सोमवार - 30 दिसम्बर
2006 - इराक़ के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन को फ़ाँसी दी गई।
1893, रूस और फ्रांस ने सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर किये।
1906, ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना की स्थापना हुई।
1922, रूस की राजधानी मास्को के बोलशोई थियेटर से सोवियत संघ के निर्माण की औपचारिक रूप से घोषणा की गई।
1935, इटली के लड़ाकू विमानों के हमले में अफ्रीकी देश इथोपिया स्थित स्वीडन की रेड क्रास इकाई ध्वस्त।
1975, अफ्रीक़ी देश मडागास्कर में संविधान प्रभावी हुआ।
1943, स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में भारत की आजादी का झंडा लहराया।
2007, स्वर्गीय बेनजीर भुट्टो के पुत्र बिलावल को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का चेयरमैन चुना गया।
30 दिसम्बर सन 2006 ईसवी को इराक़ में तानाशाह सद्दाम हुसैन को अदालत के फ़ैसले के अनुसार फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। सद्दाम ने अनगिनत अपराध किए। वर्ष 1937 में बग़दाद के 140 किलोमीटर उत्तर में स्थित तिकरीत नगर के निकट सद्दाम का जन्म हुआ। सद्दाम 20 वर्ष की आयु में बास पार्टी में शामिल हो गये वर्ष 1968 में अहमद हसन अलबक्र के नेतृत्व में जब बास पार्टी ने इराक़ में विद्रोह करके अपनी सरकार बनाई तो सद्दाम ने उप राष्ट्रपति का पद हथिया लिया। वर्ष 1979 में उसने स्वयं को इराक़ का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। इराक़ के इस रक्त पिपासु तानाशाह ने राष्ट्रपति पद के साथ ही बास पार्टी की अध्यक्षता, सेना की कमान तथा अन्य बहुत से महत्वपूर्ण पद अपने ही पास रखे। सद्दाम ने अपने शासन के आरंभ में ही पश्चिमी देशों के उकसावे में आकर पड़ोसी देश इस्लामी गणतंत्र ईरान पर आक्रमण कर दिया जिसके दौरान बहुत सी आपराधिक कार्यवाहिंया उसने कीं और रासायनिक हथियारों का भी प्रयोग किया। पश्चिमी देशों से मिलने वाले रासायनिक हथियारों को सद्दाम ने ईरान के साथ ही अपने देश की जनता पर भी प्रयोग किया। ईरान के साथ आठ वर्षीय युद्ध समाप्त होने के दो वर्ष बाद सद्दाम ने कुवैत पर हमला कर दिया जिस पर पूरे विश्व ने प्रतिक्रिया दिखाई। सुरक्षा परिषद ने कुवैत से इराक़ी सेनाओं को बाहर निकाला और इराक़ पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए जिनका सबसे अधिक विनाशकारी प्रभाव जनता पर पड़ा। सद्दाम ने वर्ष 2003 में इराक़ पर अमरीका और ब्रिटेन के आक्रमण में अपने शासन के अंत तक दसियों हज़ार इराक़ियों को मार डाला किंतु उसे मौत की सज़ा वर्ष 1982 में अद्दुजैल गांव के लोगों के जनसंहार के मामले में ही दी गई।
30 दिसम्बर सन 1835 ईसवी को अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन का जन्म हुआ। लेखन आरंभ करने से पहले वे प्रेस में काम करते थे। ट्वेन ने बच्चों और युवाओं के लिए रोचक कहानियां लिखीं। आयु के अंतिम दिनों में वे आर्थिक संकट में फँस गये थे। अपनी दो पुत्रियों के निधन के बाद अंतत: 1910 ईसवी में वे भी चल बसे।
30 दिसम्बर सन 1947 ईसवी को फिलिस्तीन के बलदुश्शैख़ गांव पर दो ज़ायोनी संगठनों के आतंकवादियों ने आक्रमण किया। इस पाश्विक आक्रमण में फ़िलिस्तीनियों के घरों को जला दिया गया और 60 फिलिस्तीनी मौत के घाट उतार दिए गये। इसी दिन एक आतंकवादी ज़ायोनी गुट एयरगॉन ने बमों से आक्रमण करके 17 फिलिस्तीनियों को शहीद और अन्य दसियों को घायल कर दिया। यह आक्रमण फ़िलिस्तीनियों को उनकी भूमि से निकालने और ज़ायोनी शासन के अतिस्तत्व की घोषणा के लिए किये गये थे।
30 दिसम्बर सन 1947 ईसवी को रोमानिया के नरेश के त्यागपत्र के साथ ही इस देश में राजशाही शासन व्यवस्था का अंत हुआ और लोकतंत्र की स्थापना हुई। 1862 ईसवी तक यह देश उसमानी शासन के अधीन था। सन 1877 तक इस देश ने कठिन प्रयास करके स्वाधीनता प्राप्त की। 1913 से 1920 के बीच रोमानिया का क्षेत्रफल दोगुना हो गया। इसका कारण बालकान युद्ध के बाद रोमानिया की फ़्रांस और ब्रिटेन के साथ एकता थी जिसके फलस्वरुप हंग्री का कुछ भाग रोमानिया को मिल गया किंतु द्वितीय विश्व युद्ध में उक्त भाग लगभग पूर्ण रुप से रोमानिया के नियंत्रण से निकल गया। 1947 में रोमानिया के अंतिम नरेश मीख़ाइल सत्ता से हट गये और वहॉ लोकतंत्र स्थापित हुआ। आरंभ में इस देश में कम्युनिस्ट शासन रहा किंतु 1989 में कम्युनिस्ट शासन व्यवस्था का पतन हो गया।
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9 दय सन 1357 हिजरी शम्सी को ईरान की जनता के आंदोलन को कुचलने में जनरल अज़हारी की सरकार के विफल हो जाने के बाद पहलवी श्रंखला के दूसरे व अंतिम राजा मोहम्मद रज़ा पहलवी शापूर बख़्तियार को प्रधानमंत्री नियुक्त करके देश से भाग निकला। मोहम्मद रज़ा पहलवी और अमरीका को यह आशा थी कि बख़्तियार अपने राष्ट्रवादी नारों और कथित सुधारवादी नीतियों के माध्यम से जनक्रांति पर नियंत्रण प्राप्त कर लेंगे किंतु ईरानी जनता को अमरीका और शाह की चालों की पूर्ण जानकारी थी अतः लोगों ने शापूर बख़्तियार की सरकार का विरोध आरंभ कर दिया तथा उसे शाही सरकार और अमरीका का पिट्ठू कहा। इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था के संस्थापक स्वर्गिय इमाम ख़ुमैनी ने एक बयान जारी करके घोषणा कर दी कि बख़्तियार की सरकार ग़ैर क़ानूनी है।
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3 जमादिल अव्वल सन 1292 हिजरी क़मरी को मुसलमान विद्वान, धर्मगुरु और कवि आयतुल्लाह मीरज़ा अबु अब्दिल्लाह शैख़ुल इस्लाम ज़न्जानी का स्वर्गवास हुआ। वे सन 1224 हिजरी क़मरी में ईरान के ज़न्जान नगर में जन्मे। वे कम आयु में ही ज्ञान की प्राप्ति के लिए इस्फ़हान चले गए। इस्फ़हान के धार्मिक शिक्षा केन्द्र से जो उस समय धार्मिक ज्ञानों के प्रतिष्ठित केन्द्रों में गिना जाता था, अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात वे ज़न्जान वापस आ गए और वहां शिक्षा शिक्षा में व्यस्त हो गए। आयतुल्लाह ज़न्जानी ने अनेक किताबें लिखीं हैं जिनमें हुज्जतुल अबरार और हेदायतुल मुत्तक़ीन उल्लेखनीय हैं।
3 जमादिउल औवल सन 1307 हिजरी क़मरी को इराक़ के काज़मैन नगर में वरिष्ठ धर्मगुरु हाज सैयद इस्माईल सद्र का निधन हुआ। उन्होंने आरंभिक शिक्षा अपने भाई से प्राप्त की और फिर उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए वे पवित्र नगर नजफ़ गये जहॉं उन्होंने इस्लामी विषयों का पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया।