मानव तस्करी- 2
अमरीकी विदेश मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में ईरान पर मानव तस्करी से संघर्ष में ढिलाई करने, मानव व्यापार के गंदे काम में शामिल होने और मानवीय स्वतंत्रता पर हमला करने का आरोप लगाया है।
यह ऐसी स्थिति में है कि जब 21वीं सदी के सबसे घृणित कार्यों में से एक अर्थात मानव तस्करी की जन्म स्थली मानवाधिकार की रक्षा के दावेदार अमरीका व यूरोप हैं।
मानव तस्करी या मानव व्यापार, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेज़ी से बढ़ते जा रहे अत्यंत घृणित व दुखद कामों में से एक है। अमरीकी विदेश मंत्रालय ऐसी स्थिति में अन्य देशों के बारे में अपनी रिपोर्ट जारी करता है कि स्वयं अमरीका में हिंसक व नस्लीय व्यवहार बहुत पहले से जारी है। अमरीकी समाज में अश्वेतों, स्थानीय रेड इंडियंस और अन्य देशों के लोगों के साथ जो नस्लीय भेदभाव होता है वह इसी अमानवीय रुझान का परिचायक है। अमरीका में आंतरिक स्तर पर जातीय व नस्लीय युद्धों के समाप्त हो जाने के बावजूद अब भी यह भेदभाव पाया जाता है और इसके बावजूद अमरीका बड़ी निर्लज्जता से संसार में मानवाधिकार की रक्षा का दावा करता है।
अमरीका में मानवीय मान्यताओं के निर्धारण का मापदंड, नस्लवादी विचारों पर आधारित है। यही कारण है कि इस देश में दास प्रथा समाप्त हो जाने के बाद भी इस प्रकार की घटनाएं निरंतर होती रहती हैं जिनसे नस्लवादी व्यवहार और भेदभाव का पता चलता है। पिछले साम्राज्यवादी काल में समाजों को नस्ल और रंग के आधार पर बांटा जाता है और स्थानीय लोग उन निर्णयों को मानने पर मजबूर होते थे जो साम्राज्यवादी सरकारें उन पर थोप देती थीं लेकिन आज की दुनिया में भी, जो सभ्यता और प्रगति की दावेदार है, साम्राज्यवादी काल के घृणित विचार व्यवहारिक रूप से देखे जा सकते हैं।
मानवाधिकार के हनन के स्पष्ट चिन्ह, मानव तस्करी और दासों जैसे व्यवहार को एक साथ अमरीका में देखा जा सकता है। इस स्थिति से पता चलता है कि नस्लवाद और उसकी ओर रुझान अमरीका की सामाजिक, सांस्कृतिक बल्कि राजनैतिक परतों तक में घुसा हुआ है और इसकी कोई स्पष्ट और निर्धारित सीमा नहीं है। अमरीका में मानव तस्करी के दहला देने वाले आंकड़ों से पता चलता है कि किस प्रकार इस देश में हज़ारों महिलाओं व बच्चों को दास बनाया जाता है। अमरीकी समाज में मानव तस्करी एक आम सी बात हो चुकी है और इस देश के लगभग सभी प्रांतों में यह घृणित काम किया जा रहा है। अमरीका में राष्ट्रीय मानव तस्करी संसाधन केंद्र NHTRC ने भी (National Human Trafficking Resource Center) जिस पर मानव तस्करी की रोकथाम का दायित्व है, इस बात की पुष्टि की है। अमरीका में अधिकतर मानव तस्करी ग़ैर क़ानूनी रूप से इस देश में घुसने की इच्छा से लाभ उठा कर की जाती है।
मानव तस्करी में ग्रस्त देशों को मोटे रूप से तीन गुटों में बांटा जा सकता है। गंतव्य देश, ट्रांज़िट देश और मूल देश। मूल देशों में सबसे अहम अलबानिया, बुलग़ारिया, चेक गणराज्य, लिथवानिया, पोलेंड, हंग्री, रोमानिया, यूक्रेन, लीबिया, सोमालिया, नाईजीरिया, कोलम्बिया और डोमिनिकन गणराज्य हैं। थाईलैंड जैसे देश, ट्रांज़िट देशों में शामिल हैं। यह देश मानव तस्करी और तस्करी किए गए लोगों के यौन शोषण के केंद्रों में से एक है। थाईलैंड, जहां यौन पर्यटन का प्रचलन है, मानव तस्करी करने वालों का प्रिय गंतव्य है। बेल्जियम, जर्मनी, ग्रीस, इटली, जापान, हालेंड, तुर्की, थाईलैंड और अमरीका, मानव तस्करी के गंतव्य देशों में सबसे प्रमुख हैं।
मानव तस्करी के जाल में फंसने वाले अधिकतर लोगों का सपना अमरीका या यूरोप पहुंचना होता है लेकिन अंततः वे दास बना लिए जाते हैं। उनसे मज़दूरी कराई जाती है और लड़कियों व महिलाओं का यौन शौषण किया जाता है। कुछ मामलों में बच्चों को बेचा जाता है और मानव तस्करी का शिकार बनने वालों के शरीर के अंगों को भी सर्जरी करके निकाल लिया जाता है।
नाइजीरिया के जॉय निगाज़ी ईज़ीलो संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष रिपोर्टर हैं जो अगस्त 2008 से अब तक मानव तस्करी विशेष कर महिलाओं और बच्चों की तस्करी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। कुछ समय पहले उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में इस सच्चाई की तरफ़ इशारा किया और कहा था कि दुनिया में प्रत्यारोपण योग्य अंगों की कमी, मानव तस्करी के मुख्य कारणों में से एक है। इन लोगों के अंगों को प्रत्यारोपण के लिए निकाल लिया जाता है। जिन लोगों को अपने आंतरिक अंगों को बदलने और प्रत्यारोपण की ज़रूरत होती है उनमें से कई मानव तस्करी का शिकार बनने वालों के अंगों को भारी रक़म ख़र्च करके ख़रीद लेते हैं।
यूरोपीय संघ द्वारा किए गए अनुसंधान के अनुसार वर्ष 2008 से 2010 के बीच यूरोप में कुल मिला कर लगभग 24 हज़ार लोगों के मानव तस्करी का शिकार होने के मामले औपचारिक रूप से दर्ज किए गए हैं। इनमें अधिकतर महिलाएं, 12 प्रतिशत बच्चियां, 17 प्रतिशत पुरुष और 3 प्रतिशत बच्चे हैं। इनमें से हर तीन में दो को यौन कारोबार में धकेल दिया गया और 25 प्रतिशत ज़बरदस्ती मज़दूरी करने, भीख मांगने और ग़लत काम करने पर विवश हो गए। इनमें से बहुत से लोगों के शारीरिक अंग सर्जरी द्वारा इंसानों की तस्करी करने वालों ने निकाल लिए। यूरोपीय संघ में दर्ज मानव तस्करी के अकसर मामले इटली, स्पेन, रोमानिया और हालेंड में दर्ज हुए हैं। जर्मनी में भी साढ़े छः सौ से अधिक लोग मानव तस्करी का शिकार हुए हैं जिनमें से 80 प्रतिशत महिलाएं हैं। अलबत्ता यूरोपीय संघ के आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि यह आंकड़े केवल बर्फ़ के पहाड़ की चोटी को दर्शाते हैं।
आज अमरीका समेत बहुत से विकसित देश, जो मानवाधिकार की रक्षा के दावेदार भी हैं, अपने ग़ैर क़ानूनी चिकित्सा परीक्षण अफ़्रीक़ा के अश्वेतों पर अंजाम देते हैं। दस्तावेज़ों से पता चलता है कि अफ़्रीक़ा में अश्वेतों की आबादी, इस प्रकार के परीक्षणों के लिए उचित है और यही कारण है कि अज्ञात बीमारियां, अफ़्रीक़ा महाद्वीप से ही शुरू होती हैं। अमरीका में राष्ट्रीय मानव तस्करी संसाधन केंद्र द्वारा पांच साल तक एकत्रित की गई सूचनाओं से पता चलता है कि इस देश के सभी प्रांतों में यह घृणित काम हो रहा है और यह अमरीकी समाज में एक प्रचलित अपराध का रूप धारण कर चुका है। इस केंद्र के जांच के अनुसार 7 दिसम्बर 2007 से 31 दिसम्बर 2012 के बीच 64 प्रतिशत मामले मानव तस्करी के, 29 प्रतिशत मामले ज़बरदस्ती मज़दूरी कराने के और 3 प्रतिशत मामले यौन शोषण के थे जबकि बाक़ी मामलों के लक्ष्यों का पता नहीं चल सका।
इंसानों की तस्करी करने वाले अधिकतर लोगों को झूठ और झूठे वादों जैसे हथकंडों से लोगों पर डोरे डालते हैं और फिर उनके साथ शारीरिक और व्यापारिक संबंध बना कर उन्हें जाल में फंसा लेते हैं जिसके बाद उनका यौन शोषण किया जाता है या उनसे ज़बरदस्ती मज़दूरी कराई जाती है। इस रिपोर्ट में कई मूल बिंदुओं की ओर संकेत किया गया है। प्रथम यह कि अमरीका में पांच साल में मानव तस्करी के 9298 मामले दर्ज किए गए। दूसरे यह कि मानव तस्करी का शिकार होने वालों में 41 प्रतिशत यौन तस्करी के लिए और 20 प्रतिशत ज़बरदस्ती मज़दूरी के लिए थे। तीसरा बिंदु यह है कि यौन तस्करी का शिकार होने वालों में 85 प्रतिशत महिलाएं थीं और ज़बरदस्ती काम के लिए मानव तस्करी का शिकार होने वालों में 40 प्रतशित पुरुष थे।
यह सब मामले वर्तमान दुनिया में नई दासता के कुपरिणाम हैं और इनमें दुनिया के उन देशों का बड़ा भाग है जो मानवाधिकार की रक्षा के दावेदार हैं। इन देशों में यद्यपि पुराने साम्राज्यवाद में प्रचलित दास प्रथा को समाप्त कर दिया गया है लेकिन इन्होंने नए साम्राज्यवाद को अस्तित्व प्रदान कर दिया है जिसके माध्यम से वे मानवता के विरुद्ध जघन्य अपराध कर रहे हैं जिनमें से एक मानव तस्करी है।