Dec ०५, २०१८ १५:३३ Asia/Kolkata

परिवार एक महत्वपूर्ण इकाई है जिसके बारे में ईरान के महान शायरों, लेखकों और बुद्धिजीवियों ने अपनी किताबों और पद्य व गद्य संकलनों तथा फ़ारसी साहित्य में विशेष रूप से ध्यान दिया गया है।

मोरिस मेट्रोलिंग का प्रसिद्ध कथन है कि जीवन उसी समय आनंदमयी होगा जब उसमें छोटे आनंद और छोटे प्रेम मौजूद हों और यही छोटी सी चीज़ हमको जीवन पर प्रतिबद्ध करेगी।

ईरान के प्रसिद्ध शायर और बुद्धिजीवी फ़िरदौसी ने मानवीय समाज, राष्ट्रों और उसके स्थायित्व, प्रेम, भाईचारे, दंपति के चयन और पवित्र परिवार के गठन की सुन्दरताओं से आनंद उठाने और संतुलित रूप से जीवन की ख़ुशियों से आनंद उठाने में निहित समझते है। साथ ही वे जीवन साथी के चयन को मानवता को बचाने की एक महत्वपूर्ण शर्त मानते हैं।

आज ईरानी परिवार के महत्वपूर्ण मापदंडों में से एक, परिवार के एक महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में पुरुष की स्थिति का बदलना है। महिलाओं का नौकरी करना और ख़र्च में परिवर्तन के कारण महिलाएं भी अपना हक़ जताने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं जिसके कारण महिलाएं किसी सीमा तक फ़ैसला लेने का प्रयास करने लगी हैं। आज के ईरानी परिवार में महिला और पुरुष जगत एक दूसरे से निकट हो गया है। महिलाओं की बात, पुरुषों के स्तर तक पहुंच गयी हैं और इसी चीज़ ने परिवार के भीतरी माहौल को प्रभावित कर दिया है।

परिवार इकाई में आए इस बड़े परिवर्तन के प्रभाव के बारे में ईरान की समाज शास्त्र संस्था के सदस्य और प्रसिद्ध समाजशास्त्री डाक्टर सज्जाद ओजाक़ोलू की कुछ बात को यहां बयान करते हैं। वह उन समाजशास्त्रियों में हैं जिन्होंने ईरान में पारिवारिक रूपी इकाई में बदलते मूल्यों के बारे में शोध किया है। डाक्टर ओजाक़ोलू कहते हैं कि समाज में पायी जाने वाली बुराईयों के बदलने के प्रयास के अंतर्गत, मूल्यों में बदलाव पैदा हो गया, लोग शहरों की ओर भागने लगे और दो विरोधी लिंगों में संबंध सीमित्ता कम हो गयी जिसके कारण विवाह सहित समाज में बहुत सी बुराईयां आई और परिवार से जुड़ी आस्थाएं तथा मूल्य प्रभावित हुए। ईरानी परिवार और ईरानी समाज में ध्यान योग्य परिवर्तन पैदा हुए हैं उससे स्वयं ईरानी परिवार के मूल्य प्रभावित हुए हैं और साथ ही ईरानी महिलाओं के स्थान और उसकी भूमिका भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। आज की दुनिया में परिवार जगत में जो कुछ हो रहा है उसके परिणाम में पारिवारिक इकाई, सामाजिक संस्थाओं में महिलाओं की भूमिका में ध्यान योग्य परिवर्तन पैदा हो गया है। यह परिवर्तन इस प्रकार से है कि महिलाओं में नये विचार और मूल्य जन्म ले रहे हैं और उनके द्वारा किया जाने वाला प्रतिरोध सामने आ रहा है। यह प्रतिरोध चाहे परिवार के क्षेत्र में हो या सामाजिक क्षेत्र में।

 

डाक्टर ओजाक़ोलू बल देते हैं कि इस आधार पर ईरानी समाज के बारे में यह कहा जा सकता है कि हालिया एक दश्क के दौरान, अन्य लोगों की तुलना में महिलाएं, वैवाहिक और पारिवारिक मूल्यों को बदलने का सबसे बड़ा कारण रही हैं। महिलाओं की नौकरी की भूमिका में बदलाव जो एक प्रकार से उनके लिए ज़िंदगी के मैदान में सांस्कृतिक और सामाजिक पूंजी जुटाना समझा जाता है, प्राचीन काल से चली आ रही इस परंपरा को कि पुरुष आजीविका लाए और महिलाएं घर का काम करें, बुरी तरह प्रभावित किया है। इस प्रकार से महिलाओं ने नई पहचान हासिल कर ली है और उनकी यह नई पहचान, भिन्न एवं नये मूल्यों के अस्तित्व में आने का कारण भी बनी है।

सामूहिक संपर्क के संसाधनों में विस्तार, जीवन शैली में बदलाव तथा सूचना प्रदान करने वाले अथाह संसाधनों के पाए जाने, साक्षरता की दर में सराहनीय विस्तार और महिलाओं के बीच जागरूकता पैदा होना, इन चीज़ों के अस्तित्व में आने के कारण हैं। अतीत की तुलना में आज ईरानी महिलाएं बढ़चढ़कर विश्वविद्यालयों और उच्च शैक्षिक केन्द्रों में उपस्थित होकर अपनी सांस्कृतिक पूंजी बढ़ा रही हैं। इस चीज़ के कारण सही उम्र में शादी में रुकावट सहित बहुत सी रुकावटें पैदा हो गयी हैं। यहां पर महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि ईरान में महिलाओं के बीच सामाजिक परिवर्तन की इच्छा और कारक, पश्चिमी जगत से भिन्न हैं। इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि ईरान में परिवार, वैश्विक परिवर्तन की डगर पर नहीं चल पड़ा है बल्कि ईरानी महिलाएं यथावत अपने ज्ञान और जागरूकता में वृद्धि के बावजूद परिवार के गठन, मां और किसी की पत्नी बनने को अपनी प्राथमिकता समझती हैं।

ईरान की समाज शास्त्री संघ के सदस्य के अनुसार ईरान में परिवार और समाज का नया चेहरा, आधुनिक जगत से ईरान के प्रभावित होने का परिणाम है। अब अगर आधुनिक शहरों और इमारतों के निर्माण, नये नये तरह के परिघान और खानों तथा मशीनी दुनिया सहित अपने विदित प्रतीकों के साथ आधुनिक जगत पूरी शक्ति के साथ समाज में घुस जाता तो उसका चेहरा ही बिगाड़ देता, जबकि विदित रूप से अतीत से उसमें कोई समानता नहीं पायी जाती किन्तु वास्तव में ईरान जैसे समाज में कदापि आधुनिक समाज की समानता नहीं पायी गयी और यह समाज इस प्रकार के समाजों से पूर्ण रूप से भिन्न है जिसने अपनी अलग पहचान बनाए रखी है। ईरानी समाज ने अपनी मुख्य पहचान और इतिहास की रक्षा की और बाहरी समाज से आने वाले नये तत्वों को अपनी असल पहचान की रक्षा करते हुए अपने समाज में जगह दी। इस आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि ईरानी परिवार की लाइन की कोई विशेष लाइन नहीं है और यह पारंपरिक और आधुनिक परिवार का संगम है।

ईरानी समाजशास्त्री के अनुसार धर्मपरायणता के नकारात्मक प्रभावों के वैश्विककरण ने वैवाहिक मूल्यों को सीधे रूप से प्रभावित किया है वे लोग जो इन्टरनेट और सैटेलाइट चैनलों द्वारा वैश्विककरण की चकाचौंध में घिर चुके हैं उनके बीच विवाह के मूल्य कम हो गये हैं। आज ईरान सहित दुनिया के विभिन्न देशों के लोग इस वैश्विककरण के दबावों का सामना कर रहे हैं। पारिवारिक जीवन को संगठित करने वाली चीज़ के रूप में विवाह की भूमिका, पूरी दुनिया में ध्यानयोग्य रूप से कम हो गयी है। तलाक़ के क़ानून आसान हो गये हैं। नौकरी, विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थाओं में महिलाओं की उपस्थिति से महिलाओं और पुरुषों की भूमिका तबाह हो गयी है लेकिन इसके मुक़ाबले में धर्मपरायणता के साथ वैवाहिक मूल्य मज़बूत हुए हैं जो लोग अधिक धर्मपरायण होते हैं उनके बीच विवाह का बहुत अधिक महत्व होता है।

 

डाक्टर ओजाक़ोलू बल देते हैं कि विवाह में परिवर्तन और ईरान, मिस्र तथा मलेशिया जैसे दुनिया के देशों में विवाह और परिवार के बारे में पाए जाने वाले दृष्टिकोणों से पता चलता है कि परिवार के गठन और परिवार की ओर रुझान में सांस्कृतिक तत्व विशेषकर इस्लामी शिक्षाएं बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।

मीना एक ईरानी लड़की है। उसने एक पारंपरिक और बड़े परिवार में जीवन व्यतीत किया है। उसने जागरूकता बढ़ाने और उच्च स्थान को प्राप्त करने के लिए बहुत प्रयास किये और उसमें वह सफल भी हुई। मीना ने दुनिया पर छायी स्थिति को समझते हुए बहुत अधिक ज्ञान प्राप्त किया किन्तु वह आत्ममुग्धता के दायरे में अपनी गतिविधियां बढ़ाना नहीं चाहती थी। उसने परिवार में अपनी ख़ुशी से यह सीखा कि समय और जीवन के माहौल, संभावनाओं, रंगों, तकनीक, भौतिक रंग रूप के बदलने से कभी भी नैतिक और अध्यात्मिक मूल्य परिवर्तित नहीं होते। मीना ने विवाह किया और उसने परिवार को भावनाओं के विकास और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण स्थान समझा। मीना, ईरानी महिलाओं के लिए उदाहरण है जिसको पश्चिमी वैश्विककरण अपना नहीं बना सका।

 

प्रेम, शांति और राहत का आधार है। इसी प्रकार यह एक ऐसी मुक्तिदायक नौका है जो जीवन की कठिनाईयों और क्रोध की लहरों में आगे बढ़ती रहती है। यह एक ऐसी नौका है जिसकी खेवइया एक कलाकार, दक्ष और निपुण महिला होती है क्योंकि जीवन को शांति और सुकून प्रदान करना वह संदेश है जिसकी ज़िम्मेदारी महिलाओं को दी गयी है। हदीस में आया है कि ईश्वर ने औरत को अपने पति के लिए शांति और सुकून का केन्द्र बनाया है, वह ईश्वर की बड़ी अनुकंपा है।

दूसरी ओर पुरुष भी महिला के लिए अमानतदार और मज़बूत ठिकाना होता है, परिवार में उसका प्रेम और निष्ठा, जीवन के आधारों को जारी रखने और उसको मज़बूत करने का कारण बनती है। पुरुषों पर अनिवार्य है कि वे परिवार में ईश्वरीय अनुकंपा का सम्मान करें और उसके साथ अच्छा और मेहरबानी वाला बर्ताव करे क्योंकि महिला का स्थान, शांति और सुकून है और यह पुरुषों की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। कहा जाता है कि दंपत्तियों के एक दूसरे के बारे में प्रेम के दो बोल, बहुत सारी शंकाओं और बुराईयों को दूर कर देते हैं इससे उनके बीच प्रेम और मुहब्बत बढ़ जाती है। महापुरुषों ने भी अपने साथी से प्रेम का इज़हार करने पर बल दिया है। पैग़म्बरे इस्लाम इस संबंध में कहते हैं कि मेरी उम्मत के पुरुष वह हैं जो अपने परिवार के संबंध में कठोर और अंहकारी न हों, उनके प्रति दयालु रहें और उनको यातना न दें। (AK)