क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-710
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-710
وَقَالَ فِرْعَوْنُ يَا أَيُّهَا الْمَلَأُ مَا عَلِمْتُ لَكُمْ مِنْ إِلَهٍ غَيْرِي فَأَوْقِدْ لِي يَا هَامَانُ عَلَى الطِّينِ فَاجْعَلْ لِي صَرْحًا لَعَلِّي أَطَّلِعُ إِلَى إِلَهِ مُوسَى وَإِنِّي لَأَظُنُّهُ مِنَ الْكَاذِبِينَ (38)
और फ़िरऔन ने कहा, "हे दरबारियो!, मैं तो अपने अतिरिक्त किसी को तुम्हारा प्रभु नहीं जानता। (लेकिन अधिक जांच के लिए) हे हामान! तू मेरे लिए मिट्टी को आग लगा (और ईटें बना) दे। फिर मेरे लिए एक ऊँचा मीनार बना कि मैं मूसा के ईश्वर के बारे में कोई ख़बर ले आऊँ। और मैं तो निश्चय ही उसे झूठों में समझता हूँ। (28:38)
وَاسْتَكْبَرَ هُوَ وَجُنُودُهُ فِي الْأَرْضِ بِغَيْرِ الْحَقِّ وَظَنُّوا أَنَّهُمْ إِلَيْنَا لَا يُرْجَعُونَ (39) فَأَخَذْنَاهُ وَجُنُودَهُ فَنَبَذْنَاهُمْ فِي الْيَمِّ فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الظَّالِمِينَ (40)
और फ़िरऔन और उसके सिपाहियों ने धरती में अकारण घमंड किया और समझ लिया कि उन्हें हमारी ओर लौटाया नहीं जाएगा। (28:39) तो हमने उसे और उसकी सेना को पकड़ लिया और उन्हें समुद्र में फेंक दिया। तो देखो कि अत्याचारियों का कैसा अंजाम हुआ? (28:40)
وَجَعَلْنَاهُمْ أَئِمَّةً يَدْعُونَ إِلَى النَّارِ وَيَوْمَ الْقِيَامَةِ لَا يُنْصَرُونَ (41) وَأَتْبَعْنَاهُمْ فِي هَذِهِ الدُّنْيَا لَعْنَةً وَيَوْمَ الْقِيَامَةِ هُمْ مِنَ الْمَقْبُوحِينَ (42)
और हमने उन्हें ऐसे अगुवा बनाया है जो आग की ओर बुलाने वाले हैं और प्रलय के दिन उन्हें कोई सहायता नहीं की जाएगी। (28:41) और हमने इस संसार में उनके पीछे धिक्कार लगा दी और प्रलय के दिन भी वही कुरूप होंगे। (28:42)