Jan ०१, २०१९ १४:१४ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-713

 

وَلَقَدْ وَصَّلْنَا لَهُمُ الْقَوْلَ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ (51) الَّذِينَ آَتَيْنَاهُمُ الْكِتَابَ مِنْ قَبْلِهِ هُمْ بِهِ يُؤْمِنُونَ (52)

 

और निश्चय ही हम उनके लिए (क़ुरआनी आयतों के) कथन निरंतर भेजते रहे कि शायद वे समझ जाएं। (28:51) इससे पहले जिन लोगों को हमने किताब दी थी, वे इस (क़ुरआन) पर ईमान ले आते हैं। (28:52)

 

وَإِذَا يُتْلَى عَلَيْهِمْ قَالُوا آَمَنَّا بِهِ إِنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَبِّنَا إِنَّا كُنَّا مِنْ قَبْلِهِ مُسْلِمِينَ (53) أُولَئِكَ يُؤْتَوْنَ أَجْرَهُمْ مَرَّتَيْنِ بِمَا صَبَرُوا وَيَدْرَءُونَ بِالْحَسَنَةِ السَّيِّئَةَ وَمِمَّا رَزَقْنَاهُمْ يُنْفِقُونَ (54)

 

और जब उन्हें यह (क़ुरआन) पढ़कर सुनाया जाता है तो वे कहते हैं हम इस पर ईमान ले आए। निश्चय ही यह हमारे पालनहार की ओर से सत्य (कथन) है। हम तो इससे पहले ही से मुस्लिम (आज्ञाकारी) रहे हैं। (28:53) ये वे लोग है जिन्हें (सत्य व धैर्य पर उनके) डटे रहने के कारण दो बार प्रतिफल दिया जाएगा, ये लोग बुराई को भलाई से दूर करते है और जो रोज़ी हमने उन्हें प्रदान की है उसमें से दान करते हैं। (28:54)

 

وَإِذَا سَمِعُوا اللَّغْوَ أَعْرَضُوا عَنْهُ وَقَالُوا لَنَا أَعْمَالُنَا وَلَكُمْ أَعْمَالُكُمْ سَلَامٌ عَلَيْكُمْ لَا نَبْتَغِي الْجَاهِلِينَ (55)

 

और जब वे व्यर्थ बात सुनते हैं तो यह कहते हुए उससे मुंह मोड़ लेते है कि हमारे लिए हमारे कर्म हैं और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म हैं। तुम पर सलाम हो, हमें अज्ञानियों से कोई काम नहीं है (और हम उनके साथ नहीं रहना चाहते।) (28:55)