Apr १६, २०१८ १६:१२ Asia/Kolkata

देशों की ढाचागत सुविधाओं को मुहैया करने में सिमेंट बहुत अहम तत्व है और इसका हर देश के आर्थिक विकास व प्रति व्यक्ति उपभोग से सीधा संबंध है।

सिमेंट को आर्थिक विकास की कुंजी के रूप में याद किया जाता है और बहुत से देशों में ख़ास तौर पर औद्योगिक देशों में सिमेंट को निर्णायक वस्तुओं की हैसियत हासिल है। 80 के दशक के बाद कुछ अर्थशास्त्रियों ने कम्पाज़िट इन्डेक्स मॉडल के ज़रिए देशों के विकास व कल्याण का पैमाना पेश किया। इन्हीं अर्थशास्त्रियों में मैक्ग्रैन्हन भी हैं। उन्होंने अपने कम्पाज़िट इन्डेक्स मॉडल में देशों के आर्थिक विकास का आकलन और एक दूसरे से तुलना उनकी तुलना की है। इस मॉडल में उन्होंने सिमेंट को भी मानव संसाधन, जीवन की आशा, शिक्षा तक पहुंच और सकारात्मक बैलेन्स ऑफ़ ट्रेड जैसे मानकों के साथ जगह दी। आज की दुनिया में इमारत के निर्माण में सिमेंट को मुख्य मसाले के रूप में अहमियत हासिल है। इसी तरह विकास व निर्माण कार्य कार्यक्रमों की पूर्व शर्त के रूप में भी सिमेंट को अहमियत हासिल है। कुछ अर्थशास्त्रियों की नज़र में सिमेंट की अहमियत इस्पात से ज़्यादा है।

 

आज दुनिया में लगभग 30 तहर की सिमेंट का उत्पादन होता है। 2015 में दुनिया भर में 4 अरब टन सिमेंट का उत्पादन हुआ और इसका आधे से ज़्यादा अकेले चीन में उपभोग हुआ। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि चीन दुनिया में सबसे ज़्यादा सिमेंट का इस्तेमाल करता है। अनुमान है कि 2020 से पहले दुनिया प्रति व्यक्ति सिमेंट का इस्तेमाल 539 किलोग्राम से बढ़कर 640 किलोग्राम तक पहुंच जाएगा। 2015 में दुनिया के सिमेंट के 10 बड़े उत्पादक देशों में ईरान भी था।

ऐतिहासिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि इमारत में इस्तेमाल होने वाले मसालों की पहचान और उन्हें बनाने में ईरानियों का इतिहास बहुत पुराना रहा है। ईरान के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न शासन काल की इमारतें इस बात का पता देती हैं। जैसे फ़ार्स की खाड़ी में मौजूद लाइट हाउस, या बंदरगाहों में बने प्रतिष्ठान और बांध जो चूने और चिकनी मिट्टी के संयोग से बने हैं, इस संबंध में ईरानियों की वैज्ञानिक जानकारी का पता देते हैं। भौगोलिक दृष्टि से ईरान ऐसे क्षेत्र में स्थित है जिसके चारों ओर चूने के पहाड़ों की श्रृंख्ला है। इसी वजह से ईरान में सिमेंट के उत्पादन के लिए ज़रूरी मूल पदार्थ की बहुतायत है। वर्ष 1928 में ईरान में सिमेंट के कारख़ाने के निर्माण और इसके लिए ज़रूरी मूल पदार्थ के बारे में अध्ययन शुरु हुआ। इसके पांच साल बाद ईरान में सिमेंट की पहली भट्टी लगी जिसे शिर्कते सीमाने रय कंपनी ने लगाया था। इस भट्टी की उत्पादन क्षमता 100 टन प्रतिदिन थी। यह भट्टी तेहरान के 7 किलोमीटर दक्षिण में सुरसुरे पहाड़ के निकट स्थापित हुयी।

 

आज ईरान में सिमेंट के उत्पादन को 8 दशक हो चुके हैं। आज यह उद्योग ईरान के ढांचागत उद्योगों का हिस्सा है और देश के बहुत से उद्योग व सेवा केन्द्र इस पर निर्भर हैं। इस उत्पाद की अहमियत निर्माण कार्य में इसकी निर्णायक भूमिका की वजह से है। दुनिया में ईरानी सिमेंट अपनी गुणवत्ता के लिए मशहूर है। इस समय ईरान में सिमेंट उत्पादन के 70 कारख़ाने मौजूद हैं। इन कारख़ानों में क्लिंकर और पोज़ोलैनिक सिमेंट सहित विभिन्न प्रकार की सिमेंट राष्ट्रीय मानदंड के अनुसार उत्पादित होती हैं। ईरान में क्लिंकर सिमेंट के उत्पादन की 93 प्रोडक्शन लाइन मौजूद हैं। इनमें से 40 से ज़्यादा प्रोडक्शन लाइन को क़ायम हुए दस साल भी नहीं हुए हैं। ईरान में सीधे तौर पर सिमेंट में रोज़गार से लगे लोगों की संख्या 20 हज़ार से ज़्यादा है और इसका बड़ा भाग विशेषज्ञों का है जबकि अप्रत्यक्ष रूप से इस उद्योग से रोज़गार पाने वालों की संख्या 1 लाख 20 हज़ार से ज़्यादा है।   

ईरान में सिमेंट उद्योग में पिछले एक दशक में बहुत विकास हुआ। इस उद्योग में 156 फ़ीसद विकास हुआ और उत्पादन का स्तर 3 करोड़ 20 लाख टन से 8 करोड़ 30 लाख टन पहुंच गया है। ईरान में सिमेंट उद्योग शुरु से ही प्रगतिशील रहा और हालिया वर्षों में सिमेंट का उत्पादन व निर्यात करने वाले देशों में ईरान की स्थिति बेहतर से बेहतर हुयी है। ईरान के ख़िलाफ़ पाबंदियों के बावजूद इस देश के सिमेंट उद्योग को कच्चे पदार्थ की आपूर्ति के लिए आयात की ज़रूरत नहीं है। इसी तरह सिमेंट उद्योग के उकपरण व मशीन भी आर्थिक व वित्तीय पाबंदियों से प्रभावित नहीं हुए हैं। ईरान के सिमेंट उद्योग में काम करने वाले विशेषज्ञ इतने सक्षम हैं कि इस उद्योग के हार्डवेयर से जुड़ी मुश्किलों को ख़ुद हल कर सकते हैं।

ईरान में इस्तेमाल के लिए तय्यार सिमेंट सस्ता मिलता है। ऊर्जा का सस्ता होना, गुणवत्ता से भरपूर कच्चे पदार्थ की बहुतायत होना, तकनीकी ज्ञान से संपन्नता और देश के भीतर ज़रूरत के 80 फ़ीसद उपकरणों का उत्पादन वे तत्व हैं जिनकी बदौलत सिमेंट की दृष्टिगत मंडी में ईरानी सिमेंट अच्छी प्रतिस्पर्धा कर रहा है। हालिया वर्षों में ईरान ने पड़ोसी देशों अफ़ग़ानिस्तान और इराक़, मध्य एशिया के देशों और अफ़्रीक़ा के घाना देश को सिमेंट निर्यात किए हैं।      

ईरान की 2025 तक चलने वाली योजना में सिमेंट के उत्पादन का लक्ष्य 12 करोड़ टन निर्धिरत किया गया है और इसके एक चौथाई से ज़्यादा भाग को अन्य देशों को निर्यात करने का लक्ष्य तय किया गया है। उत्पादकता को बेहतर करना, प्रतिस्पर्धा की क्षमता बढ़ाना, ऊर्जा व पानी का ईष्टतम उपभोग, डाउन स्ट्रीम उद्योग में विकास व वैल्यू चेन को पूरा करना, विश्वस्तरीय उत्पाद व गुणवत्ता में बेहतरी और उत्पाद के लिए निर्धारित पर्यावरण संबंधी मानकों की प्राप्ति 2025 तक चलने वाली योजना में सिमेंट उद्योग के लिए निर्धारित लक्ष्य हैं।

आज दुनिया में एक टन क्लिंकर के उत्पादन के बदले में एक टन कार्बनिक गैस उत्पादित होती है। हालांकि सिमेंट के उत्पादन में एडिटिव्ज़ अर्थात अलग से शामिल होने वाले पदार्थ के ज़रिए बहुत हद तक सिमेंट के उत्पादन से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है। सिमेंट के उत्पादन से होने वाले प्रदूषण के असर को कम करने क लिए ईरान में एक नालिज बेस्ड कंपनी स्लैग अर्थात धातुमल के ज़रिए हरी सिमेंट का उत्पादन करने में सफल हुयी है। हरी सिमेंट पुनः चक्रित होने योग्य सिमेंट है और यह पर्यावरण के भी अनुकूल है। आपके लिए यह जानना भी रोचक रहेगा कि हर टन कच्चे लोहे के उत्पादन में 600 से 1000 किलोग्राम स्लैग अर्थात धातुमल उत्पादित होता है। हर एक टन हरी सिमेंट का इस्तेमाल, पर्यावरण में 900 किलोग्राम स्लैग को पर्यावरण में जाने से रोकता है। ऊर्जा के कम से कम इस्तेमाल, सामान्य सिमेंट की तुलना में अधिक मज़बूती, रासायनिक एडिटिव्ज़ को मिलाने की ज़रूरत न होना, गर्म मौसम में कंक्रीट से भराई के लिए कंक्रीट का सस्ता उत्पादन, सिमेंट की विशेषताओं में बिना बदलाव के अधिक टिकाउ होना, ज़्यादा तापमान में पकाने की ज़रूरत न होना और पर्यावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी, हरी सिमेंट के अन्य फ़ायदे हैं।         

सिमेंट और क्लिंकर के ईष्टतम इस्तेमाल के लिए ईरान की सीमाने सिपाहाने इस्फ़हान नामक कंपनी के आर ऐन्ड बी विभाग के शोधकर्ता एबीएस नामक एक नालिज बेस्ड उत्पाद को बनाने में सफल हुए हैं। इस पदार्थ को इस्पात के स्लैग में मिलाया जाता है। इस्पात के स्लैग को अगर इस्तेमाल न किया जाए तो इससे पर्यावरण को बहुत नुक़सान पहुंचता है। कंक्रीट में एबीएस पदार्थ मिलाने से न सिर्फ़ यह कि कंक्रीट के उत्पादन का मूल्य कम हो जाता है बल्कि इसके चिपकने की समयसीमा ही बढ़ जाती है। इस विशेषता के कारण कंक्रीट भौगोलिक दृष्टि से बहुत दूर तक पहुंचाया जा सकता है। एबीएस की अन्य विशेषता कंक्रीट की भरायी की प्रक्रिया में हीट ऑफ़ हाइड्रेशन को कम करने की स्थिति में कंक्रीट के टिकाउपन को दुगुना बढ़ाना है।

 

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