क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-714
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-714
إِنَّكَ لَا تَهْدِي مَنْ أَحْبَبْتَ وَلَكِنَّ اللَّهَ يَهْدِي مَنْ يَشَاءُ وَهُوَ أَعْلَمُ بِالْمُهْتَدِينَ (56)
(हे पैग़म्बर!) निश्चित रूप से आप जिसे चाहें उसका मार्गदर्शन नहीं कर सकते लेकिन ईश्वर जिसे चाहता है (सही) राह दिखाता है और वही मार्गदर्शित लोगों को भली-भाँति जानता है। (28:56)
وَقَالُوا إِنْ نَتَّبِعِ الْهُدَى مَعَكَ نُتَخَطَّفْ مِنْ أَرْضِنَا أَوَلَمْ نُمَكِّنْ لَهُمْ حَرَمًا آَمِنًا يُجْبَى إِلَيْهِ ثَمَرَاتُ كُلِّ شَيْءٍ رِزْقًا مِنْ لَدُنَّا وَلَكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ (57)
और (मक्के के अनेकेश्वरवादियों ने पैग़म्बर से) कहाः यदि हम आपके साथ इस (क़ुरआन के) मार्गदर्शन का अनुसरण करें तो हम अपने भू-भाग से छीन लिए जाएंगे और बेघर हो जाएंगे। क्या हमने उन्हें ख़तरों से सुरक्षित ऐसे स्थान में ठिकाना नहीं दिया, जिसकी ओर हमारी ओर से रोज़ी के रूप में हर प्रकार की फ़सल और फल खिंचे चले आते हैं? किन्तु उनमें से अधिकतर नहीं जानते। (28:57)
وَكَمْ أَهْلَكْنَا مِنْ قَرْيَةٍ بَطِرَتْ مَعِيشَتَهَا فَتِلْكَ مَسَاكِنُهُمْ لَمْ تُسْكَنْ مِنْ بَعْدِهِمْ إِلَّا قَلِيلًا وَكُنَّا نَحْنُ الْوَارِثِينَ (58)
और हमने कितनी ही बस्तियों को विनष्ट कर डाला, जिन (के लोगों ने) अपनी सुखी अर्थव्यवस्था पर घमंड करते हुए अकृतज्ञता दिखाई। तो ये हैं उनके घर, जो उनके बाद बहुत कम ही आबाद हुए। और अन्ततः हम ही उनके उत्तराधिकारी हुए। (28:58)