गया है। समय देखने के उपकरणों को तीन भागों, प्रारम्भिक घड़ियों, यांत्रिक घड़ियों और आधुनिक घड़ियों में बांटा गया है।

इस संग्रहालय के सहन में पत्थर की सौर घड़ियां, ऑवर-ग्लास, पानी की घड़ी और ईंधन की घड़ी रखी हुई हैं। इमारत के भीतर भी दीवारी यांत्रिक घड़ियां, मेज़ पर रखी जाने वाली घड़ियां, जेब में रखी जाने वाली घड़ियां और कलाई पर बांधी जाने वाली घड़ियां रखी हुई हैं। इमारत के एक भाग में ईरानी कलैंडर के बारे में दस्तावेज़ रखे हुए हैं। संग्रहालय की पहली मंज़िल यांत्रिक, दीवारी और विभिन्न प्रकार की घड़ियों से विशेष है। दूसरी मंज़िल पर जेब में रखी जाने वाली और कलाई पर बांधी जाने वाली सुन्दर घड़ियां और कलैंडर एवं समय से संबंधित विभिन्न सामग्रियां प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं।

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700 वर्ग मीटर की संग्रहालय की दो मंज़िला इमारत, 5000 वर्ग मीटर के सहन में बनी हुई है और मोल्डिंग, टाइलिंग और मुक़रनस के काम के कारण यह एक विशिष्ठ इमारत मानी जाती है। यह प्राचीन इमारत, लगभग 80 साल पुरानी है और ज़ाफ़रानिए में स्थित इस बाग़ का इतिहास मोहम्मद शाह और नासेरूद्दीन शाह के काल से जा मिलता है।

यह इमारत मिट्टी और ईंटों से बनाई गई थी और इसका ढांचा लकड़ी का था, लेकिन पूर्ण रूप से इसका पुनर्निमाण किया गया और इसके ढांचे को स्टील में बदल दिया गया। इमारत के भीतर भी कुछ बदलाव किया गया है। इस इमारत में की गई मोल्डिंग ईरानी और पश्चिमी शैली का मिश्रण है। इमारत का बाहरी भाग जैसे कि प्रमुख द्वार क़ाजारी काल और आधुनिक शैली का मिश्रण हैं। इमारत के भीतर एक बहुत ही सुन्दर कमरा हर देखने वाले ध्यान अपनी ओर खींच लेता है, जो इस्फ़हानी कमरे के नाम से मशहूर है। इस कमरे की मोल्डिंग सफ़वी काल के इस्फ़हान के आली क़ापू महल से प्रभावित है। इसकी मोल्डिंग में क़रीब 10 वर्ष लगे, जिसमें हाज अब्दुल करीम नवीद तेहरानी, उस्ताद फ़रहाद याहया पूर, उस्ताद मोहम्मद याहया पूर, उस्ताद जाफ़री जैसे कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया है। 

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तमाशाह गहे ज़मान संग्रहालय और ऐतिहासिक घर क़ाजारी काल से संबंधित है और यह तेहरान में ख़याबाने वली अस्र अर्थात वली अस्र रोड, ख़याबाने ज़ाफ़रानिए, ख़याबाने सर लश्कर फ़लाही में स्थित है। इस इमारत को 2003 में ईरान की राष्ट्रीय धरोहर की सूचि में शामिल कर लिया गया।                                     

 

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