ज़िन्दगी की बहार-17
हमने यह कहा था कि हर इंसान की जवानी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दौर है और दूसरों के प्रभाव को स्वीकार करने का बेहतरीन समय है।
हमने यह कहा था कि हर इंसान की जवानी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दौर है और दूसरों के प्रभाव को स्वीकार करने का बेहतरीन समय है। जब जवान किसी को आदर्श बनाता है तो उसका यह कार्य उसकी सफलता या विफलता दोनों का कारण बन सकता है।
जवानी रंग बिरंगी दुनियां में प्रविष्ट होने का आरंभिक बिन्दु है। जवानी में इंसान के अंदर स्वतंत्रता, स्वाधीनता और लोगों से दोस्ती करने आदि की भावना अपने चरम पर होती है। साथ ही जवानों में यह भावना होती है कि वे आज के समय के अनुसार जीवन व्यतीत करें। इसी तरह जवानों में यह भावना पाई जाती है कि वे उन चीज़ों का प्रयोग न करें जिनका प्रयोग पुराने लोग करते थे यानी वे नये समय की नई वस्तुओं का इस्तेमाल चाहते हैं। दूसरे शब्दों में फैशन का अनुसरण वह चीज़ है जो समाज के लगभग हर वर्ग में मौजूद है और इस मध्य जवान और नौजवान सबसे अधिक आधुनिकतम चीज़ों को महत्व देते हैं और समाज के हर दूसरे वर्ग के मुक़ाबले में जल्द से जल्द वे समय के फैशन को अपनाना चाहते हैं। आज तकनीक और सामूहिक संपर्क माध्यमों के आ जाने से विभिन्न समाज एक दूसरे के संपर्क में हैं। वास्तव में मूल्यों और आस्थाओं की पहचान जवानों के लिए कठिन व जटिल कार्य हो गया है और कुछ अवसरों पर यह भी संभव है कि जवान समाज में उन कार्यों को अंजाम दें जिसे समाज में बुरा व अनुचित समझा जाता है।
आज के जवानों में स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ दिखाने की भावना आम है। जो लोग या जवान स्वयं को समाज के दूसरे लोगों से श्रेष्ठ समझते हैं उनका प्रयास सुन्दर वस्त्र पहनने और स्वयं को सुन्दर दिखाने के लिए विभिन्न चीज़ों के प्रयोग में अग्रणी दिखाने का होता है।
अमेरिकी विशेषज्ञ thorstein का मानना है कि फैशन वह चीज़ है जिसके माध्यम से लोग दूसरों को स्वयं के धनाढ़्य होने या विशेष विचारों के स्वामी होने का एहसास दिलाना चाहते हैं और जैसे ही समाज में कोई नई चीज़ आती है धन सम्पत्ति वालों की संतानें नये फैशन के पीछे भागती हैं क्योंकि अब पुराना फैशन उन्हें समाज से अलग व भिन्न नहीं दिखायेगा।
समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिक फैशन का अनुसरण करने के विभिन्न कारण बयान करते हैं। मनोवैज्ञानिक डाक्टर मोहम्मद असकरी कहते हैं कि जवानों द्वारा फैशन के अनुसरण का एक कारण यह है कि वे दूसरों के ध्यान का केन्द्र बनना चाहते हैं और फैशन उनकी आंतरिक आवश्यकता का उत्तर है। चूंकि जवानों में दूसरों से प्रभावित होने की भावना अधिक होती है इसलिए वे दूसरों से फैशन का अनुसरण करते हैं। फैशन अनुसरण करने का दूसरा कारण यह है कि बहुत से जवानों में आत्म विश्वास की कमी होती है और वे देखा- देखी ऐसा करते हैं और यह वह चीज़ है जो लोगों को फैशन की ओर खींचती है। अलबत्ता कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास फैशन के अनुसरण का कोई विशेष कारण नहीं है और वे केवल इस कारण फैशन का अनुसरण करते हैं कि समाज में एक नई चीज़ आई है इसलिए वे उसकी ओर भागते हैं। दूसरी ओर यह कहना चाहिये कि जो लोग नये फैशन की चीज़ को ख़रीदने का फैसला करते हैं वे जवानों विशेषकर अपनी उम्र के लोगों के मध्य यह दिखाना चाहते हैं कि वे भी कुछ हैं और इस कार्य के लिए बहुत अधिक धन खर्च करते हैं यहां तक कि उनके लिए कठिन ही क्यों न हो।
यहां प्रश्न यह उठता है कि फैशन कहां तक सही व वांछित है? इस संबंध में इस्लाम का क्या दृष्टिकोण है? इसके उत्तर में कहना चाहिये कि इस्लाम हर प्रकार के फैशन का विरोधी नहीं है। इस्लाम के अनुसार वस्त्र पहनने- ओढ़ने की शैली इंसान के व्यक्तित्व पर प्रभाव डालती है। इस्लाम जिस चीज़ पर बल देता है वह वस्त्र धारण करने, जीवन में सादगी और जीवन में सुन्दर व्यवहार करने जैसे मूल्य हैं। इस्लाम सामाजिक मूल्यों को ध्यान में न रखे जाने, और लड़के- लड़की के संबंध में किसी प्रकार की सीमा के न होने जैसे कोर्यों को इंसान के व्यक्तित्व के गिर जाने और उसके समाप्त होने का कारण समझता है। अब अगर यही चीज़ें फैशन के रूप में समाज में आयें तो निश्चित रूप से जवानों को गुमराही की ओर ले जायेंगी।
सुन्दरता से प्रेम इंसान का आंतरिक रुझान है। जवान चाहता है वह जो देखे सुन्दर हो और किसी चीज़ से दिली लगाव को सुन्दरता का एक बड़ा मापदंड समझा जाता है और यह रुझान जवानों के अंदर विशेष कर बालिग़ होने के समय अधिक होता है। जवान आधुनिकतम फैशन का वस्त्र धारण करना चाहते हैं और विदित में सबसे सुन्दर संभावनाओं से लाभान्वित होना चाहते हैं। इस्लाम में सुन्दरता पर बहुत ध्यान दिया गया है इस प्रकार से कि हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम फरमाते हैं। सुन्दर कपड़ा पहनो क्योंकि ईश्वर सुन्दर है और सुन्दरता को पसंद करता है परंतु वह हलाल चीज़ से हो।“
आपने एक अन्य स्थान पर फरमाया है ईश्वर सुन्दर है और वह सुन्दरता को पसंद करता है और वह ग़रीबों जैसी सूरत बनाने को पसंद नहीं करता है। जब ईश्वर किसी बंदे को कोई नेअमत देता है तो वह उस नेअमत के प्रभाव को उसमें देखना चाहता है। इमाम से पूछा गया किस तरह? तो इमाम ने फरमाया अच्छा कपड़ा पहनो, इत्र लगाओ, अपने घर में चुनाकारी करो अपने दरवाज़े पर झाड़ू लगाओ यहां तक कि सूरज डूबने से पहले चेराग़ जलाना निर्धनता को समाप्त करता है और रोज़ी को अधिक करता है।“
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम इसी प्रकार मुसलमानों के एक दूसरे गुट से फरमाते हैं” अच्छा कपड़ा पहनो, अपने घरों को आबाद रखो ताकि तुम लोगों के मध्य चेहरे पर तिल की भांति रहो।“
इतनी सारी सिफारिशों के मध्य ईश्वरीय धर्म इस्लाम ने जीवन में बीच का रास्ता अपनाने पर बल दिया है। भौतिक एवं आध्यात्मिक सुन्दरता को महत्व देने के साथ जीवन में मध्यमार्ग पर चलने की सिफारिश की है। इस्लाम ने इस संबंध में संतुलन का मार्ग अपनाया है। वह न तो रुढ़िवाद को पसंद करता है और न ही भोग- विलास एवं सुन्दरता के पीछे भागने को। हज़रत अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं आंतरिक सुन्दरता विदित सुन्दरता से बेहतर है।“
इंसान इस प्रकार का प्राणी है कि वह जीवन में एकरसता को पसंद नहीं करता है। इसके मुक़ाबले में वह जीवन में नूतनता, परिवर्तन और विविधता को पसंद करता है और अगर यह परिवर्तन एवं बदलाव धीरे- धीरे और जानकारी के साथ होता है जो इंसान के विदित जीवन को भी सुन्दर बना देता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि स्वयं और जीवन को सुन्दर बनाना आंतरिक रुझान व प्राकृतिक बात है और उसकी वजह से इंसान का विदित भी सुन्दर हो जाता है और वह मानवीय संबंधों की मज़बूती का कारण बनता है। इस आधार जो चीज़ें लोगों की एक दूसरे से घृणा या एकरसता का कारण बनती हैं वे सामाजिक जीवन से दूर हैं और जो चीज़ें इंसान की एक दूसरे से दोस्ती और पूरिपूर्णता का कारण बनती हैं दिन- प्रतिदिन उनमें विकास होता है।
अलबत्ता इस बिन्दु से निश्चेत नहीं रहना चाहिये कि इंसान विशेषकर जवानों के जीवन में सुन्दरता विदित परिपूर्णता है परंतु इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि यह चीज़ अपनी प्राकृतिक सीमा से बाहर न निकलने पाये। फैशन एक ऐसी चीज़ है जिसे अपनाने के लिए इंसान बाध्य नहीं है और उसकी अनदेखी भी कर सकता है परंतु अगर यह चीज़ निश्चितेना के साथ हो तो यह एक समाज को भारी क्षति पहुंचा सकती है।
इंसान एक स्वतंत्र प्राणी है और वह चयन करने में स्वतंत्र है उसे चाहिये कि अच्छा चयन करना सीखे। आज फैशन का अर्थ दूसरे की संस्कृति का अनुसरण है। बहुत से कपड़ों और गाड़ियों आदि पर आप देख सकते हैं कि उस पर लिखा होता है कि निजी जीवन या व्यक्तिगत आकांक्षाओं से कम संबंध इंसान की व्यक्तिगत इच्छा है। परिवारों को चाहिये कि वे जवानों में ज्ञान को विकसित करें और उनके जीवन की आधार भूत चीज़ों को मज़बूत बनायें ताकि वे दूसरों की झूठी आकर्षक संस्कृति से दूर रहें। इसी प्रकार वे धर्म और अपनी पहचान से भी दूर नहीं होंगे। इस प्रकार की स्थिति में फैशन जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।