May १४, २०१८ ११:२६ Asia/Kolkata

ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री का विश्व व्यापार में काफ़ी महत्व है।

अन्य 60 उद्योगों के इस उद्योग से जुड़े होने के कारण, इस उद्योग को लोकोमोटिव उद्योग कहा जाता है। कार बनाने के लिए विभिन्न उद्योगों से संबंधित तकनीक का प्रयोग किया जाता है, जैसे कि धातु, प्लास्टिक, रसायन, बुनाई, इंसूलेटर, शीशा, इलैक्ट्रिक, इलैक्ट्रोनिक, धातुशोधन और डिज़ाइनिंग।

2016 में विश्व में लगभग 9 करोड़ 50 लाख गाड़ियों का उत्पादन किया गया, जिसमें से 70 प्रतिशत सवारी वाली गाड़ियां थीं, बाक़ी कमर्शियल वाहन थे। विश्व में सबसे अधिक वाहनों का उत्पादन, चीन, अमरीका और जापान करते हैं।

ईरान में ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री का इतिहास, फ़ोर्ड की पहली गाड़ी के आयात से शुरू हुआ। यह गाड़ी बीसवीं सदी के शुरू में बेलजियम से आयात की गई थी। अधिक धुंआ निकलने के कारण, यह धुएं वाली के नाम से मशहूर हो गई थी। ईरान में शहरों के विस्तारीकरण के कारण, 1920 से गाड़ियों के आयात में वृद्धि हो गई। उस समय अधिकांश वाहन, अमरीका और ब्रिटेन से आयात किए जाते थे।

1960 के दशक में ईरान में विदेशी कंपनियों के सहयोग से निजी कंपनियों ने ऑटो पार्ट्स एसेम्बलिंग करके ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री की बुनियाद रखी। ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता से पहले 9 ऑटो मोबाइल कंपनियां सक्रिय थीं। ईरान ख़ोदरो या ईरान नेश्नल ऑटो उद्योग, पार्स ख़ोदरो, साइपा, ज़ामियाद, ईरान कावे, मुरत्तब ख़ोदरो, लीलैंड मोटर, ख़ावर और बहमन। यह कंपनियां, कारों, मिनी ट्रकों, मिनी बसों, बसों और मोटर साइकलों का निर्माण करती थीं। आम तौर पर इनके उत्पाद जर्मनी, ब्रिटेन, इटली और जापान की ऑटो मोबाइल कंपनियों के लाइसेंस के तहत होते थे।

इस्लामी क्रांति के बाद, ईरान की ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आया और यह एसेम्बलिंग के चरण से उत्पादन के चरण में प्रवेश कर गई। क्रांति के बाद ईरान में ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। ईरान पर इराक़ द्वारा थोपे गए युद्ध के कारण, यह इंडस्ट्री एक तरह से ठप्प पड़ गई। युद्ध की समाप्ति के बाद और 1992 से 2003 के बीच, गुणवत्ता, माइलेज और प्रदूषण को कम करने के लिए ऑटो इंडस्ट्री का विकास हुआ और आयात के स्थान पर आत्मनिर्भरता की नीति अपनाई गई। इसके बाद के चरण में निर्यात के उद्देश्य से ऑटो इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा का वातावरण उत्पन्न किया गया। गाड़ियों के उत्पादन में 10 गुना वृद्धि, विभिन्न प्रकार के 40 मॉडलों का उत्पादन और 30 मॉडल से अधिक कमर्शियल गाड़ियों का उत्पादन, इसके अलावा वेनेज़ुएला और क्यूबा समेत एशियाई एवं अफ़्रीक़ी देशों को गाड़ियों का निर्यात, ईरान की ऑटो इंडस्ट्री की एक शताब्दी का कारनामा है। इन वर्षों के दौरान, ईरान में क़रीब 2 करोड़ गाड़ियों की बिक्री हुई, जिनमें से 90 प्रतिशत का उत्पादन देश में ही हुआ।

आज 25 से अधिक गाड़ियां बनाने वाली कंपनियां और 1200 से अधिक ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियां ईरान में सक्रिय हैं। इस उद्योग से ईरान के कुल कर्मचारियों की 10 प्रतिशत संख्या जुड़ी हुई है। 2014 में ईरान में 23 अरब डॉलर की गाड़ियां और ऑटे पार्ट्स बेचे गए। एक अनुमान के मुताबिक़, 2025 तक इस उद्योग से होने वाली आमदनी बढ़कर 50 अरब डॉलर हो जाएगी।

 

हालांकि ईरान की ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री अभी वांछित लक्ष्य तक नहीं पहुंची है लेकिन प्रतिबंधों के बावजूद, इसने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। इस उद्योग की हालिया वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण सफलता, वर्ल्ड स्टैंडर्ड का ऑटो इंजन बनाना है। गैस से चलने वाले इस इंजन के निर्माण से आत्मनिर्भरता में काफ़ी मदद मिली है। यह उत्पाद विश्व में पहला गैस का इंजन है, जिसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है। इस प्रोजैक्ट के कारण, ईरान उन देशों की पंक्ति में शामिल हो गया है, जो इंजन बनाते हैं।

ऑटो इंडस्ट्री में प्रयोग होने वाले ईंधन का विषय काफ़ी महत्वपूर्ण होता है। ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, तेल के स्रोतों में कमी जैसे विषयों के मद्देनज़र, विशेषज्ञ कम माइलेज और प्रदूषण को कम करने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। ईंधन के उपभोग को कम करने के लिए आज हाइब्रिड और इलैक्ट्रिक गाड़ियां बाज़ार में हैं।

 

हाइब्रिड इंजन दो प्रकार की ऊर्जा से चलता है, पारम्परिक ईंधन और इलैक्ट्रिक ऊर्जा। इन गाड़ियों में दो प्रकार के इंजन होते हैं और आधुनिक बैटरियों से इंजन को इलैक्ट्रिसिटि सप्लाई होती है। इसमें पारम्परिक ईधन से चलने वाला इंजन ऊर्जा का असली स्रोत होता है, बैटरी सहायक स्रोत के रूप में काम करती है। गाड़ी को जब अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है या उसकी स्पीड बढ़ती है तो इलैक्ट्रिक इंजन ऑटोमैटिक रूप से काम करने लगता है। सामान्य स्थिति में ईंधन वाले इंजन से हासिल होनी वाली ऊर्जा डैनुमा के ज़रिए बैटरी में सेव होती रहती है। इस प्रकार इंजन से हासिल होने वाली ऊर्जा बर्बाद नहीं होती, बल्कि उससे ईंधन के इस्तेमाल में कमी होती है और प्रदूषण भी कम फैलता है।

 

एक अनुमान के मुताबिक़, 2030 तक अधिकांश गाड़ियां हाइब्रिड और इलैक्ट्रिक होंगी। हाइब्रिड गाड़ियों का इतिहास एक शताब्दी पुराना है। उस समय हाइब्रिड और इलैक्ट्रिक गाड़ियों की योजना बैटरी को चार्ज करने जैसी कुछ समस्याओं के कारण आगे नहीं बढ़ सकी थी। लेकिन हालिया वर्षों में इस तकनीक पर काफ़ी काम हुआ और समस्याओं का समाधान करके इसे आधुनिक बनाया गया। इन गाड़ियों की एक विशिष्टता ऊर्जा का सस्ता होना और तेल या जीवाश्म ईंधन से होने वाले प्रदूषण को कम करना है। 1996 से 2006 के बीच, इलैक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल होने वाली बैटरियों की क़ीमत में एक चौथाई की कमी हुई।

ईरानी ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में भी इस फ़ील्ड में काम हो रहा है। 12 साल पहले, आरियाना इलैक्ट्रिकल स्मार्ट कार ऑस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न में 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से दौड़ी थी। ऑस्ट्रेलिया के एसबीएस टीवी चैनल ने पूरी जांच के बाद, एलान किया कि इस गाड़ी का निर्माणकर्ता एक ईरानी है। चैनल ने औपचारिक रूप से बताया कि एक ईरानी ने विश्व की पहली इलैक्ट्रिक स्मार्ट कार बनाई है।

 

इलैक्ट्रिक एवं हाइब्रिड कारों के उद्योग में ईरानियों का एक दूसरा कारनामा, ऐसी बैटरी की डिज़ाइनिंग एवं निर्माण है, जो ज़मीन की ग्रेविटी से चार्ज होती है। यह बैटरी इलैक्ट्रिक कारों के अलावा कई दूसरी मशीनों में भी इस्तेमाल हो सकती है। जीवाश्म ईंधन का प्रयोग किए बिना, यह बैटरी 220 वॉट की बिजली का उत्पादन करती है। इसकी एक विशिष्टता इसका कम वज़्न और छोटा साइज़ है। इसे इलैक्ट्रिक कारों में लगाया जा सकता है और यह प्रदूषण रहित है। इसकी दूसरी विशिष्टता यह है कि कार के चलने के साथ यह चार्ज होती है और इसे चार्ज करने के लिए गाड़ी को खड़ा करना ज़रूरी नहीं है।

इलैक्ट्रिक वाहनों की फ़ील्ड में ईरानी शोधकर्ताओं का एक अन्य कारनामा इलैक्ट्रिक मोटर साइकल की डिज़ाइनिंग है। इस संबंध में चार पहियों वाली क्वादरा क्यू-1 मोटर साइकल का नाम लिया जा सकता है, जिस पर दो लोग सवार हो सकते हैं। यह मोटर साइकल 3 घंटे चार्ज के साथ 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से 200 किलोमीटर तक की दूरी तय सकती है। इसकी सबसे बड़ी विशिष्टता इसका प्रदूषण रहित होना है।     

              

 

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