क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-735
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-735
أَوَلَمْ يَرَوْا أَنَّا جَعَلْنَا حَرَمًا آَمِنًا وَيُتَخَطَّفُ النَّاسُ مِنْ حَوْلِهِمْ أَفَبِالْبَاطِلِ يُؤْمِنُونَ وَبِنِعْمَةِ اللَّهِ يَكْفُرُونَ (67)
क्या उन्होंने नहीं देखा कि हमने (मक्के को) एक शान्त व सुरक्षित हरम बनाया, हालाँकि लोग उनके आस-पास से उचक लिए जाते हैं तो क्या फिर भी वे असत्य पर ईमान रखते हैं और ईश्वर की अनुकंपा के प्रति कृतघ्नता दिखाते हैं? (29:67)
وَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرَى عَلَى اللَّهِ كَذِبًا أَوْ كَذَّبَ بِالْحَقِّ لَمَّا جَاءَهُ أَلَيْسَ فِي جَهَنَّمَ مَثْوًى لِلْكَافِرِينَ (68)
और उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जो ईश्वर पर झूठ घड़े या सत्य को उस समय झुठलाए जब वह उसके पास आए? क्या काफ़िरों का ठिकाना नरक में नहीं होगा? (29:68)
وَالَّذِينَ جَاهَدُوا فِينَا لَنَهْدِيَنَّهُمْ سُبُلَنَا وَإِنَّ اللَّهَ لَمَعَ الْمُحْسِنِينَ (69)
और जो लोग हमारे मार्ग में मिल कर प्रयास (व जेहाद) करें, हम अवश्य ही उन्हें अपने मार्ग दिखाएँगे। निःसंदेह ईश्वर सद्कर्मियों के साथ है। (29:69)