May ०६, २०१८ १५:०७ Asia/Kolkata

फ़र्नीचर उद्योग उन चेन उद्योगों में से है, जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रगति प्रदान कर सकता है।

पिछले कुछ दशकों में विश्व भर में यह उद्योग छोटे उद्योगों में शामिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थाएं विकासशील देशों में इस उद्योग में निवेश की सिफ़ारिश करती हैं। फ़र्नीचर के छोटे बड़े उद्योग, विश्व भर में रोज़गार सृजन और अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में सहायक होते हैं। ब्रिटेन में फ़र्नीचर उद्योग में 90 प्रतिशत से अधिक छोटे कारख़ाने हैं, जिनमें 10 से 50 तक कारीगर काम करते हैं। इटली में भी फ़र्नीचर उद्योग में छोटे उद्योग सक्रिय हैं। यूरोप से निर्यात होने वाले फ़र्नीचर में डेनमार्क की भागीदारी 20 प्रतिशत है, इस देश में भी ब्रिटेन के जैसे ही उद्योग इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।

 

विकसित देशों में फ़र्नीचर का इस्तेमाल प्रति व्यक्ति 223 डॉलर और इसका विश्व स्तर पर औसत 64 डॉलर है। 2015 में विश्व में 400 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के फ़र्नीचर का उत्पादन हुआ। फ़र्नीचर और लकड़ी से बनने वाली चीज़ों में विविधता के कारण, इसके व्यापार में वृद्धि हुई है। एक अनुमान के मुताबिक़, 2015 में विश्व में फ़र्नीचर के व्यापार की वेल्यू क़रीब 150 अरब डॉलर रही। इस व्यापार में एशिया की भागीदारी 30 प्रतिशत है। इसमें चीन की भागीदारी एक बटा पांच है। इस उद्योग में मेक्सिको, जर्मनी, इटली और अमरीका बड़े नाम हैं। अगर कोई देश इस बड़े बाज़ार में अपना स्थान बनाले तो उसकी अर्थव्यवस्था में एक अच्छी प्रगति हो सकती है।

फ़र्नीचर उद्योग में सोफ़ा, डाइनिंग टेबल, बैड जैसी वस्तुएं शामिल होती हैं। फ़र्नीचर में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों में समय के साथ बदलाव होता रहता है। इतिहास पर नज़र डालने से पता चलता है कि हज़ारों साल से इंसान पत्थर, लकड़ी और धातु की चीज़ों को फ़र्नीचर के रूप में इस्तेमाल करता रहा है। पेर्सोपोलिस और मिस्र के पिरामिट्स में पत्थर के शिलालेखों से पता चलता है कि फ़र्नीचर और कुर्सी का चलन उस समय भी था।

पश्चिमी एशिया में सबसे प्राचीन कुर्सी तेहरान के दक्षिण पूरब में 1934 से 1936 के दौरान खुदाई में मिली है। यह खुदाई जर्मन विशेषज्ञ एरिक फ़्रेदरिच इश्मिद ने की थी। यह कुर्सी छठी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से संबंधित है। इसे मिट्टी, रेत और पुआल से बनाया गया है। इसे इस तरह से बनाया गया था कि यह आसानी से इंसान का भार संभाल सके। इसका रंग लाल है और यह अभी भी ईरान के राष्ट्रीय संग्राहलय में रखी हुई है।

 

इसी प्रकार, बानुए रीसंदे नाम से प्रसिद्ध तख़्ती नवीन ईलाम काल की कला का सुन्दर नमूना है, इसमें शेर के पंजे की भांति एक कुर्सी को दिखाया गया है। इस तख़्ती में एक महिला को कुर्सी पर बैठे हुए दिखाया गया है, जिसके हाथ में कताई की धुरी है। शेर के पंजे के डिज़ाइन की कुर्सियां एकेमेनिद काल से संबंधित हैं, जिससे पता चलता है कि एकेमेनिद शासक ईलाम काल की कला से प्रभावित थे। ईरान में खुदाई में मिलने वाली दूसरी कुर्सियों में दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से संबंधि पीतल की कुर्सी है, जो ईरान के गीलान प्रांत से मिली है। यह पीतल की कुर्सी चार सादा पायों से बनी है, उन पर एक स्क्वायर तख़्ती रखी है और कमर लगाने के लिए पीछे एक आयताकार तख़्ती है। जिस तरह से आज कुर्सियां बनाई जाती हैं।

बानुए रीसंदे

 

बर्तनों, उपकरणों और ऐतिहासिक इमारतों की दीवारों पर बने प्राचीन चित्रों से पता चलता है कि ईरान में फ़र्नीचर के निर्माण का पुराना इतिहास है। लेकिन सुन्दर क़ालीनों के प्रयोग के कारण, ईरानी समाज में फ़र्नीचर का इस्तेमाल अधिक नहीं था। पिछले एक दशक के दौरान लोगों की जीवन शैली में होने वाले परिवर्तन के कारण, ईरान में फ़र्नीचर उद्योग ने काफ़ी विकास किया है। धीरे धीरे लोग फ़र्नीचर का अधिक प्रयोग कर रहे हैं। ईरान में फ़र्नीचर उद्योग की मार्केट वेल्यू 5 अरब डॉलर से अधिक है। इस से पता चलता है कि ईरान में फ़र्नीचर का प्रयोग विश्व स्तर पर होने वाले प्रयोग से अधिक है।

ईरान में फ़र्नीचर उद्योग में छोटे कारख़ाने अधिक सक्रिय हैं। अधिकांश फ़र्नीचर इन्हीं कारख़ानों में तैयार किया जाता है और इस क्षेत्र में बड़े उद्योग कम ही हैं। इस समय ईरान में 50 हज़ार छोटे बड़े कारख़ाने फ़र्नीचर निर्माण में सक्रिय हैं, जिनमें 1 लाख 17 हज़ार कारीगर काम करते हैं। इसी प्रकार औद्योगिक स्तर पर 200 से अधिक उद्योग इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। फ़र्नीचर उत्पादन के लिए विभिन्न इकाईयों को एक नेटवर्क के रूप में काम करना होता है। ईरान में 8 प्रतिशत श्रम बल इस क्षेत्र में सक्रिय है।

ईरान के अधिकांश शहरों में फ़र्नीचर उत्पादन के कारख़ाने मौजूद हैं, लेकिन तेहरान, क़ुम, मलायेर, मशहद, तबरेज़ और मरन्द जैसे शहर फ़र्नीचर निर्माण का केन्द्र माने जाते हैं। ईरान में तीन प्रकार और डिज़ाइन का फ़र्नीचर प्रचलित है। दफ़्तरों में प्रयोग होने वाला फ़र्नीचर, लक्ज़री और क्लासिक। आम तौर पर ईरान से दफ़्तरों में इस्तेमाल होने वाला और क्लासिक फ़र्नीचर निर्यात किया जाता है। ईरान से इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, मध्य एशियाई देशों, फ़ार्स खाड़ी के अरब देशों और सीमित मात्रा में स्पेन, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और ऑस्ट्रिया निर्यात किया जाता है।

 

हमदान शहर से 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तोविसकरान क़स्बा ईरान में फ़र्नीचर उत्पादन का एक केन्द्र है। तुविसकरान ईरान के क्लासिकल फ़र्नीचर के ध्रुव के रूप में प्रसिद्ध है। फ़र्नीचर के ध्रुव के रूप में इस क़स्बे की प्रसिद्धता का कारण, यहां अख़रोट के दरख़्त हैं। क्लासिकल फ़र्नीचर की महत्वपूर्ण विशेषता उसके पारम्परिक डिज़ाइन हैं। क्लासिकल फ़र्नीचर के डिज़ाइनों का स्रोत स्थानीय कला होती है। क्लासिकल फ़र्नीचर काफ़ी मज़बूत होता है और उसे अख़रोट, बीच, हेज़लनट और चिनार की लकड़ी से बनाया जाता है। इस तरह के फ़र्नीचर में जिस महारत और बारीकी का ख़याल रखा जाता है, उसे देखते हुए विभिन्न डिज़ाइन बनाने में कारीगर के हाथ में सफ़ाई बहुत ज़रूरू है। हालांकि इसे बनाने में कला के नए उपकरणों का प्रयोग भी किया जाता है। तोविसकरान में 4000 से अधिक फ़र्नीचर बनाने वाले कारख़ाने हैं। इन कारख़ानों में दक्ष कारीगर लकड़ी पर डिज़ाइन उकेरकर सुन्दर सोफ़े और अन्य फ़र्नीचर बनाते हैं। इस क़स्बे में प्रति वर्ष विभिन्न प्रकार के 65 हज़ार से अधिक सोफ़े बनते हैं।

उल्लेखनीय है कि गुणवत्ता एवं उचित मूल्यों के दृष्टिगत, विश्व बाज़ार में ईरान के फ़र्नीचर उद्योग का भविष्य उज्जवल है। ईरान के फ़र्नीचर की पंज वर्षीय योजना का उद्देश्य प्रति वर्ष 20 करोड़ डॉलर का फ़र्नीचर निर्यात करना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए फ़र्नीचर उद्योग संघ ने इस उद्योग के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण क़दम उठाए हैं। प्रदर्शनियों का आयोजन किया है। 11 देशों में शोरूम खोले गए हैं। प्रशिक्षण के लिए वर्कशापों की स्थापना की गई है और इसी तरह के कई और महत्वपूर्ण क़दम उठाए गए हैं।                                  

 

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