क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-700
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-700
مَنْ جَاءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهُ خَيْرٌ مِنْهَا وَهُمْ مِنْ فَزَعٍ يَوْمَئِذٍ آَمِنُونَ (89) وَمَنْ جَاءَ بِالسَّيِّئَةِ فَكُبَّتْ وُجُوهُهُمْ فِي النَّارِ هَلْ تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ (90)
जो कोई प्रलय में भला कर्म लेकर आया उसे उससे भी अच्छा (प्रतिफल) प्राप्त होगा और ऐसे लोग भय व घबराहट से उस दिन सुरक्षित होंगे। (27:89) और जो कोई बुरा कर्म लेकर आया तो (प्रलय में) ऐसे लोग मुँह के बल आग में फेंक दिए जाएंगे (और उनसे कहा जाएगा) क्या तुम्हें उसके अतिरिक्त किसी और चीज़ का बदला दिया जा रहा है जो तुम करते रहे हो? (27:90)
إِنَّمَا أُمِرْتُ أَنْ أَعْبُدَ رَبَّ هَذِهِ الْبَلْدَةِ الَّذِي حَرَّمَهَا وَلَهُ كُلُّ شَيْءٍ وَأُمِرْتُ أَنْ أَكُونَ مِنَ الْمُسْلِمِينَ (91) وَأَنْ أَتْلُوَ الْقُرْآَنَ فَمَنِ اهْتَدَى فَإِنَّمَا يَهْتَدِي لِنَفْسِهِ وَمَنْ ضَلَّ فَقُلْ إِنَّمَا أَنَا مِنَ الْمُنْذِرِينَ (92)
मुझे तो बस यही आदेश दिया गया है कि इस नगर के पालनहार की उपासना करूँ जिसने इसे सम्मानीय ठहराया और हर चीज़ उसी की है। और मुझे आदेश दिया गया है कि मैं उसके समक्ष नतमस्तक रहूँ। (27:91) और (मुझे) यह (आदेश दिया गया है) कि (लोगों को) क़ुरआन पढ़कर सुनाऊँ। तो जो कोई मार्गदर्शन स्वीकार करे तो वह अपने ही लिए मार्गदर्शन स्वीकार करता है और जो पथभ्रष्ट हो जाए (वह अपने ही अहित में पथभ्रष्ट होता है) तो (हे पैग़म्बर!) कह दीजिए कि मैं तो बस सचेत करने वालों में से हूँ। (27:92)
وَقُلِ الْحَمْدُ لِلَّهِ سَيُرِيكُمْ آَيَاتِهِ فَتَعْرِفُونَهَا وَمَا رَبُّكَ بِغَافِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ (93)
और (हे पैग़म्बर!) कह दीजिए कि सारी प्रशंसा ईश्वर के लिए ही है। जल्द ही वह तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखा देगा और तुम उन्हें पहचान लोगे। और आपका पालनहार तुम लोगों के कर्मों की ओर से निश्चेत नहीं है। (27:93)