Feb ०७, २०१७ १७:०१ Asia/Kolkata

ईरान का तालाबे अंज़ली या अंज़ली तालाब कैस्पियन सागर के तटों के दक्षिण-पश्चिम में इसी सागर के दक्षिण में सबसे अहम व्यापारिक बंदरगाह अर्थात अंज़ली बंदरगाह के पड़ोस में स्थित है।

अंज़ली तालाब समूह में पूर्वी, पश्चिमी, केन्द्रीय, सरख़ानकल, सिलके और सियाह कशीम भाग शामिल है।

अंज़ली तालाब दुनिया के सबसे बड़े व सुदंर तालाबों में गिना जाता है। इस तालाब में अनेक टापू हैं। इस तालाब में एक टापू का नाम मियान पुश्ते है जिसे इस तालाब का सबसे अहम टापू समझा जाता है। अंज़ली तालाब न सिर्फ़ पर्यावरण बल्कि पर्यटन और आर्थिक दृष्टि से भी बहुत अहमियत रखता है। तालाब के चारों ओर मौजूद नरकुल, सीगुल पक्षी का पलायन करके इस तालाब में आना और हंसों की मौजूदगी से सम्मोहित करने वाला दृष्य पैदा होता जो हर देखने वाले को अपनी ओर खींचता है और इसी चीज़ ने इसे एक पर्यटन गढ़ बना दिया है।

इस तालाब में जलचर और ग़ैर जलचर पशुओं की विभिन्न प्रजातियां पायी जाती हैं। अंज़ली वेटलैंड के दक्षिणी छोर पर एक बहुत ही प्राचीन गांव स्थित है जिसका नाम ‘आबकेनार’ है। यह गांव ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत पुराना होने के साथ साथ बहुत ही दर्शनीय भी है। विगत से अब तक बाग़, खेत और समुद्र से मिलने वाले उत्पाद का बड़ा भाग इसी गांव के किसानों व शिकारियों की कोशिशों से उपलब्ध होता आया है। उल्लेखनीय है कि ‘आबकेनार’ गांव वास्तव में प्रायद्वीप जैसा लगता है जो दलदल, सियाह गीशे नदी और हिन्दे ख़ाले व इस्फ़न्द सर तालाब से घिरा हुआ है और सिर्फ़ दक्षिण से खुला हुआ है। इस गांव के दक्षिणी छोर पर ट्रान्ज़िट मार्ग पूनल और अंज़ली-आसतारा मार्ग पड़ता है।

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अंज़ली तालाब मीठे पानी के प्राकृतिक तालाबों का समूह है। अंज़ली तालाब में सियाह दर्वीशान, हिन्द ख़ाले और पसीख़ान सहित 11 नदियों से पानी पहुंचता है। यह तालाब 15000 हेक्टर क्षेत्रफल पर फैला हुआ है और आज़ाद जलक्षेत्र की सतह से 23 मीटर नीचे स्थित है। अंज़ली तालाब बहुत सी मछलियों के अंडा देने, जलचर और पानी के किनारे रहने वाले बहुत से परिन्दों के शीत ऋतु गुज़ारने और अंडा देने का स्थल है। इसी प्रकार इस तालाब में व्यापक स्तर पर नरकुल के साथ वनस्पतियां भी बहुत है।

लगभग 11 मुख्य नदियां और 30 छोटी छोटी नदियां अंज़ली तालाब में गिरती हैं। इस तालाब में सबसे ज़्यादा गहराई 5.2 मीटर है। यह गहराई कैस्पियन सी के जलस्तर में आने वाले बदलाव के कारण बदलती रहती है। इसी प्रकार अंज़ली तालाब का तापमान 16 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है। शीत ऋतु में तालाब का तापमान 2 से 11 सेंटीग्रेड के बीच बदलता रहता है। इस तालाब में सालाना 1500 से 2000 मिलीमीटर बारिश होती है। इसी प्रकार इस तालाब में 80 से 85 प्रतिशत आर्द्रता पायी जाती है। कुल मिलाकर अंज़ली तालाब गर्मी के मौसम में गर्म व आर्द्र और शीत ऋतु में हल्का ठंडा रहता है।

अंज़ली तालाब मीठे पानी के कम गहराई वाले तालाब की श्रेणी में आता है। इस तालाब और कैस्पियन सी के बीच लगभग एक किलोमीटर रेत की पट्टी है। ग़ैर तालाब वाले भाग में कहीं कहीं 6 मीटर से ज़्यादा ऊंचे नरकुल उगते हैं। 1984 में ईरान की वैज्ञानिक व औद्योगिक संस्था और कृषि संस्था पशुओं के चारे और गीलान प्रांत में चावल की खेती  के लिए ज़रूरी खाद के लिए फ़िलिपीन से काई लाकर इस क्षेत्र में छोड़ दी जहां से यह काई अंज़ली तालाब में पहुंची।

अंज़ली तालाब में पानी के ऊपर और पानी में डूबी हुयी दोनों प्रकार की वनस्पतियां उगती है।             

अंज़ली तालाब जलचर परिंदों के लिए अंडे देने और सर्दी का मौसम बिताने के लिए बहुत उचित स्थल है। इस तालाब में सफ़ेद दुम वाला बाज़ अंडे देता है। इसी प्रकार इस तालाब में हर साल बड़ी संख्या में हंस, कलहंस, बत्तख़ और बगुले शीत ऋतु गुज़ारते हैं।

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अंज़ली तालाब में अब तक 78 प्रकार के परिंदों की पहचान हो चुकी है कि इनमें 33 प्रकार के जलचर व पलायनकर्ता परिंदे हैं जबकि 45 प्रकार के परिंदे तालाब के आस-पास के जंगलों में रहते हैं। अंज़ली तालाब में मछलियों की विभिन्न प्रजातियां पायी जाती हैं जिनमें कॉमन ब्रीम और कार्प उल्लेखनीय हैं।

तालाब के किनारे जंगली सुअर, साही और सियार रहते हैं।

अंज़ली तालाब 1976 में रामसर कन्वेन्शन के दायरे में आया और परिन्दों की संरक्षक अंतर्राष्ट्रीय परिषद ने भी इस तालाब को परिन्दों के जीवन यापन के महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में इसे चिन्हित किया। सियाह कशीम संरक्षित क्षेत्र, सिलके वन्य जीवन शरण स्थल, शिकार के लिए वर्जित सरख़ानकल क्षेत्र भी अंज़ली तालाब का हिस्सा है।

पर्यावरण रक्षा संस्था के गार्ड इस तालाब में नौका के ज़रिए गश्त लगाते रहते हैं और इसी तालाब में इस समय पर्यावरण रक्षा संस्था की चौकी भी है। हर साल अंज़ली तालाब के परिन्दों की गणना होती है।

अंज़ली तालाब की रक्षा के लिए इस्लामी गणतंत्र ईरान ने अंतर्राष्ट्रीय कन्वेन्शनों के संदर्भ में व्यापक सहयोग किया है। जैसे कि जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी जेआईसीए के साथ ईरान ने सहयोग किया है।     

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तालाब अद्वितीय प्राकृतिक स्रोत के रूप में बहुत ज़्यादा अहमियत रखते हैं। अंज़ली तालाब भी इस तरह के प्राकृतिक स्रोत के रूप में बहुत अधिक आर्थिक-सामाजिक अहमियत रखता है। तालाब वन्य जीव और वनस्पतियों के जेनेटिक स्रोत की रक्षा करते हैं। इसी प्रकार वनस्पतियों का इस्तेमाल, तलछट का खाद के रूप में प्रयोग, मछलियों व परिन्दों का शिकार और पर्यटकों का भ्रमण अंज़ली तालाब की अन्य विशेषताएं हैं।

इस बात का उल्लेख भी ज़रूरी है कि इस समय तालाब और उसके आस-पास के क्षेत्र को खेती, पशुओं के चारे, मछली व परिन्दों के शिकार, नौका विहार, लोगों व वस्तुओं के स्थानांतरण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी प्रकार यह तालाब पड़ोस के क्षेत्रों में खेत की सिचाई के लिए पानी की आपूर्ति करने वाला महत्वपूर्ण स्रोत भी है।

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अंज़ली तालाब ईरान में पशुओं के सबसे बड़े प्राकृतिक निवास स्थान में गिना जाता है। हर साल इस तालाब में ईरान के उत्तरी पड़ोसी देशों से बड़ी संख्या में पलायनकर्ता परिन्दे इस तालाब में ठहरते हैं। यह तालाब उच्च आर्द्रता और पानी की आपूर्ति की दृष्टि से अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण बहुत अहम है। अंज़ली तालाब को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलचर और पलायनकर्ता पक्षियों का उचित निवास स्थल माना जाता है। इसी प्रकार इस तालाब में कैस्पियन सफ़ैद मछली अंडे देती है। इसी प्रकार अपने प्राकृतिक अक्वैटिक इकोसिस्टम के कारण भी यह तालाब बड़ी संख्या में सैलानियों को अपनी ओर खींचता है। अंज़ली तालाब में कैस्पियन सी के जलचर पलायन करते और अंडे देते हैं।

इस तालाब के सुदंर टापुओं में पानी से बाहर निकले हुए कुमुदिनी के हरे पत्तों ने इस तालाब के सौंदर्य में चार चांद लगा दिए हैं। इस बात के मद्देनज़र कि अंज़ली तालाब में ट्यूलिप के फूल सिर्फ़ गर्मी के मौसम में खिलते हैं इसलिए गर्मी का मौसम इस तालाब को देखने का सबसे अच्छा समय है। इस तालाब के बारे में एक महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि इसके फूल कुमुदिनी के नाम से मशहूर हैं लेकिन वास्तव में ये फूल इंडियन लोटस हैं।

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अंज़ली तालाब में बड़ी मात्रा में नरकुल उगने के कारण यह तालाब हर साल हज़ारों की संख्या में पलायनकर्ता परिन्दों को अपने यहां आकर्षित करता है। ये परिन्दे उत्तरी गोलार्ध से कि जहां का क्षेत्र बर्फ़ से ढका होता है, शीत ऋतु गुज़ारने के लिए इस तालाब की ओर रुख़ करते हैं। तालाब में उगने वाली वनस्पतियां परिन्दों के लिए सुरक्षित शरण स्थल के साथ साथ गीलान के स्थानीय हस्तकला उद्योग के लिए ज़रूरी कच्चे माल का स्रोत भी हैं। नाना प्रकार की चटाइयों और टोकरियों के लिए ज़रूरी कच्चे माल का स्रोत इस तालाब में उगने वाली वनस्पतियां ही हैं।

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