क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-724
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-724
وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا نُوحًا إِلَى قَوْمِهِ فَلَبِثَ فِيهِمْ أَلْفَ سَنَةٍ إِلَّا خَمْسِينَ عَامًا فَأَخَذَهُمُ الطُّوفَانُ وَهُمْ ظَالِمُونَ (14) فَأَنْجَيْنَاهُ وَأَصْحَابَ السَّفِينَةِ وَجَعَلْنَاهَا آَيَةً لِلْعَالَمِينَ (15)
और हमने नूह को उनकी जाति की ओर भेजा और वे उनके बीच नौ सौ पचास साल रहे। (लेकिन अधिकतर लोग उन पर ईमान नहीं लाए) तो उन्हें तूफ़ान ने इस दशा में आ पकड़ा कि वे अत्याचारी थे। (29:14) फिर हमने नूह को और (उनके साथ सवार) नौका वालों को बचा लिया और इसे पूरे संसार के लिए एक निशानी बना दिया। (29:15)
وَإِبْرَاهِيمَ إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ اعْبُدُوا اللَّهَ وَاتَّقُوهُ ذَلِكُمْ خَيْرٌ لَكُمْ إِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُونَ (16) إِنَّمَا تَعْبُدُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ أَوْثَانًا وَتَخْلُقُونَ إِفْكًا إِنَّ الَّذِينَ تَعْبُدُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ لَا يَمْلِكُونَ لَكُمْ رِزْقًا فَابْتَغُوا عِنْدَ اللَّهِ الرِّزْقَ وَاعْبُدُوهُ وَاشْكُرُوا لَهُ إِلَيْهِ تُرْجَعُونَ (17)
और (हे पैग़म्बर! याद कीजिए उस समय को) जब इब्राहीम ने अपनी जाति (के लोगों) से कहा कि ईश्वर की उपासना करो और उससे डरते रहो कि यह तुम्हारे लिए बेहतर है यदि तुम जानते हो। (29:16) तुम तो ईश्वर को छोड़ कर मूर्तियों की पूजा कर रहे हो और झूठ गढ़ रहे हो। तुम ईश्वर के अलावा जिनकी उपासना करते हो वे तुम्हारी रोज़ी के भी मालिक नहीं हैं। तो तुम ईश्वर ही के यहाँ रोज़ी तलाश करो, उसी की उपासना करो और उसी के कृतज्ञ रहो कि तुम्हें उसी की ओर लौटकर जाना है। (29:17)
وَإِنْ تُكَذِّبُوا فَقَدْ كَذَّبَ أُمَمٌ مِنْ قَبْلِكُمْ وَمَا عَلَى الرَّسُولِ إِلَّا الْبَلَاغُ الْمُبِينُ (18)
और यदि तुम मुझे झुठलाते हो तो (इसमें आश्चर्य नहीं है क्योंकि) तुमसे पहले कितनी ही जातियां भी (अपने पैग़म्बरों को) झुठला चुकी हैं। और पैग़म्बर पर (धर्म के) स्पष्ट प्रचार के अतिरिक्त कोई दायित्व नहीं है। (29:18)