ईरान के तालाब- 11
ईरान के दक्षिण पूर्वी इलाक़े में सीस्तान व बलूचिस्तान एक विशाल प्रांत है।
यह दो अलग इलाक़ों सीस्तान और बलूचिस्तान से मिलकर बना है। बलूचिस्तान की विविध जलवायु का संबंध ओमान खाड़ी से है। मध्य बलूचिस्तान के 3941 मीटर ऊंचे इलाक़े में तफ़तान ज्वालामुखी शंकु के कारण, इलाक़े की जलवायु आश्चर्य की हद तक विविधतापूर्ण है। सीस्तान इलाक़ा भी दुनिया में मीठे पानी की सबसे बड़ी नदी हीरमंद के जलोड़ में किसी मोती की भांति स्थित है।

वर्तमान सीस्तान, शाहनामे फ़िरोदौसी के काल्पनिक योद्धा, रुस्तमे दास्तान की धरती है। इतिहासकारों ने सीस्तान को क्यूमर्स के एक वंशज गरशास्प से संबंधित माना है। सीस्तान का नाम, आर्यन समुदाय के नाम सका से लिया गया है। सकाओं ने 128 वर्ष ईसा पूर्व सीस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया और वहां रहने लगे। सीस्तान का दूसरा नाम नीमरूज़ भी है। सीस्तान के शहरों की अधिकांश इमारतों का नाम ईरान के काल्पनिक पहलवानों जैसे कि चून ज़ाल, साम और रूस्तम रखा गया है।
सीस्तान व बलोचिस्तान में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। इस प्रांत के सुन्दर एवं आकर्षक दृश्य, ओमान सागर से हामून झील तक साल के विभिन्न मौसमों में देखने योग्य होते हैं। मिट्टी का मज़बूत बना हुआ क़िला, हरियाली और आसमान को छूते हुए खजूर के वृक्षों और तफ़तान की ऊंचाईयों से बामे सीस्तान व बलोचिस्तान को देखना एक यादगार लमहा होता है।
भूवैज्ञानिक और पर्यावरणविद् चाबहार शहर में गुल फ़शान, मीनियेचर पर्वत और हरा जंगल को देख सकते हैं और अध्ययन कर सकते हैं। कनारक बंदरगाह में मछलियां पकड़ने के लिए इस्तेमाल होने वाले लांचों का निर्माण भी देखने योग्य है।
इस इलाक़े की उल्लेखनीय सुन्दरता के अलावा, तालाबों की प्राकृतिक सुन्दरता को भी देखा जा सकता है। रामसर अंतरराष्ट्रीय संधि में पंजीकृत 24 तालाबों में से तीन तालाबः गवादर खाड़ी व हूर बाहूर, हामून पूज़क और हामून साबेरी व हामून हीरमंद सीस्तान व बलूचिस्तान प्रांत में स्थित हैं।

गवादर व हूर बाहूर खाड़ी बलूचिस्तान के दक्षिण पूरब में ईरान-पाकिस्तान की सीमा के निकट चाबहार के पूर्व में 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका क्षेत्रफल 75000 हेक्टेयर है। इन तालाबों में हूर नदी समूह एवं खाड़ी, समुद्री तटीय तालाब और बाहूकलात, हूर गवादर और गवादर खाड़ी का 60 किलोमीटर का इलाक़ा शामिल हैं।
इन तालाबों का पानी सरबाज़ नदी से आता है, जो एक मौसमी नदी है, भारी बारिश के कारण अचानक तेज़ी से आने वाले पानी के कारण, इसका स्तर काफ़ी बढ़ जाता है। यह ताबाल, जलवायु के दृष्टिगत, भारतीय उपमहाद्वीप के मानसून और भूमध्य सागर की जलवायु से प्रभावित है। इलाक़े में नमी का स्तर साल भर अधिक रहता है। तालाब के तटीय इलाक़ों में ऊंची चट्टानें और रेतीले टीले स्थित हैं।
बाहूकलात नदी में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां पायी जाती हैं, जो पानी के धारे को कम करने, जानवरों के लिए भोजन उपलब्ध कराने और इलाक़े की अर्थव्यवस्था में इकोलौजिकल भूमिका अदा करती हैं। इस तालाब में अर्द्ध स्थायी पोखर और समृद्ध वसनस्पतियां हैं, जो बारीक तार की भांति तालाब के किनारों पर फैली हुई हैं।

तालाब के दहाने वाले भाग में 200 हेक्टेयर पर हरा जंगल फैला हुआ है, नदी से दूर होने के साथ साथ हरियाली कम होती जाती है। जब इलाक़े में बारिश होती है, हरियाली बढ़ जाती है। इलाक़े में विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे पाए जाते हैं।
तालाब की गहराई, खाद्य पदार्थों की काफ़ी मात्रा और हरे जंगलों के कारण, गर्मियां बिताने और पक्षियों के लिए अंडे देने के लिए यह उचित इलाक़ा है। इस तालाब में अब तक 41 प्रकार के पक्षियों की पहचान हो चुकी है, जिनमें से 13 प्रकार के स्थानीय हैं और बाक़ी अप्रवासी हैं जो गर्मियों में यहां आते हैं।
स्थानीय पक्षियों में मछली का शिकार करने वाले बाज़, हौबरा, गिद्ध और भारतीय बगुला का नाम लिया जा सकता है। इसी प्रकार तटों के आसपास छोटे द्वीप हैं, जो अनेक पक्षियों के आराम का स्थल हैं, लेकिन समुद्र में आने वाले उतार चढ़ाव के कारण, अंडे देने और बच्चे निकालने के लिए उचित स्थान नहीं है। इसी प्रकार यह तालाब, एशिया में छोटे थूथन वाले मगरमच्छों की नस्ल बढ़ाने का स्थान है।

गवादर खाड़ी में रेतीले तटों के कारण, बड़ी संख्या में कछुए अंडे देने के लिए यहां आते हैं, जिनमें लाल कछुए, हरे कछुए और अन्य प्रकार के कछुए होते हैं। तालाब में पायी जाने वाली मछलियों में से मडस्किपर का नाम लिया जा सकता है। जंगली सूअर, लकड़बग्घा, धारीदार गिलहरी और सियार इसके आसपास रहने वाले स्तनधारियों में से हैं।
गवादर खाड़ी व हूर बाहूर तालाब गांदू सुरक्षित क्षेत्र का भाग है, 1999 में इसे रामसर संधि के तालाबों की सूचि में शामिल कर दिया गया। इसी प्रकार परिंदों के जीवन की अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा इसे परिंदों के लिए महत्वपूर्ण बताया है।

मछलियां पकड़ना, तालाब के आसपास खेती करना और इसी प्रकार पशुओं का चराना यहां के लोगों की महत्वपूर्ण गतिविधियों में शामिल है। सरबाज़ नदी में आने वाली बाढ़ के ज़ोर को रोकना इस तालाब की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके अलावा, गवादर खाड़ी और हूर बाहू के सुन्दर दृश्यों के कारण, यहां पर्यटन के विस्तार के लिए उचित परिस्थितियां उपलब्ध हैं।
