क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-660
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-660
قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ الَّذِي أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌ (27) قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَا إِنْ كُنْتُمْ تَعْقِلُونَ (28)
फ़िरऔन ने (अपने दरबारियों से) कहा, "निश्चय ही तुम्हारा यह पैग़म्बर, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिल्कुल पागल है।" (26:27) मूसा ने कहा, "वह पूरब और पश्चिम और जो कुछ उनके बीच है उसका भी पालनहार है, यदि तुम चिंतन करो तो।" (26:28)
قَالَ لَئِنِ اتَّخَذْتَ إِلَهًا غَيْرِي لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُونِينَ (29) قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَيْءٍ مُبِينٍ (30) قَالَ فَأْتِ بِهِ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ (31)
फ़िरऔन ने कहा यदि तुमने मेरे अतिरिक्त किसी अन्य को पूज्य बनाया, तो मैं तुम्हें बन्दी बना दूंगा। (26:29) मूसा ने कहा, क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ (चमत्कार स्वरूप) ले आऊँ तब भी? (26:30) फ़िरऔन ने कहाः यदि तुम सच्चे हो तो वह (चमत्कार) ले आओ। (26:31)
فَأَلْقَى عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعْبَانٌ مُبِينٌ (32) وَنَزَعَ يَدَهُ فَإِذَا هِيَ بَيْضَاءُ لِلنَّاظِرِينَ (33)
तो मूसा ने अपनी लाठी (ज़मीन पर) डाल दी, तो सहसा ही वह एक प्रत्यक्ष अजगर हो गई। (26:32) और उन्होंने (अपने गरेबान से) अपना हाथ बाहर निकाला तो सहसा ही वह देखने वालों के सामने चमक रहा था। (26:33)